लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाना और उन्हें हंसाना ही मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है: अभिनेता वरुण शर्मा
“मेरे लिए सफलता का मतलब रोजाना सुबह उठना और वही करना है, जो मुझे पसंद है, और जो मैं हमेशा से करना चाहता था।” यह बात फुकरे फिल्म के लोकप्रिय अभिनेता वरुण शर्मा ने कही। वह आज गोवा में 53वें इफ्फी में “इन-कन्वर्सेशन” सत्र में “हाउ टू कार्व योर नीश” के अंतर्गत दर्शकों को संबोधित कर रहे थे। उनके साथ फुकरे श्रृंखला के निर्देशक मृगदीप सिंह लांबा भी थे।
वरुण शर्मा ने कहा कि हालांकि वह अन्य शैलियों (जैसे थ्रिलर और ग्रे-शेड के किरदार) में भी हाथ आजमाना पसंद करेंगे, लेकिन कॉमेडी एक ऐसी चीज है जिसे करना उन्हें पसंद है और विभिन्न फिल्मों में लोगों द्वारा उनके किरदारों पर बरसाये गए प्यार के लिए वह उनके शुक्रगुजार हैं। उन्होंने कहा कि शायद उनकी भूमिका यानी कॉमेडी, लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाना और उन्हें हंसाना ही उनको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
अभिनेता के रूप में अपने करियर के बारे में चर्चा करते हुए वरुण शर्मा ने कहा, “अभिनेता शुरू में अपनी खास जगह बनाने के बारे में नहीं सोचते– इसे यात्रा के दौरान, विभिन्न भूमिकाओं को निभाते हुए या यहां तक कि कास्टिंग जैसे अन्य कार्यों को करते समय भी सीखा जाता है, जो मैंने लंबे समय तक किया।”
अपनी यात्रा को याद करते हुए वरुण ने कहा कि उन्हें आज भी याद है कि कैसे बाजीगर देखने के बाद उनकी इच्छा अभिनेता बनने की हुई और कैसे दिलवाले तक भी उनकी इच्छा बरकरार रही। उन्होंने सर्कस जैसे अपने आगामी प्रोजेक्ट्स के बारे में भी जानकारी दी, जो क्रिसमस 2022 के आसपास रिलीज होने वाली है।
मृगदीप सिंह लांबा ने अपनी फिल्मों के बारे में कहा कि वह अपनी फिल्मों की सफलता का जश्न नहीं मनाते, न ही वे किसी तरह की दौड़ में शामिल होते हैं- बल्कि वह इसे कई विफलताओं और नाकामयाबियों की ही तरह सीखने के अनुभव के रूप में लेते हैं, जिन्होंने उनकी यात्रा को दिशा दी है।
निर्देशक मृगदीप लांबा ने जिक्र किया कि शुरुआती सफर में उन्होंने राम गोपाल वर्मा की रचनाओं से प्रेरित डरावनी फिल्मों में कदम रखा, यात्रा के दौरान कहीं न कहीं एक स्क्रिप्ट ने उन्हें विश्वास दिलाया कि यह उनकी तरह की कहानी कहने के लिए सबसे उपयुक्त है। उन्होंने माना कि कॉमेडी एक बहुत ही कठिन शैली है, जिसमें हास्य की विषयपरक धारणाएं, समय और रागिनी का महत्व है और डर है कि लोग इसे कैसे लेंगे। हालांकि, ये ऐसी प्रभावित करने वाली वस्तुएं हैं जो विशिष्ट निर्देशकों को फिल्मों में अपनी शैलियों की छाप छोड़ने का मौका देती हैं- उन्होंने प्रियदर्शन, अनीस बज्मी, डेविड धवन की अलग-अलग शैलियों वाली फिल्मों का उल्लेख किया जिन्होंने पिछले 2-3 दशक में सुपरहिट फिल्में दी हैं।
फुकरे फिल्म की लोकप्रियता को देखते हुए, दर्शकों के साथ चर्चा और सवाल-जवाब अपेक्षा के अनुरूप प्रक्रिया, स्वीकृति और चरित्र-चित्रण के आसपास केन्द्रित रहे। वरुण और मृगदीप दोनों ने स्वीकार किया कि पात्र दिल्ली के पड़ोस में आम लोगों से प्रेरित थे, और उनसे बहुत कुछ संबंधित हैं। सीक्वल लिखते समय उन्हें यही बात ध्यान में रखनी होती है, दर्शक किरदारों से किस तरह के व्यवहार की उम्मीद करेंगे और ऐसे मापदंडों के भीतर कॉमेडी में फिट होने के लिए उन्हें मार्ग निर्देशन करना होगा।
‘दिलवाले’ और ‘छिछोरे’ जैसी फिल्मों में अपनी भूमिकाओं के अलावा वरुण शर्मा को फुकरे में पड़ोस के किसी मजाकिया लड़के सरीखे किरदार के रूप में सबसे ज्यादा पहचाना जाता है। इस फ्रैंचाइज़ की तीसरी फिल्म के 2023 में आने की उम्मीद है क्योंकि ये फ्रैंचाइज़ अपना एक दशक पूरा करने जा रही है। निर्देशक मृगदीप सिंह लांबा ने कॉमेडी में फुकरे सीरीज शुरू करने से पहले डॉन (फरहान अख्तर द्वारा लिखित) और युवराज (सुभाष घई द्वारा लिखित) जैसी फिल्मों में सहायक निर्देशक के रूप में भी काम किया है।
53वें इफ्फी में मास्टरक्लास और “इन-कन्वर्सेशन” सत्र सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (एसआरएफटीआई), एनएफडीसी, फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) और ईएसजी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किए जा रहे हैं।
फिल्म निर्माण की प्रक्रिया के हर पहलू में छात्रों और सिनेमा के प्रति उत्साही लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए इस साल कुल 23 सत्रों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें मास्टरक्लास और इन-कन्वर्सेशन भी शामिल हैं।