प्रधानमंत्री का शहडोल में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन का शुभारंभ करने के अवसर पर संबोधन का पाठ
कार्यक्रम में उपस्थित मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्रीमान मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री भाई शिवराज जी, केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे साथी श्री मनसुख मांडविया जी, फग्गन सिंह कुलस्ते जी, प्रोफेसर एस पी सिंह बघेल जी, श्रीमती रेणुका सिंह सरुता जी, डॉक्टर भारती पवार जी, श्री बीश्वेश्वर टूडू जी, सांसद श्री वी डी शर्मा जी, मध्य प्रदेश सरकार में मंत्रीगण, सभी विधायकगण, देश भर से इस कार्यक्रम में जुड़ रहे अन्य सभी महानुभाव, और इतनी विशाल संख्या में हम सबको आशीर्वाद देने के लिए आए हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों!
जय सेवा, जय जोहार। आज मुझे रानी दुर्गावती जी की इस पावन धरती पर आप सभी के बीच आने का सौभाग्य मिला है। मैं रानी दुर्गावती जी के चरणों में अपनी श्रद्धांजलि समर्पित करता हूं। उनकी प्रेरणा से आज ‘सिकल सेल एनीमिया मुक्ति मिशन’ एक बहुत बड़े अभियान की शुरुआत हो रही है। आज ही मध्य प्रदेश में 1 करोड़ लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड भी दिए जा रहे हैं। इन दोनों ही प्रयासों के सबसे बड़े लाभार्थी हमारे गोंड समाज, भील समाज, या अन्य हमारे आदिवासी समाज के लोग ही हैं। मैं आप सभी को, मध्यप्रदेश की डबल इंजन सरकार को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।
आज शहडोल की इस धरती पर देश बहुत बड़ा संकल्प ले रहा है। ये संकल्प हमारे देश के आदिवासी भाई-बहनों के जीवन को सुरक्षित बनाने का संकल्प है। ये संकल्प है- सिकल सेल एनीमिया की बीमारी से मुक्ति का। ये संकल्प है- हर साल सिकल सेल एनीमिया की गिरफ्त में आने वाले ढाई लाख बच्चे और उनके ढाई लाख परिवार के जनों का जीवन बचाने का।
मैंने देश के अलग-अलग इलाकों में आदिवासी समाज के बीच एक लंबा समय गुजारा है। सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारी बहुत कष्टदाई होती है। इसके मरीजों के जोड़ों में हमेशा दर्द रहता है, शरीर में सूजन और थकावट रहती है। पीठ, पैर और सीने में असहनीय दर्द महसूस होता है, सांस फूलती है। लंबे समय तक दर्द सहने वाले मरीज के शरीर के अंदरूनी अंग भी क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। ये बीमारी परिवारों को भी बिखेर देती है। और ये बीमारी ना हवा से होती है, ना पानी से होती है, ना भोजन से फैलती है। ये बीमारी ऐसी है जो माता-पिता से ही बच्चे में ये बीमारी आ सकती है, ये आनुवांशिक है। और इस बीमारी के साथ जो बच्चे जन्म लेते हैं, वो पूरी जिंदगी चुनौतियों से जूझते रहते हैं।
पूरी दुनिया में सिकल सेल एनीमिया के जितने मामले होते हैं, उनमें से आधे 50 प्रतिशत अकेले हमारे देश में होते हैं। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि पिछले 70 सालों में कभी इसकी चिंता नहीं हुई, इससे निपटने के लिए कोई ठोस प्लान नहीं बनाया गया! इससे प्रभावित ज़्यादातर लोग आदिवासी समाज के थे। आदिवासी समाज के प्रति बेरुखी के चलते पहले की सरकारों के लिए ये कोई मुद्दा ही नहीं था। लेकिन आदिवासी समाज की इस सबसे बड़ी चुनौती को हल करने का बीड़ा अब भाजपा की सरकार ने, हमारी सरकार ने उठाया है। हमारे लिए आदिवासी समाज सिर्फ एक सरकारी आंकड़ा नहीं है। ये हमारे लिए संवेदनशीलता का विषय है, भावनात्मक विषय है। जब मैं पहली बार गुजरात का मुख्यमंत्री बना था, उसके भी बहुत पहले से मैं इस दिशा में प्रयास कर रहा हूं। हमारे जो गवर्नर है श्रीमान मंगूभाई आदिवासी परिवार के होनहार नेता रहे है। करीब 50 साल से मैं और मंगूभाई आदिवासी इलाकों में एक साथ काम करते रह हैं। और हम आदिवासी परिवारों में जाकर के इस बीमारी को कैसे रास्ते निकले, कैसे जागरूकता लाई जाए उस पर लगातार काम करते थे। