एससीओ समिट में गूंजा आतंकवाद का मुद्दा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कड़ा संदेश देकर पाकिस्तान को चेताया
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने और इसके सभी रूपों में खतरे को खत्म करने का आह्वान किया है।
ज्बेकिस्तान के ताशकंद में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद सहित किसी भी रूप में आतंकवाद, किसी के द्वारा और किसी भी उद्देश्य के लिए, मानवता के खिलाफ एक अपराध है।
राजनाथ सिंह ने कहा, “आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक है। भारत सभी प्रकार के आतंकवाद से लड़ने और क्षेत्र को शांतिपूर्ण, सुरक्षित एवं स्थिर बनाने के अपने संकल्प को दोहराता है। हम एससीओ सदस्य देशों के साथ संयुक्त संस्थागत क्षमताओं को विकसित करना चाहते हैं, जो प्रत्येक देश की संवेदनशीलता का सम्मान करते हुए व्यक्तियों, समाजों तथा देशों के बीच सहयोग की भावना पैदा करे।”
इस संदर्भ में रक्षा मंत्री ने 2023 में एससीओ सदस्य राज्यों के रक्षा मंत्रालयों के लिए ‘मानवीय सहायता एवं आपदा राहत – जोखिम शमन एवं आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचा’ विषय पर भारत में एक कार्यशाला की मेजबानी करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने एससीओ देशों के रक्षा थिंक टैंकों के बीच ‘रुचि के विषय’ पर एक वार्षिक संगोष्ठी के आयोजन का सुझाव भी दिया। उन्होंने कहा, “हम 2023 में भारत में इस तरह का पहला ऐसा रक्षा थिंक टैंक सेमिनार आयोजित करने का प्रस्ताव रखते हैं।”
राजनाथ सिंह ने एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित एवं स्थिर अफगानिस्तान के लिए भारत के पूर्ण समर्थन की बात कही, साथ ही यहां के आंतरिक मामलों में इसकी संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता, राष्ट्रीय एकता में हस्तक्षेप न करने पर जोर दिया। उन्होंने सभी पक्षों से अफगानिस्तान सरकार के अधिकारियों को बातचीत के माध्यम से राष्ट्रीय सुलह हासिल करने और देश में एक व्यापक, समावेशी तथा प्रतिनिधि राजनीतिक संरचना स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। उन्होंने इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्तावों के महत्व को रेखांकित किया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह और प्रशिक्षण प्रदान करके तथा वित्तीय सहायता के माध्यम से उनकी गतिविधियों का समर्थन करके किसी भी देश को डराने या हमला करने के लिए अफगान ज़मीन का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने अफगानिस्तान के लोगों को तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करने और उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता पर बल दिया।
यूक्रेन की स्थिति पर भारत की चिंता व्यक्त करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नई दिल्ली इस संकट को हल करने के लिए रूस और यूक्रेन के बीच वार्ता का समर्थन करती है। भारत यूक्रेन और उसके आसपास के मानवीय संकट को लेकर चिंतित है। हमने मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और रेड क्रॉस की अंतर्राष्ट्रीय समिति (आईसीआरसी) के प्रयासों के लिए अपना समर्थन प्रदान किया है।
राजनाथ सिंह ने एससीओ देशों के साथ भारत के सदियों पुराने संबंधों पर भी प्रकाश डाला, उन्होंने बताया कि संगठन के सदस्य देश क्षेत्र की प्रगति और समृद्धि में सामान्य हितधारक हैं। उन्होंने कहा, “बहुपक्षवाद में अटूट विश्वास के कारण भारत एससीओ को उच्च प्राथमिकता देता है। एससीओ सदस्य देशों के साथ द्विपक्षीय रूप से और संगठन के ढांचे के भीतर समानता, सम्मान और आपसी समझ के आधार पर संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता है।” रक्षा मंत्री ने सभी एससीओ सदस्य देशों को अगले साल भारत आने के लिए आमंत्रित किया जब नई दिल्ली उज्बेकिस्तान से संगठन की अध्यक्षता संभालेगी।