सुप्रीम कोर्ट ने बुल्डोजर कार्रवाई पर रोक लगाने से किया इनकार
उत्तर प्रदेश में हुई बुलडोजर कार्यवाही के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के आदेश पर निगम के द्वारा की गई बुलडोजर कार्यवाही को पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि “वो अवैध निर्माण तोड़फोड़ करने की प्रक्रिया में सामान्य प्रतिबंध का आदेश जारी नहीं कर सकते। इससे स्थानीय निकायों यानी नगर निकायों के अधिकारों में कटौती हो जाएगी”।
वहीं, इस मामले में 10 अगस्त को अगली सुनवाई होनी है। गुजरात और मध्य प्रदेश को भी नोटिस जारी किया गया है। वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे कानपुर/ प्रयागराज प्रशासन की तरफ से कोर्ट में पेश हुए थे, तो SG तुषार मेहता यूपी सरकार की तरफ से कोर्ट में आए थे।
इसके अलावा बुल्डोजर कार्रवाई के खिलाफ याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील दवे ने बताया कि “असम में हत्या के आरोपी का घर गिराया गया, लेकिन ये रुकना चाहिए, इस मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है”। प्रधान पब्लिक प्रोसेक्यूटर (SG) तुषार मेहता ने बहस शुरू कर कहा कि कुछ जगह घरों को गिराया गया है, लेकिन नियमों के मुताबिक-हिंसा के पहले कानूनी करवाई शुरू की गई थी। साथ मेहता ने कहा कि इस विषय को सनसनीखेज न बनाया जाए। इस मामले में सुनवाई 8 अगस्त को करने की बात भी कही।
कोर्ट में इस मामले पर दवे ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार पिक एंड चूज पॉलिसी अपनाई जा रही है, एक समुदाय को निशाना बना रही है। मेहता ने आपत्ति जाहिर करते हुए कहा सभी भारतीय समुदाय के हैं। आप इस तरह के बहस नहीं कर सकते। इस पर दवे ने पलटवार करते हुए कहा कि आप देखें कि दिल्ली में सभी फार्म हाउस लगभग अवैध हैं, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। दवे ने कहा कि आप रोक का आदेश दें, कोर्ट ने कहा कि इस तरह का आदेश कैसे दे सकते हैं?
उधर जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि नगर निगम के अधिकारियों द्वारा कार्रवाई करने पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं हो सकता, लेकिन मामले के आधार पर इसकी जांच की जानी चाहिए। सीयू सिंह ने कहा जमीयत ने याचिका दायर की थी, क्योंकि यह मुद्दा पूरे देश में हो रहा है।