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री बना उसके बाद भी मैंने वहां इससे जुड़े कई अभियान शुरू किए। जब प्रधानमंत्री बनने के बाद मैं जापान की यात्रा पर गया, तो मैंने वहां नोबेल पुरस्कार जीतने वाले एक वैज्ञानिक से मुलाकात की थी। मुझे पता चला था कि वो वैज्ञानिक सिकल सेल बीमारी पर बहुत रिसर्च कर चुके हैं। मैंने उस जापानी वैज्ञानिक से भी सिकल सेल एनीमिया के इलाज में मदद मांगी थी।
सिकल सेल एनीमिया से मुक्ति का ये अभियान, अमृतकाल का प्रमुख मिशन बनेगा। और मुझे विश्वास है, जब देश आज़ादी के 100 साल मनाएगा, 2047 तक हम सब मिलकर के, एक मिशन मोड में अभियान चलाकर के ये सिकल सेल एनीमिया से हमारे आदिवासी परिवारों को मुक्ति दिलाएंगे, देश को मुक्ति दिलाएंगे। और इसके लिए हम सबको अपना दायित्व निभाना होगा। ये जरूरी है कि सरकार हो, स्वास्थ्य कर्मी हों, आदिवासी हों, सभी तालमेल के साथ काम करें। सिकल सेल एनीमिया के मरीजों को खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। इसलिए, उनके लिए ब्लड बैंक खोले जा रहे हैं। उनके इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा बढ़ाई जा रही है। सिकल सेल एनीमिया के मरीजों की स्क्रीनिंग कितनी जरूरी है, ये आप भी जानते हैं। बिना किसी बाहरी लक्षण के भी कोई भी सिकल सेल का कैरियर हो सकता है। ऐसे लोग अनजाने में अपने बच्चों को ये बीमारी दे सकते हैं। इसलिए इसका पता लगाने के लिए जांच कराना, स्क्रीनिंग कराना बहुत आवश्यक है। जांच नहीं कराने पर हो सकता है कि लंबे समय तक इस बीमारी का मरीज को पता नहीं चले। जैसे अक्सर अभी हमारे मनसुख भाई कह रहे थे कुंडली की बात, बहुत परिवारों में परंपरा रहती है, शादी से पहले कुंडली मिलाते हैं, जन्माक्षर मिलाते हैं। और उन्होंने कहा कि भई कुंडली मिलाओ या न मिलाओ लेकिन सिकल सेल की जांच का जो रिपोर्ट है, जो कार्ड दिया जा रहा है उसको तो जरूर मिलाना और उसके बाद शादी करना।
तभी हम इस बीमारी को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने से रोका जा सकेगा। इसलिए, मेरा आग्रह है, हर व्यक्ति स्क्रिनिंग अभियान से जुड़े, अपना कार्ड बनवाए, बीमारी की जांच कराए। इस ज़िम्मेदारी को लेने के लिए समाज खुद जितना आएगा, उतना ही सिकेल सेल अनीमिया से मुक्ति आसान होगी।
बीमारियां सिर्फ एक इंसान को नहीं, जो एक व्यक्ति बीमार होता है उसको ही सिर्फ नहीं, लेकिन जब एक व्यक्ति परिवार में बीमार होता है तो पूरे परिवार को बीमारी प्रभावित करती हैं। जब एक व्यक्ति बीमार पड़ता है, तो पूरा परिवार गरीबी और विवशता के जाल में फंस जाता है। और मैं एक प्रकार से आपसे कोई बहुत अलग परिवार से नहीं आया हूं। मैं आपके बीच से ही यहां पहुंचा हूं। इसलिए मैं आपकी इस परेशानी को अच्छी तरह जानता हूं, समझता हूं। इसीलिए हमारी सरकार ऐसी गंभीर बीमारियों को समाप्त करने के लिए दिन रात मेहनत कर रही है। इन्ही प्रयासों से आज देश में टीबी के मामलों में कमी आई है। अब तो देश 2025 तक टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए काम कर रहा है।
