दिनेश गुणवर्धने बने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री, प्रदर्शनकारियों का आंदोलन है जारी
आर्थिक और सियासी संकट के बीच दिनेश गुणवर्धने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं। राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। गुणवर्धने एजुकेशन मिनिस्टर रह चुके हैं। उन्हें साल 2020 के संसदीय चुनाव के बाद विदेश संबंध मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। वे रानिल विक्रमसिंघे के सहपाठी रहे हैं।
⚡️BREAKING NEWS
Senior politician Dinesh Gunawardena on Friday took over as Sri Lanka’s prime minister as President Ranil Wickremesinghe swore in his new Cabinet.#President #election #RanilWickremesinghe #SriLankacrisis #politicalcrisis #Gunawardena pic.twitter.com/bfX4ScKFD6
— International Crisis Room 360 (@ICR360) July 22, 2022
इधर, रानिल विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनने के बाद भी श्रीलंका में शांति में बहाली नहीं हुई है। उन्हें गोटबाया का मोहरा बताते हुए प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन और तेज कर दिया है। गुरुवार देर रात कोलंबो में श्रीलंका के राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर के बाहर, गाले फेस में फोर्स और सैकड़ों प्रदर्शनकारी आमने-सामने हो गए।
President Ranil Wickremesinghe after taking oaths as Sri Lanka's 8th Executive President pic.twitter.com/Mjr64SrVCr
— NewsWire ?? (@NewsWireLK) July 21, 2022
राष्ट्रपति सचिवालय के परिसर के बाहर प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए सशस्त्र सैनिकों को तैनात किया गया था। प्रदर्शन को कंट्रोल करने के लिए सैनिकों ने प्रदर्शनकारियों के टेंट उखाड़ना शुरू कर दिए तो वे उग्र हो उठे। गाले फेस पर प्रदर्शनकारी जमा हो गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।
प्रदर्शनकारियों ने कहा- रानिल विक्रमसिंघे हमें नष्ट करना चाहते हैं, वे फिर से ऐसा कर रहे हैं, लेकिन हम कभी हार नहीं मानेंगे। सशस्त्र बलों की कार्रवाई के बीच एक प्रदर्शनकारी ने कहा- हम अपने देश को ऐसी घटिया राजनीति से मुक्त बनाना चाहते हैं।
A cowardly assault against PEACEFUL protestors, who agreed to vacate the sites today; A useless display of ego and brute force putting innocent lives at risk & endangers Sri Lanka’s international image, at a critical juncture. https://t.co/E6g9lEUgV1
— Sajith Premadasa (@sajithpremadasa) July 22, 2022
आर्थिक और सियासी संकट के बीच श्रीलंका की पार्लियामेंट ने 20 जुलाई को पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति चुना। बावजूद इसके सड़कों पर अब भी विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि राजपक्षे परिवार ने अपने मोहरे के रूप में विक्रमसिंघे को गद्दी पर बैठाया है। इससे हालात नहीं बदलने वाले हैं। उन्होंने कहा कि अपनी गद्दी को बचाने के लिए राजपक्षे कुनबे ने विक्रमसिंघे के साथ डील की है। ये लोगों के साथ धोखा है।
गॉल फेस कोलंबो के प्रोफेसर एमजी थाराका का कहना है कि पिछले तीन महीनों के दौरान सरकार में शामिल नेताओं ने हालात सुधारने के लिए कई बातें की ओर दावे किए, लेकिन जमीनी हालात सुधरे नहीं हैं। अब लोगों का राजपक्षे परिवार और उनके द्वारा बैठाए गए किसी भी नेता पर कोई भरोसा नहीं है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका के राष्ट्रपति पद पर बैठकर राजपक्षे परिवार खुद को आरोपों से बचाना चाहता है।