GDP का आप पर असर?
GDP का काम प्रति व्यक्ति आय निकालना भी होता है यानी देश की GDP को आबादी से भाग देकर.
2019-20 में प्रति व्यक्ति आय ₹1.08 लाख थी
2020-21 में घटकर ₹1 लाख पर आ गई थी
2021-22 में बढ़ कर ₹ 1.07 लाख तक पहुँची है
GDP भले 8 प्रतिशत से ज़्यादा की दर से बढ़ी है, लोगों की औसत आमदनी दो साल पहले से थोड़ी कम ही है.अब आप समझ ही गए होंगे कि जब GDP बढ़ती है तो आम तौर पर आपकी आमदनी बढ़ती है, नई नौकरियाँ आती है. कंपनियाँ बढ़ती माँग को देखकर नए प्रोजेक्ट लगाती है . GDP जब घटती है तो हर कोई अपने खर्च कम करने में जुट जाता है. चाहे आप हो या आपकी कंपनी. इसका नतीजा ये होता है कि सैलरी बढ़ती नहीं या फिर जैसे 2020 में तो कई लोगों की सैलरी कम हो गई थी.नौकरी चली गई. आपको याद होगा कि बेरोज़गारी रेकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई थी.
आने वाले साल में क्या होगा ये कहना मुश्किल है. संकेत अच्छे नहीं है. वर्ल्ड बैंक ने 2022 में दुनिया भर में GDP ग्रोथ का अनुमान 4.1% से घटाकर 3.2% कर दिया है. SBI Research की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक़ 2022-23 में भारत की GDP में 11 लाख करोड़ रुपये का इज़ाफ़ा होगा यानी 7.5% की ग्रोथ होगी. सरकार फिर कहेगी कि भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, ये तथ्यात्मक रूप से ग़लत नहीं होगा मगर ये ना भूलें कि भारत की अर्थव्यवस्था 31 मार्च 2020 जहां थी उसे पार करने भर में तीन साल लग जाएँगे यानी 31 मार्च 2023 को हम तीन साल पहले के आँकड़े को ठीक से पार कर पाएँगे.