विकास से उत्सर्जन को कम करने और सभी सेक्टरों में ऊर्जा दक्षता अर्जित करने के निरंतर प्रयास के साथ भारत की जलवायु नीति सतत विकास और गरीबी उन्मूलन की दिशा में निर्देशित है: श्री भूपेंद्र यादव
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि विकास से उत्सर्जन को कम करने और सभी सेक्टरों में ऊर्जा दक्षता अर्जित करने के निरंतर प्रयास के साथ भारत की जलवायु नीति सतत विकास और गरीबी उन्मूलन की दिशा में निर्देशित है। नई दिल्ली में रायसीना संवाद में आज ‘जलवायु स्मार्ट नीतियों के लिए अगला कदम’ के मुद्दे पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जब हम यूएन क्रिटिकल डिकेड ऑफ एक्शन के तीसरे वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, 17 सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अब केवल सात साल शेष हैं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में जलवायु स्मार्ट नीतियों का प्रारूप तैयार करना और उनका निष्पादन सुनिश्चित करना भारत में प्रमुख स्थान ले चुका है। उन्होंने कहा कि सतत विकास शब्द नया हो सकता है, परन्तु जलवायु स्मार्ट नीतियां जीवन जीने की एक बहुत ही भारतीय शैली है। यद्यपि, यह अवधारणा भारतीय लोकाचार में बुनी गई है।
यादव ने कहा कि भारतीय लोकाचार में यह रेखांकित किया गया है: प्रकृति से आवश्यकता से अधिक न लें। क्योंकि प्रकृति का अस्तित्व मानव की आवश्यकता पूरा करने के लिए है, उसकी लालच के लिए नहीं। हम कम उपयोग करने वाले लोग हैं, हम जो उपयोग करते हैं उसका पुन: उपयोग करने वाले लोग हैं। चक्रीय अर्थव्यवस्था भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। मंत्री ने कहा कि यह इसलिए है क्योंकि भारतीय ग्रह उन्मुखी लोग हैं, क्योंकि विकसित देशों द्वारा योगदान किए गए 60 प्रतिशत की तुलना में वैश्विक जनसंख्या के 17 प्रतिशत से अधिक वाले राष्ट्र ने 1850 और 2019 के बीच वैश्विक संचयी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में केवल लगभग 4 प्रतिशत का योगदान दिया है। आज भी, भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन विश्व के प्रति व्यक्ति जीएचजी उत्सर्जन के एक तिहाई से भी कम है।
यादव ने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत संस्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में चौथे स्थान पर है, पवन संस्थापित क्षमता के मामले में चौथे स्थान पर है, सौर संस्थापित क्षमता के मामले में पांचवें स्थान पर है। केवल पिछले 9 वर्षों में, भारत में सौर ऊर्जा की संस्थापित क्षमता में 23 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि उन्हें यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि पिछले साढ़े आठ वर्षों में भारत की संस्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में 396 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यादव ने कहा कि ये संख्या इस तथ्य का प्रमाण है कि जलवायु स्मार्ट नीति भारत के विकास प्रतिमान का अग्र और केंद्रीय हिस्सा है। भारत इस बात का एक वैश्विक उदाहरण बनकर उभरा है कि किस प्रकार पर्यावरण का विकास और संरक्षण साथ-साथ हो सकता है।
यादव ने कहा कि जब भारत ने जी20 की अध्यक्षता ग्रहण की है, तो इसके लिए उसने कई उदाहरण प्रस्तुत किये है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने 2015 में अपना प्रारंभिक एनडीसी जो पहले से ही महत्वाकांक्षी प्रकृति का था, जमा किया था, वह समय सीमा से 9 वर्ष पूर्व था और ऐसा करने वाला वह एकमात्र जी20 सदस्य बन गया। उन्होंने कहा कि हमने न केवल समय सीमा से पूर्व अपना एनडीसी लक्ष्य अर्जित कर लिया है, बल्कि हमने अपना अद्यतन एनडीसी भी जमा कर दिया है, जिसमें शर्म अल शेख में सीओपी 27 में हमारी दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास रणनीति योजनाओं के साथ और भी अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्य अर्जित करने की बात की गई है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही, भारत उन कुछ चुने हुए 58 देशों की सूची में शामिल हो गया है जिन्होंने अपना नया या अद्यतन एलटी-एलईडीएस जमा किया है।
