घी एवं मक्खन जैसे डेयरी उत्पादों के आयात के संबंध में स्पष्टीकरण
भारत सरकार इस बात से अच्छी तरह से अवगत है और इसके साथ ही इस तथ्य को सदैव ध्यान में रखती है कि डेयरी देश में लाखों डेयरी किसानों के लिए सतत रूप से आजीविका का एक प्रमुख स्रोत है। यही नहीं, सरकार की सभी योजनाओं/कार्यक्रमों का उद्देश्य इस स्रोत को और भी अधिक मजबूत करना है।
हालांकि, यह एक कटु सच्चाई है कि मुख्य रूप से कोविड-19 महामारी के बाद पौष्टिक, सुरक्षित और स्वच्छ दूध एवं दुग्ध उत्पादों की बढ़ती मांग की वजह से डेयरी क्षेत्र में कुल मांग और आपूर्ति में कुछ अंतर देखा जा रहा है।
बढ़ती मांग को पूरा करने के साथ-साथ इस तथ्य पर विचार करते हुए कि आगामी ग्रीष्म ऋतु के सुस्त सीजन में दूध की आपूर्ति कम हो सकती है, कई डेयरी सहकारी समितियों की ओर से संरक्षित डेयरी उत्पादों जैसे कि मिल्क फैट और पाउडर के आयात की मांग की जा रही थी।
इसे ध्यान में रखते हुए एनडीडीबी भारत सरकार के साथ मिलकर मांग और आपूर्ति की समूची स्थिति की निरंतर निगरानी करता रहा है। चूंकि आयात की प्रक्रिया में समय लगता है, इसलिए किसी भी आकस्मिकता की स्थिति में समय पर सटीक प्रबंधन करने के लिए इनका आवश्यक स्टॉक पहले से ही कर लेने संबंधी प्रक्रियाएं पूरी की जा रही हैं।
आवश्यकता पड़ने पर गर्मियों के सीजन में इनकी मांग को पूरा करने में डेयरी सहकारी समितियों के लिए स्थिति को सहज बनाने में मदद के लिए आयात किया जा सकता है। हालांकि, उस स्थिति में भी यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इसका इंतजाम केवल एनडीडीबी के माध्यम से ही किया जाए और उचित ढंग से आकलन करने के बाद जरूरतमंद यूनियनों को बाजार मूल्य पर स्टॉक दिया जाए।
इससे यह सुनिश्चित होगा कि बाजार में हालात असामान्य न हो और हमारे डेयरी किसान के हितों की रक्षा हो, जो सरकार द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय में सर्वोपरि और केंद्रीय हैं।
माननीय सांसद शरद पवार जी ने पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला को लिखे अपने पत्र में जिस लेख का उल्लेख किया है, जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है, में केवल यह बताया गया है कि गर्मियों में बाद की अवधि में इनकी मांग पर गौर करने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा जिसका अर्थ यह है कि इस संबंध में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।