ये हैं जापानी कर्मचारियों की लाइफ, काम के बोझ से ऐसा हो जाता है हाल
जापान में ऑफिस वर्कर को सेलरीमैन कहा जाता है। उन्हें हफ्ते में हर दिन 12-13 घंटे काम करना पड़ता है।
जापान में आमतौर पर 5 दिनों का वर्क वीक होता है, लेकिन कई दफ्तरों में 6 दिन काम होता है और ज्यादातर कर्मचारियों को छुट्टी के दिन भी काम से जुड़ी जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं।
काम के बोझ से ऐसा हो जाता है हाल:
-जापान में तो कभी-कभी लोगों को दिन में 18-20 घंटे तक काम करना पड़ता है। वे रात को 2 बजे घर पहुंचते हैं और फिर सुबह काम पर निकल जाते हैं।
-वहां काम का दबाव इतना ज्यादा है कि इसके चलते हर साल औसतन 100 लोगों की मौत हो जाती है। जापान में सरकारी स्तर पर काम के बोझ को मौत की एक वजह के रूप में मान्यता दी गई है। वहां ओवर वर्क से हुई मौत को कारोशी कहा जाता है।
-चेक गणराज्य की राजधानी प्रॉग में जन्मे डेविड टेसिन्स्की ने ऐसे ही लोगों पर आधारित अपनी फोटो सीरीज को ‘द मैन मशीन’ नाम दिया है।
– बरसों तक उनका एक ही रुटीन रहता है। सुबह काम पर निकलना, दिनभर काम, फिर ओवरटाइम, उसके बाद सहकर्मियों के साथ बातचीत, ड्रिंक्स और फिर देर रात घर वापसी। अगली सुबह फिर वही रुटीन।
-जापान में ज्यादातर लोग बस, ट्रेन जैसी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था का इस्तेमाल करते हैं। टैक्सी लेना या खुद की कार रखना बहुतों के बूते की बात नहीं होती। यही वजह है कि देर रात को जब बस और ट्रेन बंद हो चुकी होती हैं, कई वर्कर सड़क किनारे ही सो जाते हैं।
-लोग सड़कों पर भूत की तरह चलते हैं- अपने में खोए-खोए, उनींदी आंखों के साथ। कई लोग खड़े-खड़े सोते मिले।
-हर कोई यही कहता है कि बस 5 साल इस तरह काम कर लूं, फिर फलां पोजीशन पर पहुंच जाऊंगा। हालांकि यह दौड़ कभी खत्म नहीं होती।