भविष्य में महामारियों से बचने का एकमात्र तरीका “वन हेल्थ” नामक एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना है- सचिव, एएचडी
भविष्य की महामारियों से हमें बचाने का एकमात्र तरीका “वन हेल्थ” नामक एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना है, जो लोगों, जानवरों और पर्यावरण के स्वास्थ्य पर केंद्रित है। मजबूत पशु स्वास्थ्य प्रणालियां, वन हेल्थ दृष्टिकोण के आवश्यक भाग के रूप में बहुत महत्वपूर्ण हैं और गरीब किसानों की खाद्य सुरक्षा और आजीविका का समर्थन करने और उभरते संक्रामक रोगों (ईआईडी) और ज़ूनोसिस और एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) के जोखिम में कमी लाने के लिए आवश्यक हैं। इसे वन हेल्थ पहल के माध्यम से पूरा किया जा सकता है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर पर्याप्त कर्मचारी और अवसंरचना, रोग निगरानी के साथ राष्ट्रीय पशु चिकित्सा सेवाओं को मजबूती प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करने और सही निवेश के साथ पशु स्वास्थ्य प्रणाली को प्राथमिकता प्रदान करता है। श्री राजेश कुमार सिंह, सचिव, पशुपालन और डेयरी विभाग ने आज नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह बात कही।
भविष्य में ऐसी पशु महामारियों के लिए तैयारी करना राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन की मुख्य प्राथमिकता है। आगामी राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के एक भाग के रूप में, विभाग ने भविष्य में पशु महामारियों और संक्रामक रोगों के लिए “पशु महामारी तैयारी पहल (एपीपीआई)” की एक केंद्रित रूपरेखा की परिकल्पना की है। एपीपीआई के अंतर्गत प्रमुख गतिविधियां जो निष्पादन के विभिन्न चरणों में हैं, निम्नानुसार हैं:
1. परिभाषित संयुक्त जांच और प्रकोप प्रतिक्रिया टीम (राष्ट्रीय और राज्य)
2. एक समग्र एकीकृत रोग निगरानी प्रणाली (राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन पर निर्मित) तैयार करना
3. विनियामक प्रणाली को सुदृढ़ करना (उदाहरण के लिए, नंदी ऑनलाइन पोर्टल और फील्ड ट्रायल दिशा-निर्देश)
4. रोग मॉडलिंग एल्गोरिदम और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का निर्माण
5. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ आपदा न्यूनीकरण रणनीति तैयार करना
6. प्राथमिकता वाले रोगों के लिए टीका/निदान/उपचार विकसित करने के लिए लक्षित अनुसंधान एवं विकास
7. रोगों का पता लगाने की समयबद्धता और संवेदनशीलता में सुधार लाने के लिए जीनोमिक और पर्यावरण निगरानी पद्धतियों का निर्माण
इस बीच, विभाग ने वन हेल्थ दृष्टिकोण का उपयोग करके एक बेहतर पशु स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने के उद्देश्य से विश्व बैंक के साथ वन हेल्थ के लिए पशु स्वास्थ्य प्रणाली सहायता (एएचएसएसओएच) नामक एक सहयोगी परियोजना शुरू की है। यह परियोजना पांच राज्यों में लागू की जाएगी और इसमें पशु स्वास्थ्य एवं रोग प्रबंधन में शामिल हितधारकों के क्षमता निर्माण में सुधार लाने की परिकल्पना की गई है। इस परियोजना में वन हेल्थ संरचना का निर्माण करने और उसे मजबूती प्रदान करने के लिए सामुदायिक सहभागिता सहित राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और स्थानीय स्तर पर मानव स्वास्थ्य, वन और पर्यावरण विभाग से भागीदारी करने का आह्वान किया गया है।
केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री पुरुषोत्तम रूपाला 14 अप्रैल 2023 को इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन के तत्वावधान में “पशु महामारी तैयारी पहल (एपीपीआई)” के साथ-साथ विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित “वन हेल्थ के लिए पशु स्वास्थ्य प्रणाली सहायता (एएचएसएसओएच)” परियोजना का शुभारंभ करेंगे।