हमारी सरकार बनने के पहले 2013 में कालाजार के 11 हजार मामले सामने आए थे। आज ये घटकर एक हजार से भी कम रह गए हैं। 2013 में मलेरिया के 10 लाख मामले थे, 2022 में ये भी घटते-घटते 2 लाख से कम हो गए। 2013 में कुष्ठ रोग के सवा लाख मरीज थे, लेकिन अब इनकी संख्या घटकर 70-75 हजार तक रह गई है। पहले दिमागी बुखार का कितना कहर था, ये भी हम सब जानते हैं। पिछले कुछ वर्षों में इसके मरीजों की संख्या में भी कमी आई है। ये सिर्फ कुछ आंकड़ें नहीं है। जब बीमारी कम होती है, तो लोग दुख, पीड़ा, संकट और मृत्यु से भी बचते हैं।
हमारी सरकार का प्रयास है कि बीमारी कम हो, साथ ही बीमारी पर होने वाला खर्च भी कम हो। इसलिए हम आयुष्मान भारत योजना लेकर आए है, जिससे लोगों पर पड़ने वाला बोझ कम हुआ है। आज यहाँ मध्य प्रदेश में 1 करोड़ लोगों को आयुष्मान कार्ड दिये गए हैं। अगर किसी गरीब को कभी अस्पताल जाना पड़ा, तो ये कार्ड उसकी जेब में 5 लाख रूपये के ATM कार्ड का काम करेगा। आप याद रखिएगा, आज आपको जो कार्ड मिला है, अस्पताल में उसकी कीमत 5 लाख रुपए के बराबर है। आपके पास ये कार्ड होगा तो कोई आपको इलाज के लिए मना नहीं कर पाएगा, पैसे नहीं मांग पाएगा। और ये हिन्दुस्तान में कही पर भी आपको तकलीफ हुई और वहां की अस्पताल में जाके ये मोदी की गारंटी दिखा देना उसको वहां भी आपको इलाज करना होगा। ये आयुष्मान कार्ड, गरीब के इलाज के लिए 5 लाख रुपए की गारंटी है और ये मोदी की गारंटी है।
देश भर में आयुष्मान योजना के तहत अस्पतालों में करीब 5 करोड़ गरीबों का इलाज हो चुका है। अगर आयुष्मान भारत का कार्ड नहीं होता तो इन गरीबों को एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करके बीमारी का उपचार करना पड़ता। आप कल्पना करिए, इनमें से कितने लोग ऐसे होंगे जिन्होंने जिंदगी की उम्मीद भी छोड़ दी होगी। कितने परिवार ऐसे होंगे जिन्हें इलाज करवाने के लिए अपना घर, अपनी खेती शायद बेचना पड़ता हो। लेकिन हमारी सरकार ऐसे हर मुश्किल मौके पर गरीब के साथ खड़ी नज़र आई है। 5 लाख रुपए का ये आयुष्मान योजना गारंटी कार्ड, गरीब की सबसे बड़ी चिंता कम करने की गारंटी है। और यहां जो आयुष्मान का काम करते है जरा लाइए कार्ड – आपको ये जो कार्ड मिला है ना उसमें लिखा है 5 लाख रूपए तक का मुफ्त इलाज। इस देश में कभी भी किसी गरीब को 5 लाख रूपए की गारंटी किसी ने नहीं दी ये मेरे गरीब परिवारों के लिए ये भाजपा सरकार है, ये मोदी है जो आपको 5 लाख रूपए की गारंटी का कार्ड देता है।
गारंटी की इस चर्चा के बीच, आपको झूठी गारंटी देने वालों से भी सावधान रहना है। और जिन लोगों की अपनी कोई गारंटी नहीं है, वो आपके पास गारंटी वाली नई-नई स्कीम लेकर आ रहे हैं। उनकी गारंटी में छिपे खोट को पहचान लीजिए। झूठी गारंटी के नाम पर उनके धोखे के खेल को भांप लीजिए।
जब वो मुफ्त बिजली की गारंटी देते हैं, तो इसका मतलब है कि वो बिजली के दाम बढ़ाने वाले हैं। जब वो मुफ्त सफर की गारंटी देते हैं, तो इसका मतलब है कि उस राज्य की यातायात व्यवस्था बर्बाद होने वाली है। जब वो पेंशन बढ़ाने की गारंटी देते हैं, तो इसका मतलब है कि उस राज्य में कर्मचारियों को समय पर वेतन भी नहीं मिल पाएगा। जब वो सस्ते पेट्रोल की गारंटी देते हैं, तो इसका मतलब है कि वो टैक्स बढ़ाकर आपकी जेब से पैसे निकालने की तैयारी कर रहे हैं। जब वो रोजगार बढ़ाने की