GDP बढ़ी, पर आपकी आमदनी नहीं
इस हफ़्ते GDP के आँकड़े आ गए. पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में भारत की अर्थव्यवस्था 8.7% की दर से बढ़ी जबकि मार्च में ख़त्म तिमाही में 4.1% की दर से बढ़ी. इस तरह की खबरें हर तीन महीने में आती है, हर बार मुझे कोई पूछता है कि GDP क्या होती है या इसका मतलब क्या है तो मुझे भी समझाने में मुश्किल होती है.
GDP क्या होती है?
GDP का फ़ुल फ़ॉर्म है Gross Domestic Product. हिंदी में इसे सकल घरेलू उत्पाद कहते है. ये पैमाना है अर्थव्यवस्था को नापने का या ये पता लगाने का कि किसी देश की आमदनी क्या है? द ग्रेट डिप्रेशन या बड़ी मंदी के बाद अमेरिका की आमदनी का पता करने के लिए इकोनॉमिस्ट सायमन कुजनेट्स ने सबसे पहले GDP का फ़ार्मूला बनाया. 1937 में उन्होंने अमेरिका की 1929-1935 की आमदनी के आँकड़े पेश किए ताकि अंदाज़ा लगे कि मंदी ने लोगों की आमदनी पर कितना असर डाला. ये आँकड़ा आपके हमारे खर्च, कंपनियों और सरकार के कुल खर्च का जोड़ था. आगे चलकर दुनिया ने इसे आर्थिक विकास का पैमाना मान लिया. इसे कई इकोनॉमिस्ट ने चुनौती भी दी कि ठीक पैमाना नहीं है, फिर भी यही पैमाना बना हुआ है.
GDP क्या है?
आपके मन में सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब ये सारे खर्चे का जोड़ है तो GDP के साथ परसेंट कहाँ से आ जाता है? तो ये जान लीजिए कि आँकड़ा जोड़ कर ही आता है, परसेंट सिर्फ़ ये बताता है कि पिछले साल के मुक़ाबले GDP कितनी घटी है या बढ़ी है. आँकड़े को आगे चलकर समझेंगे. पहले ये समझने की कोशिश करते है कि ये GDP चीज़ है क्या?
GDP अर्थव्यवस्था में पैसे के घूमने या लेनदेन को नापने का ज़रिया है. लोग,कंपनी या सरकार जितना ज़्यादा खर्च करेंगे उतना लेनदेन बढ़ेगा. खर्च पर जैसे ही ब्रेक लगेगा GDP गिर जाएगी जैसे कोरोनावायरस के चलते 2020-21 में भारत की GDP 6.6% से घट गई थी या मायनस में चली गई थी.अब हम जोड़ की बात कर लेते हैं , ये है भारत में GDP के आँकड़े
2021-22 147 लाख करोड़
2020-21 135 लाख करोड़
2019-20 146 लाख करोड़
इन आँकड़ों से पता चलता है कि 2021-22 में GDP ग्रोथ भले ही 8.2% हुई हो सरकार ने डंका बजाया कि 22 साल में इतनी तेज़ी से कभी ग्रोथ नहीं हुई. असली बात ये है कि अर्थव्यवस्था अब जाकर 2019-20 के लेवल से थोड़ी ऊपर पहुँची है.