यादव ने कहा कि हमारा दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास रणनीति दस्तावेज सीबीडीआर-आरसी के सिद्धांतों के साथ-साथ जलवायु न्याय और टिकाऊ जीवन शैली के दो प्रमुख स्तंभों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन कई कार्यक्षेत्रों से होकर गुजरता है जहां जमीनी स्तर पर एक ठोस परिवर्तन के लिए एक समन्वित और एकीकृत दृष्टिकोण एक ठोस उपकरण के रूप में कार्य करता है। इसी तरह की तर्ज पर, भारत की जी20 अध्यक्षता का अभिप्राय जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने और सतत विकास को आगे बढ़ाने के लिए एक समेकित, व्यापक और सर्वसम्मति से संचालित दृष्टिकोण लाना है।
यादव ने कहा कि जलवायु स्मार्ट नीतियां सतत विकास के लिए विशिष्ट कार्रवाई के लिए एक नीति उपकरण के रूप में काम करती हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विश्व ने स्थिरता की अवधारणा के बारे में कठिन तरीके से सीखा। उन्होंने कहा कि अब हम इस बात के गवाह हैं कि कैसे अंधाधुंध उपभोग और अनियोजित विकास ने कई देशों में खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसे विकासशील देश हैं जो अस्थिर ऋण के खतरे से जूझ रहे हैं और साथ ही विकसित दुनिया की अस्थिर खपत और उत्पादन प्रक्रियाओं के शिकार भी हैं।
यादव ने कहा कि हाल ही में बेंगलुरु में जी20 की पहली पर्यावरण और जलवायु स्थिरता कार्य समूह की बैठक में, भूमि क्षरण, परिपत्र अर्थव्यवस्था और नीली अर्थव्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने वाले प्राथमिकता वाले विषयों के अतिरिक्त, जी20 देशों के प्रतिनिधियों ने त्वरित जलवायु कार्रवाई, विज्ञान और अंतराल पर भी विचार-विमर्श किया। ये चर्चाएँ चेन्नई में जी20 मंत्रालयीय बैठक के लिए मूल्यवान जानकारी प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि जी20 के लिए भारत के समावेशी विजन को ध्यान में रखते हुए, उन्हें ‘जी20 ग्लोबल रिसर्च फोरम’ की शुरुआत पर प्रसन्नता हुई, जिसका उद्देश्य जी20 और गैर-जी20 देशों के हितधारकों और विचारकों को एक साथ लाना है जिससे नई आवाजें और विचार जोड़े जा सकेंगे, जो जी20 की प्रमुख प्राथमिकताओं से संबंधित संवादों में मज़बूती लाएगा।
यादव ने 2023-2024 के आम बजट की चर्चा करते हुए कहा कि यह हरित भारत के निर्माण के लिए एक मजबूत आधार के रूप में कार्य करता है। उन्होंने कहा कि ‘सप्तऋषि’ प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को चिन्हित करके, हरित और सतत विकास के माध्यम से प्रत्येक नागरिक को सशक्त बनाने के लिए लक्षित प्रयास शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि व्यवहार परिवर्तन को प्रेरित करने पर अपने प्राथमिक ध्यान के साथ, हरित बजट में पेश किए गए हरित ऋण कार्यक्रम को जलवायु परिवर्तन को कम करने, अनुकूली क्षमता बनाने और पर्यावरण की समग्र स्थिति में सुधार करने में मदद करने के लिए तैयार किया जा रहा है। योजना के तहत, सरकार पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत स्थायी प्रथाओं का पालन करने वाली कंपनियों, व्यक्तियों और स्थानीय निकायों को प्रोत्साहित करेगी और ऐसे कार्यकलापों के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने में मदद करेगी।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,700 करोड़ रुपये का परिव्यय हरित हाइड्रोजन के उत्पादन को बढ़ावा देने में सहायक होगा, जो विशेष रूप से रिफाइनरी, कोयला और इस्पात संयंत्र जैसे देश के कोर सेक्टर के डीकार्बोनाइजेशन मार्ग में महत्वपूर्ण होगा।
यादव ने कहा कि बजट ने ‘पर्यावरण के लिए जीवनशैली (एलआईएफई)’, ‘पंचामृत’ और 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन के लिए अपने विजन की पुष्टि करते हुए प्रमुख घोषणाएं की हैं। उन्होंने कहा कि बजट में वर्णित हरित विकास प्रावधान देश को अपने स्थिरता लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक मजबूत मार्ग पर रखते है।
