Delhi News: सावधान! मच्छर का लार्वा मिलने पर अब लगेगा 50 हजार का जुर्माना
दिल्ली में हर जगह कूड़े के पहाड़ हैं, जगह जगह पर नालियां कूड़े से खचाखच भरी रहती हैं, ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट ने आज दिल्ली सरकार से कहा है कि वह लोगों को अपने परिसर में मच्छर पनपने देने के खिलाफ चेतावनी के तौर पर मौके पर ही जुर्माना लगाने और गलती करने वाली संस्थाओं पर जुर्माने की राशि पांच हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने को लेकर समीक्षा करे।
मामले में कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान ये बात कही। पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह इन पहलुओं की सर्वोच्च स्तर पर समीक्षा करके अपना रुख साफ करे।
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कोर्ट के मुताबिक अगर मौके पर जुर्माना नहीं लगाया जाता है तो प्रशासनिक तंत्र द्वारा प्रतिरोधकता विकसित करने के लिए लगाए गए जुर्माने का प्रभाव खत्म हो जाएगा। वहीं दिल्ली सरकार के अधिवक्ता के मुताबिक जुर्माना राशि 500 रुपये से 5000 रुपये करने के प्रस्ताव पर विचार चल रहा है, लेकिन इसमें मौके पर जुर्माना वसूलने की बात नहीं है।
अदालत ने बीते 20 मई को अपने आदेश में साफ कहा था कि हमारी नजर में अगर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (जीएनसीटीडी) की सरकार लोगों को उनके परिसर में मच्छर पनपने के खिलाफ दिमागी रूप से तैयार करना चाहती है, ताकि वह मच्छरों को नहीं पनपने दें तो उसे मौके पर ही जुर्माना लगाने के प्रस्ताव की समीक्षा करनी चाहिए।
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जानकारी के लिए बता दें कि इससे पहले मार्च में उच्च न्यायालय ने नाखुशी जताते हुए कहा था कि कानून में संशोधन और जुर्माना बढ़ाने की दिशा में दिल्ली सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई, ताकि यह मच्छर पनपने के खिलाफ प्रतिरोधक की तरह काम कर सके। अदालत ने कहा कि उसके अनुरोध को अनसुना कर दिया गया।
बतां दें कि अपने आदेश में अदालत ने सभी स्थानीय निकायों, प्रशासन और विभागों को निर्देश दिया है कि पानी के कारण फैलने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए सामान्य प्रोटोकाल के लिहाज से अपनी-अपनी प्रतिबद्धताओं का कड़ाई से पालन करें और उसे पूरा करें।
वहीं पिछले साल की बात करें तो अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में डेंगू के प्रसार को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए नगर निगमों की खिंचाई की थी। अदालत ने तब कहा था कि पूरा नागरिक प्रशासन पंगु हो गया था, क्योंकि किसी को भी मौतों की परवाह नहीं रही।