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“मिशन मोड में पर्यटन: सम्मिश्रण और सार्वजनिक निजी भागीदारी” विषय पर दो दिवसीय चिंतन शिविर का समापन; चुनौतियों और अवसरों पर उपयोगी विचार विमर्श हुआ

पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर “मिशन मोड में पर्यटन: सम्मिश्रण और सार्वजनिक निजी भागीदारी” 30 मार्च को सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। राज्यों, उद्योग संघों और कारोबारी नेताओं की इसमें सक्रिय भागीदारी रही और पर्यटन क्षेत्र के विकास के लिए चुनौतियों तथा अवसरों की विस्तृत श्रृंखला पर भी उपयोगी विचार-विमर्श किया गया। इस शिविर में 11 ज्ञान सत्र आयोजित हुए जो दो दिन चले, जिसमें विभिन्न विषयों को कवर किया गया।

पर्यटन, संस्कृति और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने सम्मेलन में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों का धन्‍यवाद किया कि वे चिंतन शिविर का हिस्सा बने और ऐसे व्यावहारिक विचारों एवं रणनीतियों को साझा किया, जिन्हें भारत में पर्यटन को मिशन मोड में लागू करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जा सकता है। पर्यटन मंत्रालय के सचिव श्री अरविंद सिंह ने इस दो दिवसीय चिंतन शिविर का समापन किया। उन्होंने आगामी पहले ग्लोबल टूरिज़्म इनवेस्टर्स समिट (जीटीआईएस) के बारे में बात की और भारत के पर्यटन क्षेत्र में विकास के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए हितधारकों से मिली बहुमूल्‍य जानकारियों के बारे में बताया।

पर्यटन मंत्रालय के सचिव श्री अरविंद सिंह ने विदाई सत्र के साथ चिंतन शिविर के दूसरे दिन का समापन किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि साल 2023 का महत्व भारत के लिए कई गुना बड़ा है क्योंकि इस दौरान भारत ने जी-20 की अध्यक्षता संभाली है और साथ-साथ शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अध्यक्षता भी उसके पास है। हाल ही में पर्यटन मंत्रालय ने उस काशी (वाराणसी) में ‘एससीओ पर्यटन मंत्रियों की बैठक’ आयोजित की है जिसे एससीओ की पहली सांस्कृतिक राजधानी करार दिया गया है। इसके अलावा, उन्होंने फिर से दोहराया कि जी-20 की भारत की अध्यक्षता में पहला ग्लोबल टूरिज्म इन्वेस्टर्स समिट (जीटीआईएस) 17-19 मई 2023 को नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। ये एक ऐसा मंच होगा जो वैश्विक और घरेलू कारोबारी नेताओं के बीच बातचीत को सक्षम करेगा और भारतीय पर्यटन व हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र में निवेश के अवसरों का पता लगाएगा। ये चिंतन शिविर आगामी जीटीआईएस के दौरान कारोबार करने के लिए महत्वपूर्ण इनपुट भी प्रदान करेगा।

चिंतन शिविर के दूसरे दिन चर्चा के सत्रों के दौरान कई क्षेत्रों में सरकारी कार्यक्रमों के सम्मिश्रण से जुड़े मुद्दों को शामिल किया गया। पर्यटन एक क्रॉस सेक्टोरल विषय है और इसके लिए कई मंत्रालयों तथा विभागों के समर्थन की आवश्यकता होती है। दूसरे दिन के सत्र में पर्यटन स्थलों की क्षमता बढ़ाने के लिए कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विभिन्न मंत्रालयों की योजनाओं में तालमेल लाने के लिए कई मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। नागरिक उड्डयन मंत्रालय, सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय, रेल मंत्रालय, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय तथा जल शक्ति मंत्रालय जैसे कई संबंधित मंत्रालयों ने पर्यटन मंत्रालय के साथ परामर्श और साझेदारी में अपने नियंत्रण वाले विभिन्न प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक आकर्षणों को विकसित करने की अपनी योजनाओं को साझा किया, ताकि उनकी मार्केटिंग की जा सके और घरेलू व विदेशी यात्रियों के समक्ष उन्हें बढ़ावा दिया जा सके।

कई सत्रों में जो विचार-विमर्श हुए उनमें विभिन्न क्षेत्रों के विकास में सरकारी कार्यक्रमों के सम्मिश्रण के विषय शामिल थे। इनमें होमस्टे, सूवेनियर्स और पर्यटक गाइड विकसित करना तथा देश में एडवेंचर टूरिज़्म एवं ग्रामीण पर्यटन का विकास करना शामिल था।

