नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने “सतत विकास के लिए जैव-ऊर्जा: मामलों का अध्ययन और सर्वोत्तम तौर-तरीके” पर कार्यशाला आयोजित की
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने आज नई दिल्ली में यूएनआईडीओ और जीईएफ के सहयोग से “सतत विकास के लिए जैव-ऊर्जा: मामलों का अध्ययन और सर्वोत्तम तौर-तरीके” पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।
उद्घाटन सत्र के दौरान, एमएनआरई सचिव भूपिंदर सिंह भल्ला ने ऊर्जा स्रोतों में बदलाव की आवश्यकता, इस दिशा में देश द्वारा किए गए प्रयासों और जैव ऊर्जा की भूमिका के बारे में बताया। एमएनआरई के संयुक्त सचिव (जैव ऊर्जा) दिनेश जगदाले ने जैव ऊर्जा के विश्वव्यापी बढ़ते महत्व और इस क्षेत्र को गति प्रदान करने के लिए ऐसी कार्यशालाओं के आयोजन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
कार्यशाला में उद्योग, प्रोजेक्ट डेवलपर, राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों और वित्तीय संस्थानों और भारत सरकार के विभिन्न हितधारक मंत्रालयों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यशाला में प्रेस मड और पृथक शहरी खाद्य अपशिष्ट पर आधारित सीबीजी संयंत्रों का अध्ययन (केस स्टडी), मध्यम और छोटे आकार के बायोगैस संयंत्रों का अध्ययन (केस स्टडी), अभिनव बायोमास आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन प्रणाली और पेलेट निर्माण सहित बायोमास संयंत्रों का अध्ययन (केस स्टडी), बीआईएस मानकों की अभ्यास-संहिता आदि पर विभिन्न सत्र शामिल थे। अपशिष्ट-से-ऊर्जा बायोमीथेनकरण परियोजनाओं के वित्तपोषण और बायोमीथेनकरण क्षेत्र के विकास में नवाचारों के महत्व पर पैनल चर्चा भी आयोजित की गयी।
मामलों के अध्ययन (केस स्टडीज) देश के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न प्रकार के जैव-ऊर्जा संयंत्रों द्वारा अपनाए गए तौर-तरीकों पर केंद्रित हैं। पैनल चर्चा के दौरान, बायोमास आपूर्ति श्रृंखला की स्थापना के लिए वित्त पोषण के नए तरीकों पर बल दिया गया, जिससे जैव-ऊर्जा क्षेत्र की विश्वसनीयता को बढ़ाया जा सके।
कार्यशाला का आयोजन आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) के एक भाग के रूप में किया गया था।