ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग की पूजा करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इजाजत देने से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट में आज ज्ञानवापी विवाद को लेकर शिवलिंग की पूजा के अधिकार को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने याचिकाकर्ता राजेश मणि त्रिपाठी से कहा कि वह वाराणसी की जिला कोर्ट में जाएं, हमने मामला का तबादला वहां कर दिया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को मस्जिद परिसर में शिवलिंग की पूजा करने की इजाजत देने और उसकी कार्बन डेटिंग की मांग को भी सुनने से भी इनकार कर दिया।
The apex court has adjourned the hearing of the case to the first week of October.@AneeshaMathur ; @sanjoomewati https://t.co/VtUyOKqq6c
— IndiaToday (@IndiaToday) July 21, 2022
मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, और जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस नरसिम्हा की पीठ के द्वारा की गई। जस्टिस चंद्रचूड़ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमारे पिछले आदेश के बाद अभी वाराणसी की जिला जज की कोर्ट में मेंटेनिबिलिटी पर सुनवाई जारी है और उसी के आदेश पर आगे की कार्रवाई निर्भर होगी।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी विवाद की सुनवाई अक्तूबर के पहले हफ्ते तक के लिए टाल दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह तब तक इंतजार करेगी कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका पर जिला कोर्ट क्या फैसला लेती है। आपको बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद यूपी के वाराणसी में बाबा विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है। इसे लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि यहां मंदिर था, जिसे मुगलकाल में तोड़कर मस्जिद बना दिया गया।
#SUPREMECOURT today :
1) REFUSES to entertain the plea seeking carbon dating of the Shivling reported to be discovered in the Gyanvapi mosque.
2) BEGINS hearing the case challenging the survey report of the court-appointed Commission to Varanasi's Gyanvapi mosque.
— Varadraj Adya (@varadadya) July 21, 2022
सुप्रीम कोर्ट में ऐसे हुई सुनवाई
याचिकाकर्ता : हम शिवलिंग की पूजा की अनुमति चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट : जब निचली अदालत में सुनवाई लंबित है, तो आप सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? सिविल केस की सुनवाई की एक प्रक्रिया होती है। बेहतर है आप याचिका वापस ले लें।
वकील हरिशंकर जैन: श्रद्धालु महिलाओं की तरफ से जैन ने शिवलिंग के कार्बन डेटिंग की मांग रखी।
जस्टिस चंद्रचूड़- आप अनुभवी वकील हैं। आप जानते हैं कि इस तरह सीधे सुनवाई नहीं हो सकती। यह बातें निचली अदालत में रखिए। जिसे जो भी कहना है, वाराणसी के जिला जज की कोर्ट में कहे।
हरिशंकर जैन : याचिका वापस लेने की अनुमति दे दीजिए।