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विश्व बैंक ने छत्तीसगढ़ के जनजातीय बहुल क्षेत्रों में पोषण आधारित कृषि को बढ़ावा देने के लिए परियोजना पर हस्ताक्षर किए

भारत सरकार,छत्तीसगढ़ राज्य सरकार और विश्व बैंक ने आज टिकाऊ उत्पादन प्रणाली विकसित करने के लिए 10 करोड़ डॉलर की परियोजना पर हस्ताक्षर किए। इस परियोजना के तहत छत्तीसगढ़ के दूरदराज क्षेत्रों में जनजातीय समुदायों को विविधतापूर्ण और पोषण आधारितफसलों का हर साल उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्से में जहां पर बड़ी जनजातीय आबादी कुपोषित और गरीब है, वहां पर चिराग (छत्तीसगढ़ समावेशी ग्रामीण और त्वरित कृषि विकास परियोजना) परियोजना को लागू किया जाएगा। इसपरियोजना से छत्तीसगढ़ के 8 जिलोंमें 1000 गांवों के 1.80 लाख परिवार लाभान्वित होंगे।

वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव डॉ.सी.एस महापात्र ने कहा कि “भारत में कृषि आजीविका का प्रमुख जरिया है और भारत सरकार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। चिराग परियोजना, छत्तीसगढ़ में एक विविध और पोषण आधारित भोजन और कृषि प्रणाली की नींव रखेगी। इसके जरिएकिसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ)केछोटे किसानों को नए तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। जिससे न केवल वहलाभदायक बाजारों तक पहुंच बना सकेंगे बल्कि उनकी आय में भी बढ़ोतरी होगी। ”

कर्ज समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव डॉ.सी.एस महापात्र और विश्व बैंक की ओर से भारत में कंट्रीडायरेक्टर श्री जुनैद कमाल अहमद ने हस्ताक्षर किए। जबकिप्रोजेक्ट समझौते पर छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से कृषि विभाग के संयुक्त सचिव श्री भोसकर विलास संदीपन और विश्व बैंक की ओर से भारत में कंट्री डायरेक्टर श्री जुनैद कमाल अहमद ने हस्ताक्षर किए ।

छत्तीसगढ़ अपनी समृद्ध जैव विविधता और विविध कृषि-जलवायु क्षेत्र में विकास के लिए एक वैकल्पिक मॉडल पर जोर देने का अवसर देता हैजिससे जनजातीय बहुल दक्षिणी क्षेत्र को अपने प्राकृतिक संसाधनों का लाभ उठाने, विविधतापूर्ण फसलों को उगाने का मौका मिलेगा। साथ ही यह एक ऐसी उत्पादन प्रणाली विकसित करने का भरोसा दिलाती है जो हर घर की पोषण संबंधी जरूरतों का ख्याल रखेगी ।

भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर श्री जुनैद कमाल अहमद ने कहा, ‘यह परियोजना जनजातीय समुदायों के लिए एक समावेशी विकास का रास्ता बनाने के राज्य सरकार के प्रयासों का हिस्सा है।’ “फसल प्रणाली में विविधता लाने, पोषण बढ़ाने, और सिंचाई और कटाई के बाद की तकनीक में निवेश को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करके, यह प्रोजेक्ट आदिवासी समुदायों को सहयोग प्रदान करेगा। जिसमें राज्य के वह सुदूरवर्ती क्षेत्र भी शामिल हैं जहां कृषि विकास के माध्यम से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।”

पोषण आधारित कृषि को बढ़ावा देने के लिए,परियोजना के तहत उन गतिविधियों की एक श्रृंखला को लागू किया जाएगा, जो कृषि को जलवायु के अनुकूल और लाभदायक बनाएंगे। इसके तहत जल-संचयन की बुनियादी संरचनाओं और सिंचाई सुविधाओं में निवेश किया जाएगा।एकीकृत कृषि प्रणालियों के तहतफसल,मत्स्य और पशुपालन को एक साथ लेकर मॉडल विकसित किया जाएगा। जिसमें जलवायु के आधार पर स्मार्ट उत्पादन यानी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल, ऐसी मूल्य आधारित श्रृंखलाओं का विकास करना जिससे कृषि उपज लाभदायक बाजारों तक पहुंच सकेऔर जनजातीय परिवारों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो सके।

कोविड-19 महामारी और उससे हुए असर की वजह से आर्थिक अवसर बाधित हुए है। इसका प्रमुख असरग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में हुआ है। यह परियोजना स्थानीय खाद्य आपूर्ति और उत्पादन को स्थिर और बहाल करने में मदद करेगी। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र मेंआजीविका को सुरक्षित करेगी और महामारी से प्रभावित होकर अपने गांवों में लौटने वाले लोगों के लिए आय और नौकरी के अवसरों का भी विस्तार करेगी।

इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से 10 करोड़ डॉलर का कर्ज 17.5 साल के लिए दिया जाएगा, जिसमें 5.5-वर्ष की छूट अवधि भी शामिल है।