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क्या सच में ‘नरेंद्र मोदी स्टेडियम’ का नाम पहले ‘सरदार पटेल स्टेडियम’ था, या फिर कांग्रेस फैला रही झूठ?

हाल ही में ख़त्म हुए भारत और इंग्लैंड मैच में भारत ने भले ही दो दिन के अंदर में इंग्लैंड को पटकनी दे दी। लेकिन, भारत के राजनीतिक दल इस स्टेडियम के नाम को लेकर एक दूसरे को राजनीतिक पटकनी देने की कोशिश में हैं। शायद ही ऐसा कभी हुआ हो जब किसी स्टेडियम के नाम को लेकर इतना ज्यादा बवाल हुआ हो।

दरअसल गुजरात के अहमदाबाद में, दर्शकों की क्षमता के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनकर तैयार हुआ और उसका नाम भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर रखा गया। असली विवाद इसके बाद ही शुरू हुआ। दरअसल कांग्रेस के कई नेताओं ने दावा किया कि इस स्टेडियम का नाम पहले सरदाल पटेल के नाम पर था, जिसे बदलकर नरेंद्र मोदी के नाम पर कर दिया गया। कांग्रेस ने इसे सरदार पटेल का अपमान करार दिया।

कांग्रेस ने कहा, “पहले महात्मा गाँधी को खादी कैलेंडर से ग़ायब किया और अब मोटेरा स्टेडियम से सरदार पटेल को. जान लें, ‘बापू’ और ‘सरदार’ का नाम भाजपाई कभी नहीं मिटा सकते.”

इसेक जवाब में केंद्र मंत्री प्रकाश जावेडकर ने लिखा, “”पूरे कॉम्प्लेक्स का नाम सरदार पटेल स्पोर्ट्स एंक्लेव है, केवल क्रिकेट स्टेडियम का नाम पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर रखा गया है. विडम्बना ये है कि जिस ‘परिवार’ ने सरदार पटेल के निधन के बाद भी उनका सम्मान नहीं किया, वो आज इस बात पर हंगामा मचा रहे हैं.”

क्या था स्टेडियम का नाम?

यह स्टेडियम 1983 -1984 में बनकर तैयार हुई थी और भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने इस स्टेडियम का उद्घाटन किया था। उस समय इस स्टेडियम को गुजरात स्टेडियम के नाम से जाना जाने लगा। 1993 – 1994 में इस स्टेडियम का नवीनीकरण किया गया और उसके बाद इसके नाम के आगे सरदार पटेल जोड़ दिया गया। यह स्टेडियम मोटेरा इलाके है, इसलिए स्टेडियम का पूरा नाम सरदार पटेल गुजरात मोटेरा स्टेडियम रखा गया।

इस स्टेडियम के नाम के आगे सरदार पटेल स्टेडियम लगता रहा है, ऐसा आपको पूर्व के कई मीडिया रिपोर्ट्स को देखने के बाद पता चलेगा। सरकारी न्यूज़ प्रचारक प्रसार भारती ने भी ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम से पहले अपने ट्वीट में इस स्टेडियम का नाम सरदार पटेल स्टेडियम लिखा था।

साथ ही जब इंग्लैंड की टीम इसी महीने में 19 तारीख कोई स्टेडियम पहुंची थी , तो उन्होंने अपने ट्वीट में इसका नाम सरदार पटेल स्टेडियम बताया था।

लेकिन गुजरात के उप मुख्यमंत्री ने इससे इनकार किया है. डीडी न्यूज़ गुजराती द्वारा जारी किए गए बयान में उन्होंने कहा, “मोटेरा स्टेडियम का नाम बदल कर नरेंद्र मोदी स्टेडियम किया गया है.”

गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन की आधिकारिक बेवसाइट पर 29 दिसंबर 2020 का एक वीडियो पोस्ट किया हुआ है, जिसमें स्टेडियम का नाम मोटेरा स्टेडियम ही लिखा है।

इस स्टेडियम पर कई क्रिकेट रिकॉर्ड बने और टूटे हैं, अगर इसमें खास रिकार्ड्स की बात करे तो, सुनील गावस्कर ने इसी मैदान में 10 हजार रन बनाया था, कपिल देव ने इसी मैदान में 432 विकेट लिए थे, सचिन तेंदुलकर ने पहला डबल सेंचुरी इसी मैदान में खेलते हुए लगाया था, अनिल कुबंले ने भी अपना 100वां टेस्ट यहीं खेला था.

नाम को लेकर हंगामा क्यों, अडानी और रिलायंस एन्ड को लेकर खड़ा हो रहा विवाद

कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने लोक सभा में, ‘हम दो हमारे दो’ का नारा देकर मुकेश अम्बानी और अडानी पर सवाल उठाया था। वहीं सवाल उन्होंने एक बार फिर से ट्वीटर के जरिए पूछा है।

दरअसल इस स्टेडियम में दो एंड का नाम – अडानी एंड और रिलायंस एंड रखा गया है। स्टेडियम के नाम बदलने के साथ साथ इन पैवेलियन एंड के नाम को लेकर भी चर्चा ज़ोर पकड़ रही है।

क्या पहली बार हुआ है ऐसा

नेताओं के नाम पर बहुत पहले से ही स्टेडियम के नाम रखे जाते हैं। कांग्रेस परिवार के कई सदस्यों के नाम से भी स्टेडियम और स्पोर्ट्स टूर्नामेंट का नाम रखा गया है। भारत का सबसे बड़ा खेल पुरस्कार, ‘राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार’ भी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के नाम से दिया जाता है। यही सवाल पूछते हुए भारत के खेल मंत्री किरेन रिजुजू ने ट्वीट करके पूरी लिस्ट दे दी। इस लिस्ट में 19 स्टेडियम और 25 स्पोर्ट्स टूर्नामेंट का नाम कांग्रेस परिवार के नाम से है।

कई सारे स्टेडियम का नाम जैसे मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम का नाम कृष्णराव वानखेड़े के नाम पर जब रखा गया था, तब वो जीवित थे. चेन्नई का एमए चिदाबंरम स्टेडियम जब बना था, तब वो जीवित थे। उसी तरह से भारत में एनकेपी साल्वे चैलेंजर ट्रॉफी खेला जाता है। ये घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट है। एनकेपी साल्वे जीवित रहते हुए ये ट्रॉफी दस साल से ज़्यादा बार खेले थे।

हालाँकि किसी प्रधानमंत्री के जिन्दा रहते उनके नाम पर स्टेडियम का नाम आजतक नहीं रखा गया था।

भारत के पूर्व क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी और कीर्ति झा आज़ाद ने किसी भी नेता के नाम से स्टेडिअम का नाम रखने को लेकर कड़ा विरोध जताया था। ये विरोध तब हुआ था जब दिवंगत नेता अरुण जेटली के नाम पर फ़िरोज़शाह कोटला स्टेडियम का नाम रखा गया था। फ़िरोज शाह कोटला स्टेडियम में उनकी प्रतिमा स्थापित करने को लेकर बिशन सिंह बेदी ने डीडीसीए की अपनी सदस्यता से इस्तीफ़ा तक दे दिया था। अपना इस्तीफ़ा लिखते हुए उन्होंने एक ख़ुला ख़त लिखा था, जिसकी बहुत चर्चा भी हुई थी।