NewsExpress

News Express - Crisp Short Quick News
Agnipath Scheme के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, केंद्र ने रखा अपना पक्ष

अग्निपथ योजना के खिलाफ दायर की गई याचिका पर मंगलवार को सुप्रिम कोर्ट में सुनावाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस योजना के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के लेकर कहा कि सार्वजनिक संपत्तियों को पहुँचाए गए नुकसान की जांच (एसआईटी) विशेष जांच दल से कराने को कहा। कोर्ट ने आगे कहा कि इस याचिका को सुनवाई के लिए तब सूचीबद्ध किया जाएगा, जब प्रधान न्यायाधीश इस संबंध में निर्णय ले लेंगे।

वकील विशाल तिवारी ने न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अवकाशकालीन पीठ से इस मामले की तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। इसके जवाब में अवकाश के दौरान मामलों को सूचीबद्ध किए जाने की व्यवस्था का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘यह मामला प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा और वह इस पर फैसला करेंगे।’’ कोर्ट ने आगे कहा कि जनहित याचिका में केंद्र और उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, हरियाणा एवं राजस्थान की सरकारों को हिंसक विरोध-प्रदर्शनों को लेकर एक स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।

केंद्र की ‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ सोमवार को उच्चतम न्यायालय में एक अन्य याचिका दाखिल की गई, इस योजना को याचिका में इस स्किम को अवैध व असंवैधानिक बताते हुए कोर्ट से इसे खारिज करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए वर्षों पुरानी चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया है, जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है और इसके लिए संसद की मंजूरी भी नहीं ली गई है।

वहीं केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दाखिल कर अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई या फैसले से पहले उसका पक्ष सुनने का आग्रह किया है। बता दें कैविएट याचिका यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि संबंधित का पक्ष सुने बगैर कोई एकतरफा फैसला न दिया जाए।

आपकों बता दें कि केंद्र सरकार तीनों सेनाओं में जवानों की भर्ती के लिए अग्नीपथ योजना को लेकर आई ही। जिसको लेकर आर्मी में भरती होने वाले युवाओं ने देश में काफी बवाल भी किया। बीते गुरूवार यानी 16 जून 2022 को इस स्किम की घोषणा की गई थी और इस स्किम के तहत भर्ती हुए युवाओं को अग्निवीर के नाम से जाना जाएगा। इस स्किम के तहत जवान 4 साल तक सेना में सेवाएं दे सकेंगे।