इस परियोजना का उद्देश्य इसमें शामिल पांच राज्यों के 151 जिलों को कवर करना है, जिसमें यह 75 जिलों/ क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं का उन्नयन, 300 पशु चिकित्सा अस्पतालों/ औषधालयों का उन्नयन/सुदृढ़ीकरण का लक्ष्य निर्धारित करेगा, जिसका उद्देश्य 9,000 पैरा-पशु चिकित्सकों/नैदानिक पेशेवरों और 5,500 पशु चिकित्सा पेशेवरों को प्रशिक्षण प्रदान करना है। उपरोक्त के अलावा, छह लाख घरों तक पहुंचकर सामुदायिक स्तर पर ज़ूनोसिस रोगों की रोकथाम और महामारी की तैयारियों पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
केंद्रीय योजना के रूप में इस सहयोगी परियोजना को 1,228.70 करोड़ रुपये के वित्त प्रावधान के साथ पांच वर्षों की अवधि में लागू किया जाएगा। इसके अलावा, यह परियोजना प्रयोगशालाओं की नेटवर्किंग करने और ज़ूनोसिस और अन्य पशु रोगों की निगरानी को बढ़ावा देने के लिए रोग रिपोर्टिंग प्रणाली को एकीकृत करेगी, इसके अलावा अभिनव रोग प्रबंधन प्रथाओं पर पशु चिकित्सकों और पैरा-पशु चिकित्सकों को निरंतर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करेगी।
ये मूलभूत गतिविधियां हमें एक महत्वपूर्ण अंतर को पाटने की योजना तैयार करने की अनुमति प्रदान करेगी, जो वर्तमान में भारत (साथ ही बड़े पैमाने पर विश्व) में मौजूद है, जो जानवरों को प्रभावित करने वाली महामारियों के लिए पूर्व तैयारी है।
20 अप्रैल, 2023 को गोवा में जी-20 स्वास्थ्य कार्य समूह का कार्यक्रम
पशुपालन और डेयरी विभाग 20 अप्रैल 2023 को गोवा में आयोजित होने वाले जी-20 स्वास्थ्य कार्य समूह के कार्यक्रम में शामिल हो रहा है। इस आयोजन का मूल विषय वन हेल्थ एजेंडा की रणनीति और संचालन है। यह कार्यक्रम स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से एशियाई विकास बैंक और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री के साथ-साथ सचिव, एएचडी, पशुपालन आयुक्त और संयुक्त सचिव पशुधन स्वास्थ्य भी शामिल होंगे।
इसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएएचओ) की भागीदारी होगी। यह आयोजन वन हेल्थ मिशन के तत्वावधान में ‘पशु महामारी तैयारी पहल (एपीपीआई)’ के साथ-साथ विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित “वन हेल्थ के लिए पशु स्वास्थ्य प्रणाली सहायता (एएचएसएसओएच)” परियोजना की शुरुआत जैसी वन हेल्थ से संबंधित विभाग की पहलों का प्रदर्शन करने का एक शानदार अवसर होगा। इसके अलावा विभाग ने बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से वन हेल्थ समर्थन इकाई की भी स्थापना की है और देशों के दो राज्यों अर्थात उत्तराखंड और कर्नाटक में वन हेल्थ गतिविधियों का संचालन भी किया है। विभाग ने रोग प्राथमिकता निर्धारण गतिविधियां भी की है।
“विश्व पशु चिकित्सा दिवस 2023” समारोह
अंतर्राष्ट्रीय पशु चिकित्सा दिवस प्रत्येक वर्ष अप्रैल में अंतिम शनिवार को पशु चिकित्सा पेशेवरों के सम्मान में मनाया जाता है। पशु और मानव स्वास्थ्य और कल्याण, खाद्य सुरक्षा, खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा, पारिस्थितिकी, दवाओं और औषध विकास, जैव चिकित्सा अनुसंधान, ग्रामीण विकास, शिक्षकों, प्रशिक्षकों और नीति निर्माताओं के रूप में, पशुधन उत्पादन और प्रबंधन के माध्यम से आर्थिक विकास और वन्यजीव संरक्षण और पर्यावरण एवं जैव विविधता की सुरक्षा, जैव आतंकवाद के खतरे की रोकथाम कर हमारे देश की सुरक्षा करने में पशु चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिकाओं की पहचान करने और स्वीकार करने के लिए, पशुपालन और डेयरी विभाग, भारतीय पशु चिकित्सा परिषद के निकट सहयोग से 29 अप्रैल, 2023 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में विश्व पशु चिकित्सा दिवस-2023 मनाने जा रहा है।
पूरे देश के पशु चिकित्सा पेशेवरों को इस मेगा कार्यक्रम में आमंत्रित किया जाएगा। मुख्य गतिविधियों में, देश में पशु चिकित्सा शिक्षा एवं सेवाएं और वन हेल्थ में पशु चिकित्सकों की भूमिका सहित मुख्यधारा के विषयों पर सम्मेलन और पैनल चर्चा का आयोजन शामिल है।