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बांग्लादेश, मालदीव और अरुणाचल प्रदेश राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए दो सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्‍पन्‍न

भारत सरकार का एक शीर्ष-स्तरीय स्वायत्त संस्थान, राष्ट्रीय सुशासन केन्‍द्र (एनसीजीजी), नए उत्‍साह के साथ, प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के विजन के अनुरूप देश के साथ-साथ पड़ोसवर्ती क्षेत्रों के लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए अपने कार्यकलापों का विस्तार कर रहा है। बांग्लादेश, मालदीव और अरुणाचल प्रदेश राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए दो सप्ताह का क्षमता निर्माण कार्यक्रम 9 जनवरी से 20 जनवरी, 2023 तक आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में बांग्लादेश (56वां बैच) के 39 प्रशासनिक अधिकारियों, मालदीव (20वां बैच) के 26 प्रशासनिक अधिकारियों और अरुणाचल प्रदेश (पहला बैच) के 22 प्रशासनिक अधिकारियों सहित 87 अधिकारियों ने सहभागिता की थी।

पहली बार, अरुणाचल प्रदेश के अधिकारियों को मसूरी और नई दिल्ली दोनों में एनसीजीजी में प्रशिक्षित किया गया। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह के निर्देशानुसार पूर्वोत्तर और सीमावर्ती राज्यों में शासन और सार्वजनिक सेवा प्रदायगी में और सुधार लाने के लिए यह कदम उठाया गया है। अगले पांच वर्षों में अरुणाचल प्रदेश के 500 अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए 2022 में एनसीजीजी के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की ‘पड़ोसी पहले’ नीति की भावना को बनाए रखते हुए, भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की साझेदारी में एनसीजीजी पड़ोसी देशों के प्रशासनिक अधिकारियों के क्षमता निर्माण में उनकी सहायता कर रहा है। एनसीजीजी लोगों के जीवन स्‍तर में सुधार के लिए सुनिश्चित सार्वजनिक सेवा प्रदायगी हेतु सुशासन और पारदर्शी प्रशासन के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केन्द्रित करने वाले क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करता है और उन्‍हें कार्यान्वित करता है।

पहली बार, तीन देशों के सहभागियों के बीच बौद्धिक परस्‍पर बातचीत और विचार-विमर्शों को सुगम बनाने के लिए संयुक्त रूप से सत्र आयोजित किए गए। दो सप्ताह के क्षमता निर्माण कार्यक्रम को एनसीजीजी टीम द्वारा वैज्ञानिक रूप से तैयार किया गया था और इसमें प्रचुर जानकारी, ज्ञान, नए विचारों और सर्वश्रेष्‍ठ प्रथाओं का आदान-प्रदान शामिल था, जो नागरिक-केन्द्रित शासन को बढ़ावा देते हैं। संबंधित देशों की आवश्यकता के आधार पर और भारतीय मिशनों के परामर्श से प्रत्येक प्रशिक्षण कार्यक्रम के सत्र एनसीजीजी संकाय द्वारा तैयार किए गए थे। यह क्षमता-निर्माण कार्यक्रम प्रशासनिक अधिकारियों को उनके संबंधित देशों/राज्यों में नीतियों और कार्यान्वयन के बीच अंतराल को पाटने के लिए समर्पित प्रयास करने में सहायता करेगा।

बांग्लादेश, मालदीव और अरुणाचल प्रदेश राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों के लिए 2 सप्ताह के इस कार्यक्रम में, प्रशासनिक अधिकारियों ने डोमेन विशेषज्ञों के साथ विविध विषयों नामत: ई-गवर्नेंस, भारत @ 2047 का विजन और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका, विकेन्‍द्रीकृत नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, डिजिटल भारत, अरुणाचल प्रदेश में बिजली क्षेत्र की क्षमता और चुनौतियां, 2030 तक एसडीजी के लिए दृष्टिकोण, भारत में स्वास्थ्य शासन, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता पर इसका प्रभाव – नीतियों और वैश्विक प्रथाओं, भ्रष्टाचार विरोधी प्रथाओं, एलआईएफई, चक्रीय अर्थव्यवस्था, आदि अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में परस्‍पर बातचीत की।