गारंटी देते हैं, तो इसका मतलब है कि वो वहां के उद्योग-धंधों को चौपट करने वाली नीतियां लेकर के आएंगे। कांग्रेस जैसे दलों की गारंटी का मतलब, नीयत में खोट और गरीब पर चोट, यही है उनके खेल। वो 70 सालों में गरीब को भरपेट भोजन देने की गारंटी नहीं दे सके। लेकिन ये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन की गारंटी मिली है, मुफ्त राशन मिल रहा है। वो 70 सालों में गरीब को महंगे इलाज से छुटकारा दिलाने की गारंटी नहीं दे सके। लेकिन आयुष्मान योजना से 50 करोड़ लाभार्थियों को स्वास्थ्य बीमा की गारंटी मिली है। वो 70 सालों में महिलाओं को धुएं से छुटकारा दिलाने की गारंटी नहीं दे सके। लेकिन उज्ज्वला योजना से करीब 10 करोड़ महिलाओं को धुआं मुक्त जीवन की गारंटी मिली है। वो 70 सालों में गरीब को पैरों पर खड़ा करने की गारंटी नहीं दे सके। लेकिन मुद्रा योजना से साढ़े 8 करोड़ लोगों को सम्मान से स्वरोजगार की गारंटी मिली है।
उनकी गारंटी का मतलब है, कहीं ना कहीं कुछ गड़बड़ है। आज जो एक साथ आने का दावा कर रहे हैं, सोशल मीडिया में उनके पुराने बयान वायरल हो रहे हैं। वो हमेशा से एक दूसरे को पानी पी-पीकर कोसते रहे हैं। यानी विपक्षी एकजुटता की गारंटी नहीं है। ये परिवारवादी पार्टियां सिर्फ अपने परिवार के भले के लिए काम करती आई हैं। यानी उनके पास देश के सामान्य मानवी के परिवार को आगे ले जाने की गारंटी नहीं है। जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, वो जमानत लेकर के बाहर घूम रहे हैं। जो घोटालों के आरोपों में सजा काट रहे हैं, वो एक मंच पर दिख रहे हैं। यानी उनके पास भ्रष्टाचार मुक्त शासन की गारंटी नहीं है। वो एक सुर में देश के खिलाफ बयान दे रहे हैं। वो देश विरोधी तत्वों के साथ बैठकें कर रहे हैं। यानी उनके पास आतंकवाद मुक्त भारत की गारंटी नहीं है। वो गारंटी देकर निकल जाएंगे, लेकिन भुगतना आपको पड़ेगा। वो गारंटी देकर अपनी जेब भर लेंगे, लेकिन नुकसान आपके बच्चों का होगा। वो गारंटी देकर अपने परिवार को आगे ले जाएंगे, लेकिन इसकी कीमत देश को चुकानी पड़ेगी। इसलिए आपको कांग्रेस समेत ऐसे हर राजनीतिक दल की गारंटी से सतर्क रहना है।
इन झूठी गारंटी देने वालों का रवैया हमेशा से आदिवासियों के खिलाफ रहा है। पहले जनजातीय समुदाय के युवाओं के सामने भाषा की बड़ी चुनौती आती थी। लेकिन, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अब स्थानीय भाषा में पढ़ाई की सुविधा दी गई है। लेकिन झूठी गारंटी देने वाले एक बार फिर राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध कर रहे हैं। ये लोग नहीं चाहते कि हमारे आदिवासी भाई-बहनों के बच्चे अपनी भाषा में पढ़ाई कर पाएं। वो जानते हैं कि अगर आदिवासी, दलित, पिछड़ा और गरीब का बच्चा आगे बढ़ जाएगा, तो इनकी वोट बैंक की सियासत चौपट हो जाएगी। मैं जानता हूं आदिवासी इलाकों में स्कूलों का, कॉलेजों का कितना महत्व है। इसलिए हमारी सरकार ने 400 से अधिक नए एकलव्य स्कूलों में आदिवासी बच्चों को आवासीय शिक्षा का अवसर दिया है। अकेले मध्य प्रदेश के स्कूलों में ही ऐसे 24 हजार विद्यार्थी पढ़ रहे हैं।
पहले की सरकारों ने जनजातीय समाज की लगातार उपेक्षा की। हमने अलग आदिवासी मंत्रालय बनाकर इसे अपनी प्राथमिकता बनाया। हमने इस मंत्रालय का बजट 3 गुना बढ़ाया है। पहले जंगल और जमीन को लूटने वालों को संरक्षण मिलता था। हमने फॉरेस्ट राइट एक्ट के तहत 20 लाख से ज्यादा टाइटल बांटे हैं। उन लोगों ने पेसा एक्ट के नाम पर इतने वर्षों तक राजनैतिक रोटियाँ सेंकी। लेकिन, हमने पेसा एक्ट लागू कर जनजातीय समाज को उनका अधिकार दिया। पहले आदिवासी परम्पराओं और कला-कौशल का मज़ाक बनाया जाता था। लेकिन, हमने आदि महोत्सव जैसे आयोजन शुरू किए।
