आज ABVP का 74वा स्थापना दिवस, आपातकाल में निभाई थी अहम भूमिका
भारत की सबसे बड़ी छात्र संगठन “अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद”(ABVP) अपने 74वें वसंत में प्रवेश कर चुकी है। इस अवसर पर देश के कई हिस्सों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। विद्यार्थी परिषद के स्थापना से लेकर अबतक कई बड़े आंदोलनों में सक्रिय रूप से भूमिका निभाई है। गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी समेत कई दिग्गज भाजपा नेता पूर्व में विद्यार्थी परिषद का हिस्सा रह चुके हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का छात्र संगठन है।
कब हुई थी स्थापना?
ज्ञान, शील और एकता के ध्येय के साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का स्थापना 1948 में किया गया था लेकिन इसका औपचारिक पंजीयन 9 जुलाई 1949 में हुआ। इसके प्रथम राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. ओम प्रकाश बहल बने और आचार्य गिरीराज किशोर प्रथम पूर्णकालिक बने। प्रो. यशवंत केलकर 1958 में पहले मुख्य कार्यवाहक की जिम्मेदारी संभाली। इस संगठन के जड़ को मजबूत करने का श्रेय प्रो. यशवंत केलकर को ही दिया जाता है। 1974 में प्रो. बाल आपटे को परिषद का अध्यक्ष चुना गया तो इनके मार्गदर्शन में पूरे देश मे संगठन का प्रचार प्रसार हुआ। माना जाता है कि यह कालखंड विद्यार्थी परिषद का स्वर्णकाल था। 1975 में लगे आपातकाल में भी परिषद ने अहम भूमिका निभाई थी। वर्तमान में 30 लाख से अधिक सदस्य इस संगठन से जुड़े है।
धारा 370 और आपातकाल के विरोध में अहम भूमिका
बिहार में जाननायक जयप्रकाश नारायण के द्वारा शुरू किया गया “सम्पूर्ण क्रांति” में परिषद के छात्रों ने भाग लिया था। रविशंकर प्रसाद, सुशील कुमार मोदी जैसे नेता उस समय आंदोलन का हिस्सा रहे थें। जब 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के द्वारा आपातकाल लगाया गया था, उस समय भी देश के विभिन्न हिस्सों में परिषद से जुड़े सदस्यों ने आंदोलन को जीवंत बनाये रखने के लिए अहम भूमिका निभाई थी। आपातकाल के समय परिषद के लगभग 10 हज़ार से अधिक कार्यकर्ताओ को जेल में डाल दिया गया था। इसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू जैसे दिग्गज नेता है। उस वक़्त ये सभी नेता परिषद से जुड़े हुए थे।
कश्मीर से धारा 370 हटाने को लेकर सबसे बड़ा आंदोलन विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने ही किया था। 11 सितंबर 1990 को परिषद के 10 हज़ार से अधिक कार्यकर्ता कश्मीर पहुँचे थे। उन्होंने उस वक़्त कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया था। कई कार्यकताओं की गिरफ्तारी भी हुई थी। परिषद के सदस्यों का नारा था “जँहा हुए बलिदान मुखर्जी, वो कश्मीर हमारा है”।
सामाजिक कार्य भी करता है परिषद
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद सिर्फ एक छात्र संगठन नहीं है, जो देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में छात्र राजनीति करता है बल्कि सामाजिक तौर पर भी परिषद का अहम योगदान रहता है। परिषद के द्वारा निःशुल्क शिक्षा शिविर का आयोजन किया जाता है। जिसका उद्देश्य वैसे निर्धन मेधावी छात्रों की शैक्षणिक मदद करना है, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए निजी कोचिंग संस्थान में नहीं जा सकते हैं। इसके अलावा छात्रों को सामाजिक कार्यों से जोड़ने के लिए परिषद के द्वारा “स्टूडेंट्स फ़ॉर सेवा” नाम से एक कार्यक्रम चलाया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत छात्र समूहों को गरीब बस्तियों और अन्य पिछड़े इलाक़ो को गोद लेने के लिए प्रेरित किया जाता है।
माना जाता है कि भारत का पूर्वोत्तर राज्यों को हमेसा मुख्य धारा से अलग करके रखा जाता है। इसी भ्रम को दूर करने के लिए परिषद के द्वारा “स्टूडेंट्स एक्सपीरियंस इन इंटर स्टेट लिविंग” नाम से एक कार्यक्रम चलाया जाता है। जिसके तहत पूर्वोत्तर राज्यों के छात्रों को दूसरे राज्यों की यात्रा करवाई जाती है तो वहीं दूसरे राज्यों के छात्रों को पूर्वोत्तर राज्यों की यात्रा करवाई जाती है। इस कार्यक्रम का शुरुवात वर्ष 1965-66 में किया गया था।
इसके अलावा विद्यार्थी परिषद के द्वारा देश मे कही भी कोई आपदा आती है तो परिषद के कार्यकर्ताओं के द्वारा लोगों की मदद की जाती है। इस वक़्त असम में आये भयंकर बाढ़ में भी परिषद के कार्यकर्ताओं के द्वारा पीड़ित लोगों की मदद किया जा रहा है। वहीं महिला सशक्तिकरण को लेकर भी विद्यार्थी परिषद के द्वारा कई कार्यक्रम चलाया जाता है। जिसके तहत छात्राओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाता है।
परिषद से निकले यह दिग्गज नेता
अखिल विद्यार्थी परिषद से जुड़े कई लोगों ने राष्ट्रीय राजनीति और देश को दिशा दी। उपराष्ट्रपति एम्. वेंकैय्या नायडू, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, नितिन गडकरी, धर्मेंद्र प्रधान, रविशंकर प्रसाद, गिरिराज सिंह, अश्विनी चौबे, वी. मुरलीधरन ने जहां केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर काम कर रहे हैं तो वहीं योगी आदित्यनाथ, जयराम ठाकुर, शिवराज सिंह चौहान, देवेन्द्र फणनवीस, पुष्कर सिंह धामी तथा सुशील कुमार मोदी ने अपने-अपने राज्यों में शीर्ष पद को संभाला हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी विद्यार्थी परिषद से नाता रहा है।