NewsExpress

News Express - Crisp Short Quick News
वट सावित्री की पूजा बरगद के पेड़ के नीचें ही क्यों? आइए जानते हैं।

हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबे उम्र के लिए हर साल वट सावित्री का व्रत करती हैं। वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ मास के अमावस्या तिथि पर होता हैं, आपको बता दें इस बार अमावस्या तिथि 30 मई, सोमवार को है। खास बात यह है कि इस साल वट सावित्री के दिन सोमवती अमावस्या और शनि जयंती का विशेष संयोग बन रहा है।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, ऐसा संयोग 30 साल बाद बन रहा धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन किए गए दान-पुण्य का कई गुना फल मिलता हैं।व्रत करने वाली स्त्रियां इस दिस सत्यवान की प्रतिमा रखकर लाल कलावा, कच्चा सूत, धूप, अगरबत्ती, घी, दीपक, रोली, मिठाई, मिट्टी का दीपक, सवा मीटर कपड़ा, नारियल, पान, अक्षत, सिंदूर और अन्य श्रृंगार का समान आदि लाकर पूरे विधि-विधान वट वृक्ष की पूजा करती हैं।

वट सावित्री की पूजा बरगद के पेड़ के नीचें ही क्यों? आइए जानते हैं।
वट सावित्री की पूजा बरगद के पेड़ के नीचें ही क्यों? आइए जानते हैं।

वट सावित्री व्रत देवी सावित्री को समर्पित है, जिन्होंने अपने पति सत्यवान को मृत्यु के देवता यमराज से बचाया था।
लेकिन ये पूजा बरगद के पेड़ के नीचें ही क्यों होती हैं?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, सावित्री ने बरगद के पेड़ के नीचे अपने मृत पति के जीवन को वापस लाया। यमराज को अपने पुण्य धर्म से प्रसन्न करके आशीर्वाद प्राप्त किया था। यही कारण है कि वट सावित्री व्रत पर महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत लाभकारी माना जाता है।