यादव ने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता के लिए विषय वस्तु: वसुधैव कुटुम्बकम – एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य– विश्व को साझा हित और एक समान भविष्य के साथ एक परिवार के रूप में पुनर्कल्पित करता है। यह चुनौतियों का सामना करने और बेहतर विश्व व्यवस्था बनाने के प्रयासों में शामिल होने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। मिशन लाइफ़ उसी भावना से प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया एक स्पष्ट आह्वान है, जो वैश्विक जलवायु कार्रवाई में व्यक्तिगत प्रयासों को सबसे आगे लाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। उन्होंने कहा कि एक शब्द का जनआंदोलन ‘लाइफ’ व्यापक रूप से लोकप्रिय हो रहा है, जैसा कि विश्व भर में सीओपी27 में मिस्र में इंडिया पवेलियन में अवलोकन किया गया था। उन्होंने कहा कि इसे अकादमिक विशेषज्ञों और राजनेताओं से भी प्रशंसा मिली है जिन्होंने आंदोलन की दूरदर्शी प्रकृति की सराहना की है।
यादव ने कहा कि आज भारत विश्व में सबसे महत्वाकांक्षी स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन का नेतृत्व कर रहा है। घरेलू रूप से जलवायु परिवर्तन को दृढ़ता से संबोधित करने के अतिरिक्त, विश्व के लिए भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) का निर्माण किया है और आगे भी उसका पोषण करता रहेगा, जो सभी की पहुंच के भीतर स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा लाने और सौर क्षमता में प्रचुर देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने का प्रधानमंत्री श्री मोदी का विजन है।
यादव ने कहा कि इसी तर्ज पर आगे काम करते हुए, प्रधानमंत्री ने सीओपी26 के दौरान हर समय हर जगह एक विश्वव्यापी ग्रिड से स्वच्छ ऊर्जा की उपलब्धता के लिए और भंडारण की आवश्यकता को कम करने के लिए तथा सौर परियोजनाओं की व्यवहार्यता में वृद्धि के लिए “ग्रीन ग्रिड् पहल – एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड” लॉन्च किया। उन्होंने कहा कि लीड आईटी और कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (सीडीआरआई) जैसी पहल, जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय संगठन’ के रूप में अनुमोदित किया गया है, वैश्विक स्तर पर भारत के नेतृत्व की गवाही देता है। उन्होंने कहा कि ये पहलें जलवायु स्मार्ट नीतियों को एक वैश्विक संरचना नीति बनाने में भारत की गंभीरता को दर्शाती है।
यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के बारे में सब कुछ बुरा नहीं है, कम से कम इस शब्द ने हमें सिखाया है कि सबसे अच्छा जलवायु का भी अगर एक बिंदु से अधिक दुरुपयोग किया जाता है, तो वह ‘परिवर्तित’ होता है। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में यह परिवर्तन खतरनाक रूप से दृष्टिगोचर हो गया है। उन्होंने कहा कि वह विशेष रूप विकसित देशों के मित्रों को स्मरण दिलाना चाहेंगे कि हमें यह समझना चाहिए कि यह संकट व्यापार और वित्त के अन्य वैश्विक संकटों से बिल्कुल अलग है और इसलिए पारंपरिक प्रतिक्रियाओं और आपदा से मुनाफाखोरी की प्रवृत्ति को दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि ग्रीनवाशिंग, ऐतिहासिक जिम्मेदारियों को निष्प्रभावी करने और जलवायु कार्रवाई के नाम पर संरक्षणवाद को रोकने की जरूरत है।
यादव ने कहा कि वे कोई राय अधिरोपित नहीं करना चाहते बल्कि एक आकांक्षा जगाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एक आकांक्षा है कि हां, हम सामूहिक रूप से काम कर सकते हैं और नौरू से रूस तक, बुरुंडी से लेकर अमेरिका तक, एक हरित और स्वच्छ विश्व खुद को और अपनी आने वाली पीढ़ियों को दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि अपनी जी20 अध्यक्षता के माध्यम से, भारत जलवायु कार्रवाई और सतत विकास के लिए एक सुसंगत रूपरेखा को आगे बढ़ाने के लिए अपने साझीदारों के साथ काम करेगा, जो घरेलू स्तर पर और विश्व स्तर पर जलवायु स्मार्ट नीतियों को बनाने की बात आने पर विकासशील देशों की चिंताओं को केंद्र में रखती है।