बीते 9 वर्षों में आदिवासी गौरव को सहेजने और समृद्ध करने के लिए भी निरंतर काम हुआ है। अब भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिन पर 15 नवंबर को पूरा देश जनजातीय गौरव दिवस मनाता है। आज देश के अलग-अलग राज्यों में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित म्यूज़ियम बनाए जा रहे हैं। इन प्रयासों के बीच हमें पहले की सरकारों का व्यवहार भी भूलना नहीं है। जिन्होंने दशकों तक देश में सरकार चलाई, उनका रवैया आदिवासी समाज के प्रति, गरीबों के प्रति असंवेदनशील और अपमान-जनक रहा। जब तक आदिवासी महिला को देश का राष्ट्रपति बनाने की बात आई थी, तो हमने कई दलों का रवैया देखा है। आप एमपी के लोगों ने भी इनके रवैये को साक्षात देखा है। जब शहडोल संभाग में केन्द्रीय जन-जातीय विश्व-विद्यालय खुला, तो उसका नाम भी उन्होंने अपने परिवार के नाम पर रख दिया। जबकि शिवराज जी की सरकार ने छिंदवाड़ा विश्व-विद्यालय का नाम महान गोंड क्रांतिकारी राजा शंकर शाह के नाम पर रखा है। टंटया मामा जैसे नायकों की भी उन्होंने पूरी उपेक्षा की, लेकिन हमने पातालपानी स्टेशन का नाम टंटया मामा के नाम पर रखा। उन लोगों ने गोंड समाज के इतने बड़े नेता श्री दलवीर सिंह जी के परिवार का भी अपमान किया। उसकी भरपाई भी हमने की, हमने उन्हें सम्मान दिया। हमारे लिए आदिवासी नायकों का सम्मान हमारे आदिवासी युवाओं का सम्मान है, आप सभी का सम्मान है।
हमें इन प्रयासों को आगे भी बनाए रखना है, उन्हें और रफ्तार देनी है। और, ये आपके सहयोग से, आपके आशीर्वाद से ही संभव होगा। मुझे विश्वास है, आपके आशीर्वाद और रानी दुर्गावती की प्रेरणा ऐसे ही हमारा पथ-प्रदर्शन करती रहेंगी। अभी शिवराज जी बता रहे थे कि 5 अक्टूबर को रानी दुर्गावती जी की 500वीं जयंती आ रही है। मैं आज जब आपके बीच आया हूं, रानी दुर्गावती के पराक्रम की इस पवित्र भूमि पर आया हूं तो मैं आज देशवासियों के समक्ष घोषणा करता हूं कि रानी दुर्गावती जी की 500वीं जन्म शताब्दी पूरे देश में भारत सरकार मनाएगी। रानी दुर्गावती के जीवन के आधार पर फिल्म बनाई जाएगी, रानी दुर्गावती का एक चांदी का सिक्का भी निकाला जाएगा, रानी दुर्गावती जी का पोस्टल स्टैंप भी निकाला जाएगा और देश और दुनिया में 500 साल पहले जन्म हुए इससे हमारे लिए पवित्र मां के समान उनकी प्रेरणा की बात हिन्दुस्तान के घर-घर पहुंचाने का एक अभियान चलाएगा।
मध्य प्रदेश विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा, और हम सब साथ मिलकर विकसित भारत के सपने को पूरा करेंगे। अभी मैं यहां से कुछ आदिवासी परिवारों से भी मिलने वाला हूं, उनसे भी कुछ आज बातचीत करने का मुझे अवसर मिलने वाला है। आप इतनी बड़ी संख्या में आए हैं सिकल सेल, आयुष्मान कार्ड आपकी आने वाली पीढ़ियों की चिंता करने का मेरा बड़ा अभियान है। आपका मुझे साथ चाहिए। हमें सिकल सेल से देश को मुक्ति दिलानी है, मेरे आदिवासी परिवारों को इस मुसीबत से मुक्त करवाना है। मेरे लिए, मेरे दिल से जुड़ा हुआ ये काम है और इसमें मुझे आपकी मदद चाहिए, मेरे आदिवासी परिवारों का मुझे साथ चाहिए। आपसे यही प्रार्थना करता हूं I स्वस्थ रहिए, समृद्ध बनिए।