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विश्व विरासत दिवस या स्मारकों और स्थलों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (आईडीएमएस) आज विरासत परिवर्तन विषय के साथ मनाया जा रहा है

विश्व विरासत दिवस या स्मारकों और स्थलों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (आईडीएमएस) आज ‘विरासत परिवर्तन’ विषय के साथ मनाया जा रहा है। मानव विरासत को संरक्षित करने और प्रासंगिक संगठनों के सभी प्रयासों को मान्यता देने के लिए हर वर्ष 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष का विषय ‘जलवायु कार्रवाई के संबंध में जानने के पारंपरिक तरीकों और ज्ञान प्रणालियों के बारे में सीखने के बारे में सवालों के जवाब देने और जलवायु कार्रवाई के माध्यम से कमजोर समुदायों के समान संरक्षण का समर्थन करने के लिए सांस्कृतिक विरासत का उपयोग कैसे करें, इसका जवाब देते हुए संयुक्त राष्ट्र दशक की कार्रवाई का अवसर प्रदान करती है।

केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने अपने प्रेस वक्तव्य में विश्व विरासत दिवस के बारे में विस्तार से बताया। श्री रेड्डी ने कहा, “इस विश्व विरासत दिवस पर, जब दुनिया पूर्वजों से विरासत में मिली समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बचाने के अपने प्रयासों का उत्सव मना रही है, भारत को भी उस मोर्चे पर अपने प्रयासों पर गर्व है। पिछले 9 वर्षों में भारत की सांस्कृतिक परंपराओं और समृद्ध विरासत को प्रमुखता दी गई है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ‘विकास भी विरासत भी’ के विषय पर काम कर रही है, जहां विकास कार्य और विकास हमारे सांस्कृतिक स्थलों को संरक्षित करने के साथ-साथ चलते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने यह सुनिश्चित करने के लिए आगे आकर नेतृत्व किया है कि देश के समृद्ध सभ्यतागत इतिहास को विश्व स्तर पर उचित मान्यता मिले। मोदी सरकार को देश की समृद्ध संस्कृति से पूरी तरह जानकारी है और उसने हमारी विरासत को संरक्षित करने के लिए बहुत आवश्यक कदम उठाए हैं। स्मारकों के संरक्षण पर अतिरिक्त बल देने से लेकर संरक्षण रणनीतियों पर हमारे नागरिकों को प्रशिक्षित करने वाले विश्व स्तरीय संस्थानों की स्थापना तक, सरकार ने हमारी सांस्कृतिक संपत्तियों को बनाए रखने के लिए कई पहल की हैं। सरकार ने हमारी युवा पीढ़ी को भारतीय इतिहास की समृद्ध समझ देने के लिए राष्ट्रीय महत्व के कई स्मारकों का भी निर्माण किया है।”

विश्व विरासत दिवस के अवसर पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने ट्वीट कर नागरिकों से हमारी विरासत को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने का आग्रह किया।