कृषि मेला चंबल-ग्वालियर अंचल के लिए मील का पत्थर साबित होगा: तोमर
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा मुरैना में आयोजित 3 दिनी वृहद कृषि मेला, प्रदर्शनी व प्रशिक्षण कार्यक्रम आज संपन्न हुआ। तीसरे व अंतिम दिन भी हजारों किसानों ने इसमें शिरकत की।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस कृषि मेले में हजारों किसानों को प्रशिक्षण देकर उनका मार्गदर्शन करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) सहित देशभर के कृषि संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिकों का धन्यवाद दिया एवं आयोजन में सहयोग के लिए म.प्र. शासन व जिला प्रशासन के साथ ही केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों तथा स्टाल लगाने के लिए विभिन्न कृषि संस्थानों तथा कंपनियों का भी आभार माना। श्री तोमर ने कहा कि हमारा देश और चंबल क्षेत्र भी कृषि प्रधान है। हम कृषि को जितना ताकतवर बनाएंगे, उतना ही ताकतवर देश व चंबल क्षेत्र भी बनेगा। कृषि की अर्थव्यवस्था में इतनी ताकत है कि देश पर कभी भी कोई संकट आएं तो कृषि क्षेत्र उससे देश को उबार सकता है।
तोमर ने कहा कि पहले कृषि संबंधित योजनाएं उत्पादन केंद्रित थी लेकिन आज किसानों की आय बढ़ाने से संबंधित नीतियां अपनाई जा रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जबसे कहा कि किसानों की आमदनी दोगुना से अधिक होनी चाहिए, तबसे केंद्र व राज्य सरकारों और किसानों, सभी ने मिलकर इस दिशा में प्रयास किए है। श्रीनगर (कश्मीर) में केसर की खेती होती है, वहां के किसान पहले एक लाख रु. किलो केसर बेचते थे, वहां केंद्र सरकार ने केसर पार्क विकसित किया व सुविधाएं बढ़ाई तो अब केसर दो लाख रु. किलो के भाव बिकती है। प्रधानमंत्री के विजन के फलस्वरूप किसानों की आय दोगुना से लेकर आठ गुना तक बढ़ी है। हमारे कृषि वैज्ञानिकों ने देशभर के 75 हजार किसानों का डॉक्यूमेंटेशन किया है, जो सार्वजनिक है। किसान खुद कह रहे हैं कि मोदी सरकार के बाद उनकी आमदनी दोगुना से अधिक बढ़ी है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि खेती की लागत कम हो और किसानों की आमदनी बढ़ती रहे। उत्पादों की गुणवत्ता भी उच्च किस्म की होनी चाहिए। खेती में पानी का कम उपयोग होना चाहिए, सूक्ष्म सिंचाई की ओर ज्यादा जाना चाहिए। खेती में यूरिया, डीएपी का कम उपयोग हों, वहीं बायोफर्टिलाइजर एवं नैनो यूनिया का इस्तेमाल बढ़ना चाहिए। जैविक व प्राकृतिक खेती की ओर जाना चाहिए। प्राकृतिक खेती से गायों की उपयोगिता भी बढ़ेगी।
गोबर-गौमूत्र से फर्टिलाइजर बनाएंगे तो पैसा बचेगा व इससे जो उत्पादन होगा, वह स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होगा। श्री तोमर ने कहा कि देश में 86 फीसदी छोटे किसान हैं, जिनके उत्थान के लिए सरकार ने 10 हजार नए एफपीओ गठित करने की योजना बनाई है और 6,865 करोड़ रु. के खर्च से इस दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। तिलहन की कमी को पूरा व आयात निर्भरता कम करने के लिए सरकार ने ऑयल पाम मिशन बनाया, जिस पर 11 हजार करोड़ रु. खर्च किए जाएंगे।
तोमर ने क्षेत्र के किसानों का आह्वान करते हुए कहा कि किसानों को आज पानी की नहीं, ज्ञानी की जरूरत है, जो कि चंबल के क्षेत्र में देशभर से आए। इनके ज्ञान से किसान लाभान्वित होने के साथ ही अपनी खेती को उन्नत बनाएंगे। किसान तकनीक का प्रयोग करेंगे तो इसका फायदा नई पीढ़ी को भी मिलेगा और गांवों में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
मेले के अंतिम दिन प्राकृतिक खेती, फसल विविधीकरण एवं मृदा परीक्षण , डेयरी उद्यमिता, जैव उर्वरक , मशरुम उत्पादन , मछली उत्पादन , बकरी पालन , पशु पोषक तत्व, जल सरंक्षण , मिलेट उत्पादन एवं प्रसंस्करण, पुष्प उत्पादन जैसे विषयों पर किसानों को प्रशिक्षित किया गया। इस अवसर पर केवीके के नवनिर्मित बीज भवनों का लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम में अनेक जनप्रतिनिधि एवं क्षेत्र के पदाधिकारी भी उपस्थित थे।