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भारत की भू-स्थानिक अर्थव्यवस्था के वर्ष 2025 तक 63 हजार एक सौ करोड़ रुपये से अधिक होने आशा: जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत की भू-स्थानिक अर्थव्यवस्था 12.8 फीसदी की वृद्धि दर से 2025 तक 63,100 करोड़ रुपये के आकंड़े को पार करने की उम्मीद है।उन्होंने कहा किभू-स्थानिक तकनीक उत्पादकता बढ़ाने, टिकाऊ अवसंरचना योजना सुनिश्चित करने, प्रभावी प्रशासन और कृषि क्षेत्र की सहायता करके सामाजिक-आर्थिक विकास में एक प्रमुख सहायक बन गई है।

उन्‍होंने कहा किमोदी सरकार भारत में समाज के हर वर्ग को लाभान्वित करने के लिए कई क्षेत्रों में भू-स्थानिक अनुप्रयोगों के दायरे का विस्तार करनेमें लगातार एक सहायक की भूमिका निभा रही है।

केंद्रीय मंत्री ने 10-14 अक्टूबर, 2022 तक हैदराबाद में होने वाली आगामी दूसरी संयुक्त राष्ट्र विश्व भू-स्थानिक सूचना कांग्रेस (यूएनडब्ल्यूजीआईसी) के बारे में मीडिया को जानकारी दी। डॉ. सिंह ने कहा किदूसरी यूएनडब्ल्यूजीआईसी अपना महत्व रखती है, क्योंकि यह समाज को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने के लिए भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल के अनुरूप है।उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाई-शासन और उपलब्ध संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए स्थान-आधारित/जीआईएस-आधारित निर्णय लेने की सुविधा की परिकल्पना करती है।

इस सम्मेलन में 2,000 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इनमें लगभग 120 देशों के 700 से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि शामिल होंगे।इसके अलावा इस भू-स्थानिक कांग्रेस मेंभारतीय सर्वेक्षण विभाग जैसी राष्ट्रीय मानचित्रण एजेंसियां (एनएमए), जिसका 255 वर्षों का गौरवशाली इतिहास है, वरिष्ठ अधिकारी, गैर-सरकारी संगठन, अकादमिकव उद्योग क्षेत्र, पूरे विश्व केउपयोगकर्ता व निजी क्षेत्र हिस्सा लेंगे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा किपिछले आठ वर्षों मेंभारत अपने नागरिकों के लिए बुनियादी और जरूरीअवसंरचनाएवं सुविधाओं के विकास की दिशा में प्रयास कर रहा है।उन्होंने कहा किप्रधानमंत्री मोदी के नए भारत की सोच के तहतसरकार जल, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छता, आवास और सभी के लिए बुनियादी ढांचे जैसे प्रमुख मुद्दों पर बात करती है।उन्‍होंने कहा कि भू-स्थानिक सूचना और प्रौद्योगिकियों की शक्ति का लाभ उठाने से देश को अपने बहुआयामी वित्तीय विकास लक्ष्यों व सतत विकास को तेजी से पूरा करने में सहायता मिलेगी।

डॉ. सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत जिस तरह से इस तकनीक को अपना रहा है और इसमें आगे बढ़ रहा है, उस पर भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी और भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालने जा रही है।उन्होंने कहा किविश्व इसके लिए भारत की ओर देख रहा है कि वह कैसे कुछ प्रमुख मानवीय और स्थिरता समस्याओं से निपटने के लिए तकनीक का उपयोग कर रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने भू-स्थानिक की भूमिका और व्यापकताको रेखांकित किया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “जनसांख्यिकी, स्वास्थ्य सुविधाओं और टीकाकरण केंद्रों जैसे अन्य डेटा के साथ सटीक वरियल टाइम की भू-स्थानिक जानकारी ने हमें कोविड-19 महामारी आपातकाल के खिलाफ प्रभावी ढंग से निपटने में बहुत सहायता की है।”उन्होंने कहा कि सरकार विकास योजनाओं की बेहतर योजना और कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए पूरे ग्रामीण क्षेत्र का डिजिटलीकरण व मानचित्रण कर रही है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मानचित्र की 21 डेटा परतों का उपयोग करके 45 लाख किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कों का मानचित्रण किया है,जिसने प्रशासनिक उद्देश्यों के लिए जरूरी जल निकायों, हरित क्षेत्रों, भूखंडों और अन्य संरचनाओं से संबंधित विवरण का डिजिटलीकरण किया है।उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने लगभग 2.6 लाख ग्राम पंचायतों को मानचित्रण और डिजिटलीकरण की योजना के तहत कवर किया गया है।

केंद्रीय मंत्री ने नीतिगत सुधारों के पहलुओं की ओर ध्यान खींचा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय भू-स्थानिक व मानचित्रण एजेंसियों, वाणिज्यिक क्षेत्र व उपयोगकर्ता उद्योगों की महत्वपूर्ण भूमिका को चिह्नित करते हुएभारत विभिन्न नीतिगत सुधारों के माध्यम से सार्वजनिक-निजी भागीदारी के लिए एक अनुकूल वातावरण और समन्वय विकसित कर रहा है। उन्होंने कहा किभू-स्थानिक डेटा के लिए दिशानिर्देश, ड्रोन नियम- 2021और मसौदा नीतियां (भू-स्थानिक, रिमोट सेंसिंग व सैटेलाइट नेविगेशन) देश के भीतर योजना और निगरानी जरूरतों के लिए भू-स्थानिक डेटा और सूचना के उपयोग का उदारीकरण, लोकतंत्रीकरण और व्यावसायीकरण करेंगे।