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जी-20 के चौथे शिक्षा कार्यकारी समूह की बैठक के अग्रगामी कार्यक्रम के रूप में पुणे में एक मूलभूत साक्षरता और अंक ज्ञान पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

मूलभूत साक्षरता और अंक ज्ञान पर राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन ‘एकीकृत मॉडल से शिक्षक क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण’ पर विचार विमर्श हुए

निष्ठा में शिक्षकों की गुणवत्ता और छात्रों के शिक्षा परिणामों में सुधार पर जोर के साथ पूर्व- प्राथमिक, प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के 35 लाख शिक्षकों को कवर किया गया

महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ ने एफएलएन अभ्यासों का प्रभावशाली प्रदर्शन प्रस्तुत किया

मूलभूत साक्षरता और अंक ज्ञान पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज पुणे में हुआ। सम्मेलन का आयोजन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को ‘एकीकृत मॉडल से शिक्षकों के क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण’ पर चर्चा करने के उद्देश्य से एक साथ लाने के लिए किया गया था।

इस कार्यक्रम की स्कूली शिक्षा विभाग में सचिव संजय कुमार, सावित्री बाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो. सुरेश गोसावी और शिक्षा मंत्रालय एवं राज्य शिक्षा विभागों के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने शोभा बढ़ाई।

इस अवसर पर लामचोंघोई स्वीटी चांगसान ने 2019 में शुरू हुए निष्ठा- नेशनल इनिशिएटिव फॉर स्‍कूल हेड्स एंड टीचर्स होलिस्टिक एडवांस्‍मेंट प्रोग्राम के बारे में बात की। इसका 2021-22 में आगे मूलभूत साक्षरता और अंक ज्ञान एवं माध्यमिक स्तर तक विस्तार कर दिया गया है, जिसके दायरे में शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार और छात्रों के सीखने के परिणामों पर ध्यान देने के साथ 35 लाख पूर्व-प्राथमिक, प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के शिक्षक शामिल हैं।

उन्होंने शैक्षणिक दृष्टिकोण को मजबूत करने के लिए 20 अक्टूबर 2022 को जारी मूलभूत चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) का भी उल्लेख किया। इस रूपरेखा का उद्देश्य एक प्रणालीगत सामान्य आधार प्रदान करना और पूरे देश में मानकीकृत, ग्रेड-वार शिक्षा के लिए मार्ग प्रशस्त करना है।

उन्होंने मिश्रित शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला, जो सीखने के अनुभव को बढ़ाने, प्रभावशीलता को अधिकतम करने और शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए पारंपरिक दृष्टिकोण और ऑनलाइन शिक्षा को जोड़ती है। उन्होंने कहा कि मिश्रित शिक्षा को टिकाऊ बनाने के लिए यह जरूरी है कि शिक्षक कौशल, ज्ञान और शैक्षणिक दृष्टिकोण से अच्छी तरह से युक्त हों ताकि वे नियमित रूप से होने वाले परिवर्तनों के अनुकूल हों और मिश्रित शिक्षण विधियों को प्रभावी ढंग से लागू करने में सक्षम हों।

प्रो. सुरेश गोसावी ने वर्तमान में आयोजित की जा रही एफएलएन प्रदर्शनी के महत्व पर प्रकाश डाला, जिसमें जी20 देश, भारतीय राज्य, कंपनियां, अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां, स्वायत्त संस्थाएं और नागरिक संगठन अपने काम को प्रदर्शित कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एफएलएन लक्ष्यों को समय पर हासिल करने के लिए सभी हितधारकों द्वारा अपनाई जा रही कुछ सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रदर्शन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के मंच हमारे सामूहिक विकास का अवसर प्रदान करते हैं।

इस अवसर पर, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों ने संबंधित राज्यों की आधारभूत साक्षरता और अंक अभ्यासों का एक प्रभावशाली प्रदर्शन प्रस्तुत किया।

संयुक्त सचिव, स्कूली शिक्षा सुश्री अर्चना शर्मा अवस्थी ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा और साथ ही, दिन के कार्यक्रमों के कामकाज में शामिल सभी सदस्यों के प्रति आभार प्रकट किया।