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बंगाल में दीदी को लगा डर, तो लिख दिया पीएम मोदी को पत्र

भाजपा के आक्रमण से परेशान टीएमसी सुप्रीमो व पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी छोटे-छोटे समीकरणों पर ध्‍यान दे रही हैं। वैसे समीकरण जो उन्‍हें पराजित तो नहीं कर सकते हैं मगर गहरे प्रभावित कर सकते हैं। इस कड़ी में झारखण्‍ड के मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन का पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में घुसपैठ दीदी को डरा रही है।

झामुमो से ममता की असली चिंता की वजह आदिवासी वोटों को लेकर है। झारखण्‍ड सीमा से लगे अनेक विधानसभा क्षेत्र हैं या भीतरी इलाकों में भी कुछ क्षेत्र हैं जहां आदिवासी हैं। झामुमो की पहचान ही आदिवासियों को लेकर है। हाल में जब जनगणना के कॉलम में सरना आदिवासी धर्म कोड को स्‍थान देने के मामले में हेमन्‍त ने नेतृत्‍व किया तो देश के आदिवासियों के बीच उनकी पहचान बनी।

झामुमो की चुनावी सभा को ज्‍यादा दिन नहीं हुए ममता बनर्जी को भी सरना आदिवासी को लेकर चिंता जाहिर करनी पड़ी। या कहें कि आदिवासी कार्ड खेलना पड़ा ताकि उनके गढ़ के आदिवासी उनके साथ रहें, दामन न छोड़ें। इसी माह के प्रारंभ में अलीपुरदुआर में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जनगणना में सरना आदिवासी को अलग धर्म कोड पर हम आपके साथ हैं। मैंने भी केंद्र सरकार को इस संबंध में पत्र लिखा है। मगर जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड के मसले पर ममता ने केंद्र को कब पत्र लिखा इसका खुलासा नहीं किया।

आदिवासी बहुत क्षेत्रों में ममता यह रिकार्ड बजाती रहती हैं। समय के साथ तस्‍वीरें स्‍पष्‍ट होंगी कि झामुमो और दीदी के बीच दूरियां मिटती हैं या नहीं। आदिवासी ममता को खुद के कितना करीब महसूस कर पाते हैं। पश्चिम बंगाल में करीब छह प्रतिशत जनजातीय आबादी है और 294 में 16 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। दूसरे क्षेत्र में भी आदिवासी हैं। ऐसे में दीदी के लिए आदिवासियों का मतलब तो है ही।

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