समापन सत्र 20 जनवरी को आयोजित किया गया था और इस अवसर पर सीबीआई के निदेशक श्री एस. के. जायसवाल उपस्थित रहे। अपने समापन संबोधन में, उन्होंने भारत में भ्रष्टाचार के विरुद्ध की गई निर्णायक और बहु-आयामी कार्रवाई पर बल दिया। गहराई से इसकी विवेचना करते हुए, उन्होंने बताया कि किस प्रकार सूचना प्रौद्योगिकी के व्‍यापक स्‍तर पर उपयोग और पारदर्शिता सुनिश्चित करने पर जोर देने के साथ सरकार द्वारा बड़ी सफलता के साथ भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए निवारक कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिकों की केन्‍द्रीयता भारत में आज के शासन की पहचान बन गई है। उन्होंने डीजी श्री भरत लाल और उनकी टीम को मालदीव, बांग्लादेश और अरुणाचल प्रदेश राज्य के प्रशासनिक अधि‍कारियों के लिए इस प्रकार के सार्थक कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई दी।

चूंकि सरकार की भूमिका और सार्वजनिक सेवा प्रदायगी का भविष्य लगातार विकसित हो रहा है, इसलिए प्रशासनिक अधि‍कारियों की भूमिका भी निरंतर विकसित हो रही है। सभी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए एनसीजीजी क्षमता निर्माण कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करता है जो लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में सहायता करता है।

डीजी श्री भरत लाल ने अपने संबोधन में प्रतिभागियों को कार्य योजना तैयार करने के द्वारा अपने ज्ञान का अनुवाद करने और अपने नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए इसे कार्यान्वित करने की कार्रवाई योग्‍य सलाह दी। उन्होंने बल देकर कहा कि एनसीजीजी द्वारा डिजाइन किए गए क्षमता निर्माण कार्यक्रम प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की ‘पड़ोसी पहले’ नीति के अनुरूप हैं और ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना को बनाए रखते हैं। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे देश के सभी नागरिकों को अपनी पूरी क्षमता अर्जित करने के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार करें। आज के भारत में, सभी कार्यक्रम/योजनाएं सर्वसमावेशी हैं और लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने पर केन्द्रित हैं। निर्धनों में निर्धनतम व्यक्ति की आवश्‍यकता सरकार द्वारा पारदर्शी तरीके से और बिना किसी को छोड़े पूरी की जाती है।

भ्रष्टाचार विरोधी रणनीति पर सत्र के अंतिम दिन, सीबीआई के विशेष निदेशक श्री प्रवीण सिन्हा और संयुक्त निदेशक श्री अनुराग तथा केन्‍द्रीय सतर्कता आयोग के सचिव श्री पी. डेनियल ने अन्य अधिकारियों के साथ निवारक कदम, पारदर्शिता और भ्रष्टाचार का जड़ से उन्‍मूलन करने तथा सुशासन सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर आयोजित सत्रों में भाग लिया।

क्षमता निर्माण का 2 सप्ताह का गहन मंथन कार्यक्रम कोर्स कॉडिनेटरों – डॉ. ए. पी. सिंह (मालदीव), डॉ. बी. एस. बिष्ट (अरुणाचल प्रदेश) और डॉ. मुकेश भंडारी (बांग्लादेश) के अथक प्रयासों से आयोजित किया गया था, जिन्हें एनसीजीजी की पूरी टीम द्वारा भी सहायता प्रदान की गई थी।

सुशासन के लिए राष्ट्रीय केन्‍द्र की स्थापना 2014 में भारत सरकार द्वारा देश में एक शीर्ष स्तर की संस्था के रूप में की गई थी, जिसे भारत तथा अन्य विकासशील देशों के प्रशासनिक अधिकारियों के सुशासन, नीतिगत सुधार, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर काम करने के लिए अधिदेशित किया गया था। यह सरकार के थिंक टैंक के रूप में भी काम करता है। विदेश मंत्रालय के साथ साझेदारी में, एनसीजीजी ने अब तक 15 देशों अर्थात- बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, भूटान, म्यांमार और कंबोडिया के प्रशासनिक अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया है। अपने कंटेंट और प्रदायगी के लिए विख्‍यात क्षमता निर्माण कार्यक्रम की अत्यधिक मांग है और एनसीजीजी उनकी आवश्यकता के अनुसार विभिन्न देशों के साथ-साथ भारत के विभिन्न राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के प्रशासनिक अधिकारियों की अधिक संख्या को समायोजित करने के लिए अपनी क्षमता का विस्तार कर रहा है।