फटाफट लोन देकर लोगों को फंसाने वाले ऐप्स से हो जाए सावधान
भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया था। लेकिन लॉकडाउन ने कई लोगों के सामने वित्तीय संकट पैदा कर दिया। महीनों तक चले लॉकडाउन ने कई बने-बनाए स्थापित कारोबार को बर्बाद कर दिया। लॉकडाउन की वजह से लोगों की आर्थिक स्थिति भी चरमरा गई। ऐसे में लोगों ने उन ऐप्स का रुख़ किया जो ‘इंस्टेंट-लोन’ यानी फ़टाफ़ट से लोन देने का दावा करते हैं।
लोगों को आसानी से लोन तो मिल गया, लेकिन पैसा नहीं लौटाने पर लगभग हर रोज़ ही लोन-रिकवरी एजेंट के नाम से उनके पास फ़ोन आते। इन एजेंट्स के नाम अलग-अलग होते लेकिन उनका काम एक ही होता। कॉल करने के साथ ही वो उन पर चिल्लाने लगते। कई बार वो धमकी तक दे देते और बहुत बार अपमानजनक शब्दों का भी इस्तेमाल करते।
“अगर आज अपने पैसों का भुगतान नहीं किया तो मैं आपके दोस्तों और रिश्तेदारों को कॉल करने जा रहा हूं। इसके बाद, आपको अफ़सोस होगा कि आपने कभी लोन लेने का फ़ैसला किया था।”
यहां हर तरह के लोन उपलब्ध थे। जैसे महज़ 150 डॉलर यानी क़रीब दस हज़ार रुपये का लोन और सिर्फ़ 15 दिनों के लिए. इन ऐप्स ने लोन देने के लिए वन-टाइम-प्रोसेसिंग फ़ीस भी ली। हालांकि ये वन-टाइम-प्रोसेसिंग फ़ीस ब्याज दर की तुलना में तो कुछ भी नहीं थी क्योंकि लोन देने वाले इन ऐप्स ने कई बार 30% से भी अधिक के इंटरेस्ट रेट पर लोन दिया। अगर इस इंटरेस्ट रेट की तुलना भारतीय बैंकों के इंटरेस्ट रेट से करें तो यह कम से कम 10 से 20% अधिक है।
दूसरी समस्या ये भी कि इनमें से कुछ ऐप्स जहां भारतीय बैंक के लिए निर्धारित मानकों के अनुसार काम करते हैं तो कुछ इन मानकों के तहत वैध नहीं पाए गए।
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