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पांच और राज्यों ने आंशिक ऊर्जा सुधारों को अपनाया, 2,094 करोड़ रुपए की अतिरिक्त उधारी मिली

सुधारों से जुड़ी अतिरिक्त उधारी की अनुमति राज्यों में ऊर्जा क्षेत्र में सुधारों को गति प्रदान कर रही है। सुधार प्रक्रिया के हिस्से के रूप में पांच और राज्यों बिहार, गोवा, कर्नाटक, राजस्थान और उत्तराखंड ने ऊर्जा मंत्रालय द्वारा तय किए गए सकल तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीएंडसी) हानियों में कमी अथवा औसत आपूर्ति लागत औरऔसत राजस्व प्राप्ति (एसीएस-एआरआर) में अंतर को कम करने के लक्ष्य को सफलतापूर्वक हासिल किया है।

वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा ऊर्जा क्षेत्र के लिए निर्धारित तीन सुधारों में से दो – एटीएंडसी हानियों और एसीएस-एआरआर में अंतर में कमी लाना हैं। राज्योंको अतिरिक्त उधारी की सीमा का एक हिस्सा ऊर्जा क्षेत्र में सुधारोंको अपनाने से जुड़ा है।

एटीएंड सी हानियों में कमी के राज्य के लिए निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने पर सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.05 प्रतिशत के बराबर राशि और एसीएस-एआरआर में अंतर में कमी का लक्ष्य हासिल करने पर अतिरिक्त जीएसडीपी के 0.05 प्रतिशत राशि की अतिरिक्त उधारी लेने की राज्योंको अनुमति प्रदान की जाती है।

उत्तराखंड ने एटीएंडसी हानियों और एसीएस-एआरआर अंतर में कमी के दोनों लक्ष्यों को हासिल किया है। राज्य में एटीएंडसी हानियां 19.35 प्रतिशत के लक्ष्य के विरुद्ध 19.01 प्रतिशत कम हो गई हैं। एसीएस-एआरआर में अंतर राज्य में प्रति इकाई 0.40 के लक्ष्य के मुकाबले 0.36 रुपए प्रति यूनिट तक कम हो गया है। गोवा ने एटीएंडसी हानियां 13.53 के लक्ष्य के विरुद्ध 11.21 प्रतिशत तक कम कर दी हैं।

कर्नाटक ने एसीएस-एआरआर में अंतर के 0.50 रुपए प्रति यूनिट के लक्ष्य कोपारकर 0.44 रु. प्रति यूनिट तक कम कर दिया है। राजस्थान ने एसीएस-एआरआर के अंतर में कमी के लक्ष्य को प्राप्त किया है। उसने 1.40 रु. प्रति यूनिट के लक्ष्य के मुकाबले इसे 1.16 रु. प्रति यूनिट तक कम कर दिया है। इसी प्रकार से बिहार ने एसीएस-एआरआर के अंतर में दस प्रतिशत की कमी कर इस लक्ष्य को हासिल किया है।

सुधार को सफलतापूर्वक पूरा करने पर पांच राज्य 2,094 के अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने के पात्र हो गए हैं। व्यय विभाग ने इसके लिए उन्हें अनुमति जारी कर दी है। इससे इन राज्यों को कोविड-19 महामारी से मुकाबले और मांग को गति देने के लिए पूंजी व्यय बढ़ाने के लिए अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों की प्राप्ति हो गई है जिसकी कि बहुत अधिक जरूरत थी।

इन पांच राज्यों के अतिरिक्त आन्ध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश ने ऊर्जा क्षेत्र में पांचवें सुधार पर अमल किया है जो किसानों को बिजली सब्सिडी के सीधे नकद हस्तांतरण (डीबीटी) से जुड़ा है। परिणामस्वरूप इन दोनों राज्यों को उनके जीएसडीपी के 0.15 प्रतिशत के बराबर 2,938 करोड़ रुपए की अतिरिक्त उधारी लागत की अनुमति दी गई है। इस तरह से ऊर्जा क्षेत्र में सुधारोंको अमल में लाने वाले सात राज्योंको अब तक 5,032 करोड़ रुपए की अतिरिक्त उधारी लागत की अनुमति दी गई है।


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