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फेक रेटिंग पर भारी पड़ेगी सेटिंग! ई-कॉमर्स वेबसाइट के समीक्षाओं पर गाइडलाइंस जारी, 25 नवंबर से लागू होंगे नए नियम

उपभोक्ता कार्य विभाग ने ई-कॉमर्स में फर्जी और भ्रामक समीक्षाओं से उपभोक्ता हितों की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए तैयार रूपरेखा का आज शुभारंभ किया।

उपभोक्ता कार्य विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने अपने विभाग और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भारतीय मानक (आईएस) 19000:2022 ‘ऑनलाइन उपभोक्ता समीक्षाएं – उनके संग्रह, मॉडरेशन तथा प्रकाशन के लिए सिद्धांत एवं आवश्यकताओं की रूपरेखा का शुभारंभ किया।

ये मानक हर उस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लागू होंगे, जहां पर भी उपभोक्ता समीक्षाएं प्रकाशित की जाती हैं। मानक शुरू में सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा अनुपालन के लिए स्वैच्छिक होंगे। इस पहल का पूर्ण आकलन करने के लिए बीआईएस 15 दिनों के भीतर मानक के लिए एक अनुरूपता मूल्यांकन योजना भी तैयार करेगा।

ये मानक समीक्षा लेखक और समीक्षा प्रशासक के लिए विशिष्ट उत्तरदायित्व निर्धारित करते हैं। सभी तरह के समीक्षा लेखकों के लिए, इसमें नियम एवं शर्तों की स्वीकृति की पुष्टि करना, संपर्क जानकारी प्रदान करना और समीक्षा व्यवस्थापक के लिए व्यक्तिगत जानकारी तथा कर्मचारियों के प्रशिक्षण की सुरक्षा शामिल है।

किसी संस्था द्वारा मानकों के उल्लंघन को एक अनुचित व्यापार व्यवहार या उपभोक्ता अधिकारों का हनन माना जा सकता है और एक उपभोक्ता ऐसी शिकायतों को राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन, उपभोक्ता फोरम या फिर सीसीपीए को प्रस्तुत कर सकता है।

मानक संगठन की जिम्मेदारियों के लिए कई चीज़ें प्रदान करता है, जिनमें अभ्यास का एक कोड विकसित करना और नियमों एवं शर्तों जैसी पहुंच देना आदि शामिल हैं, हालांकि मानदंड तथा सामग्री सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक शर्तों में वित्तीय जानकारी आवश्यक नहीं है।

मानक ईमेल पते के माध्यम से ‘समीक्षा लेखक का सत्यापन’, टेलीफोन कॉल या एसएमएस द्वारा पहचान, एक लिंक पर क्लिक करके पंजीकरण की पुष्टि, कैप्चा सिस्टम आदि का उपयोग करके समीक्षा लेखक की प्रामाणिकता की जांच करने के तरीकों के लिए भी प्रदान करता है।

मॉडरेशन के संबंध में, मानक स्वचालित और मैन्युअल मॉडरेशन दोनों के लिए प्रदान किये जाते हैं और समीक्षा सामग्री का विश्लेषण करने के लिए जांच के अवसर प्रदान करता है। प्रकाशन के संबंध में, मानक में प्रकाशन प्रक्रिया के समय तथा प्रकाशन प्रक्रिया के बाद समीक्षा प्रशासक के विचार शामिल किये जाते हैं। इसके लिए समीक्षा की सटीकता, डिफ़ॉल्ट प्रदर्शन और रेटिंग के वेटेज को प्रकाशन प्रक्रिया में परिभाषित किया गया है।

मानक से ई-कॉमर्स पारिस्थितिकी तंत्र में सभी हितधारकों यानी उपभोक्ताओं, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, विक्रेताओं आदि को लाभ होने की उम्मीद है। यह उपभोक्ताओं के बीच ऑनलाइन सामान खरीदने के लिए विश्वास पैदा करने में मदद करेगा और उन्हें बेहतर खरीद निर्णय लेने में मदद करेगा।

कोविड-19 महामारी की वजह से इसके बाद के समय में देश भर में ई-कॉमर्स लेनदेन में लगातार वृद्धि हुई है। ऑनलाइन पोस्ट की गई समीक्षाएं कोई भी सामान खरीदने हेतु निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और उपभोक्ता उन उपयोगकर्ताओं की राय एवं अनुभव के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई समीक्षाओं पर अत्यधिक भरोसा करते हैं, जिन्होंने पहले से ही कोई सामान या सेवा को खरीदा हुआ है।

यह देखते हुए कि ई-कॉमर्स में उत्पाद को भौतिक रूप से देखने या उसकी जांच करने के अवसर के बिना एक वर्चुअल खरीदारी का अनुभव शामिल है, इसलिए काफी हद तक यह आवश्यक है कि समीक्षा वास्तविक व प्रामाणिक हो।

उपभोक्ता कार्य विभाग ने ई-कॉमर्स में फर्जी एवं भ्रामक समीक्षाओं के प्रभाव और उपभोक्ता हित के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए 10 जून, 2022 को ई-कॉमर्स में फर्जी व भ्रामक समीक्षाओं की परख करने के उद्देश्य से एक रूपरेखा विकसित करने के लिए समिति का गठन किया था। इस समिति में ई-कॉमर्स कंपनियों, उद्योग संघों, उपभोक्ता संगठनों और कानून अध्यक्षों सहित विभिन्न हितधारक शामिल थे।