एडवेंचर टूर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एटीओएआई) और केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, बिहार, मेघालय, त्रिपुरा, मणिपुर, उत्तराखंड तथा लद्दाख यूटी जैसी कई राज्य सरकारों ने चर्चा में भाग लिया और केस स्टडी प्रस्तुत की। इस चिंतन शिविर के समापन सत्र में होमस्टे, सूवेनियर्स, पर्यटक गाइड, एडवेंचर और ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने जैसे विशिष्ट पर्यटन उत्पादों को विकसित करने पर विचार किया गया।

चिंतन शिविर के कुछ प्रमुख सबक इस प्रकार हैं:

2047 में 3 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी की इस उद्योग की आकांक्षाएं।

राजस्थान द्वारा पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी क्षेत्र को उद्योग का दर्जा देने की बेस्ट प्रैक्टिस को अन्य राज्यों द्वारा दोहराया जाएगा।

राज्य नीतियों के विश्लेषण में कम मापदंडों और अधिक कठोरता के साथ एक ज्यादा केंद्रित राज्य पर्यटन नीति का बेंचमार्किंग अभ्यास किया जाएगा।

पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ के विभिन्न पहलुओं पर गौर करने के लिए एक वर्किंग ग्रुप।

निजी क्षेत्र का निवेश आकर्षित करने के लिए डेस्टिनेशन प्रोफाइल तैयार की जाएगी।

पीपीपी में लक्षद्वीप की सक्सेस स्टोरी को दोहराया जाएगा।

एक एमआईसीई और वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में भारत – राष्ट्रीय मार्केटिंग अभियानों का शुभारंभ।

एमआईसीई – डेस्टिनेशन लेवल के कन्वेंशन ब्यूरो के लिए हैदराबाद कन्वेंशन प्रमोशन ब्यूरो एक अच्छा मॉडल है – इसकी प्रतिकृति की जाएगी जिसके लिए इसका विस्तार से अध्ययन किया जाएगा।

क्षमता निर्माण पर्यटन निवेश रणनीति के लिए यूएनडब्ल्यूटीओ के साथ काम करेगा मंत्रालय।

पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी में स्टार्टअप्स के साथ मजबूत जुड़ाव को आगे बढ़ाएगा मंत्रालय।

निधि प्लस – को राष्ट्रीय पर्यटन सेवा पोर्टल के रूप में स्थापित किया जाएगा और एसईओ के लिए अतुल्य भारत से जोड़ा जाएगा।

आतिथ्यम – गुजरात पर्यटन की एक प्रमुख परिवर्तनकारी पहल है जिसे राष्ट्रीय स्तर पर दोहराया जाना है।

सम्मिश्रण – चार क्षेत्रों में कन्वर्जेंस मैट्रिक्स विकसित करने के लिए अंतर मंत्रालयी कार्य समूह स्थापित। ये क्षेत्र हैं – कनेक्टिविटी और इन्फ्रास्ट्रक्चर, पर्यटन उत्पाद और अनुभव, कौशल विकास, नियामक सुधार और ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस।

होमस्टे – वन नेशन वन रजिस्ट्रेशन पर चला जाएगा।

सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर बेस्ट प्रैक्टिसेज़ की राह, ताकि राज्यों और उद्योग द्वारा सर्वोत्तम प्रथाओं को बेंचमार्क किया जा सके, दोहराया जा सके और सर्वोत्तम प्रथाओं में इजाफा किया जा सके।

ग्रामीण पर्यटन क्लस्टर विकास का मॉडल विकसित किया जाएगा।

मेगा एडवेंचर ट्रेल्स – को एमओईएफसीसी, एमएचए, नागरिक उड्डयन और राज्यों के साथ साझेदारी में विकसित किया जाएगा।

एडवेंचर टूरिज़्म पर मॉडल कानून – को शीघ्रता से अंतिम रूप दिया जाएगा।

एडवेंचर टूरिज़्म बचाव केंद्र – को शीघ्र अंतिम रूप दिया जाएगा।

बजट घोषणा के अनुसार 50 गंतव्यों के चयन के लिए चुनौती मोड राज्यों को प्रस्तुत – ये पांच मापदंडों पर आधारित है और इसे शीघ्रता से अंतिम रूप दिया जाएगा।