जानिए पहले भी शिवसेना पर गहराया है सियासी संकट, ऐसे बना अघाड़ी गठबंधन
गंभीर संकट का सामना कर रही है उद्धव ठाकरे सरकार पर छाये हुए संकट के बादल हटने का नाम नहीं ले रहे। आज शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे और कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे के साथ में शिवसेना और निर्दलीय पार्टी के 40 बागी विधायक आज यानी बुधवार सुबह गुवाहाटी पहुंच गए। मंगलवार को शिंदे इन विधायकों के साथ महाराष्ट्र से गुजरात के सूरत आ गये थे।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शिंदे को सोमवार दोपहर मुख्मंत्री उद्धव के कार्यालय में जाने से रोक दिया गया था, इसके बाद शिंदे ने पार्टी के कुछ विधायकों के साथ महाराष्ट्र छोड़ दिया था। बताया जा रहा था कि इस दौरान उद्धव ने भी एकनाथ शिंदे का फोन नहीं उठाया। मंगलवार शाम शिंदे और उद्धव के बीच करीब 10 मिनट तक बात चली और की हल नहीं निकला।
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इस प्लान के बारे में इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि सूरत जाते समय शिंदे ने अपने साथ कोई सिक्योरिटी नहीं रखी थी। शिंदे के साथ जाने वाले 40 विधायक (शिवसेना के 33 और 7 निर्दलीय) भी है। सूत्रों के मुताबिक माना जा रहा है मुंबई से इन सभी को गुजरात पहुँचाने में BJP के एक बड़े नेता का हाथ है।
मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक अब बताया जा रहा है कि शिवसेना में दूसरे नंबर के और शक्तिशाली नेता व नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने बगावत करने के बारे में पहले से सोच रखा था। यह प्लान सोमवार को हुए विधानपरिषद चुनाव से पहले बनाया गया और चुनाव के दौरान BJP के द्वारा किए गए हंगामे के बाद इसे अमल में लाया गया।। काउंटिंग के दौरान BJP की ओर से क्रॉस वोटिंग के संदेह पर हंगामा किया गया था। इसी का फायदा उठाते हुए महाविकास अघाड़ी के नेता शिंदे और उनके समर्थित विधायकों महाराष्ट्र छोड़कर गुजरात आ गए।
ऐसा नहीं है कि अघाड़ी सरकार इन दिनों संकट में चल रही है, इससे पहले भी महाराष्ट्र में शिवसेना कि सरकार बनने के बाद अघाड़ी गंठबंधन पर मुशकिलें आई हैं। चलिए इसके बारे में हम आपको आगे बताते हैं।
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पहली बार 2019 आया था संकट
असल में इस गठबंधन को अक्सर मुश्किलों के झटके लगते रहे हैं। हिंदुस्तान में छपे एक आर्टिकल के मुताबिक साल 2019 में जब महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव हुए तो शिवसेना और भाजपा के साथ आने की संभावना बताई जा रही थी। माना जा रहा था देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर सीएम होंगे, लेकिन तब तक उद्धव ठाकरे की सियासी महत्वाकांक्षाएं जागी और शिवसेना की शर्तों पर भाजपा राजी नहीं हुई, तो इसका नतीजा यह निकला कि दोनों दल अलग हो गये। इसके बाद महाविकास अघाड़ी गठबंधन बनने में काफी वक्त लगा और इस बीच राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया।
भतीजे ने की चाचा के खिलाफ बगावत
इसके बाद भी सियासी ड्रामा और चला, उस दौरान एनसीपी नेता शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने अपने चाचा के खिलाफ ही बगावत कर दी। इस बीच अजित विधायकों के एक गुट के साथ अलसुबह राजभवन पहुंचे और देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। अजित पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया।
ऐसे बना अघाड़ी गठबंधन
इसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में वह हुआ, जिसके बारे में कभी किसी ने सोचा नहीं था। शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस से हाथ मिलाया। इसके बाद महाराष्ट्र में एक गठबंधन बना जिसको महाविकास अघाड़ी का नाम दिया गया। शरद पवार ने अपना अपना पासा चला और बागी हुए विधायक एक बार फिर से एनसीपी के पाले में आ गए। शपथ लेने के तीन दिन बाद ही फडणवीस को इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद शिवसेना ने सरकार बनाई और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया गया। इस खबर का पूर अपड़ेट जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
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उद्धव ठाकरे कोरोना संक्रमित पाए गये
#WATCH | Mumbai: "Maharashtra CM Uddhav Thackeray has tested positive for #COVID19," says Congress Observer for the state, Kamal Nath. pic.twitter.com/wl22yJkXXt
— ANI (@ANI) June 22, 2022
महाराष्ट्र में चल रहे राजनीति संकट के बीच राज्यपाल कोश्यारी के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इस बात की पुष्टी कांग्रेस नेता कमलनाथ ने करी है। इस बीच शिवसेना विधायक नितिन देशमुख ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ खड़े होने की बात कही है। विधायक नितिन देशमुख ने दावा किया है कि उनका “अपहरण” किया गया था। इसके बाद उन्हें गुजरात ले जाया गया था। जहां से वे भाग कर आए हैं।