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आईआईसीए ने ‘अनुसंधान पद्धति: नवाचार, आलोचनात्मक सोच और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया को बढ़ावा’ विषय पर तीन-महीने का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू कियानवाचार, आलोचनात्मक सोच और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया को बढ़ावा’ विषय पर तीन-महीने का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (आईआईसीए) ने ‘अनुसंधान पद्धति: नवाचार, आलोचनात्मक सोच और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया को बढ़ावा’ विषय पर तीन महीने का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया।

आईआईसीए ने अनुसंधान, सिद्धांत और डिजाइन पर तीन महीने का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया है। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य नवाचार, आलोचनात्मक सोच और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने की संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु संकाय सदस्यों एवं छात्रों को सुदृढ़ अनुसंधान पद्धतियों से लैस करना है।

आईआईसीए के महानिदेशक और सीईओ श्री प्रवीण कुमार ने अपने उद्घाटन भाषण में ज्ञान को उन्नत करने और अनुसंधान, नवाचार एवं आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देने में अनुसंधान पद्धति के महत्व पर प्रकाश डाला। यह पाठ्यक्रम सहयोगात्मक शिक्षा, अंतःविषयी दृष्टिकोण और विविध परिपेक्ष्य को साझा करने पर जोर देता है। इसमें नैतिक विचारों और अनुसंधान के जिम्मेदार आचरण पर जोर दिया जाता है।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर रोशन लाल रैना ने अकादमिक गतिविधियों में अनुसंधान पद्धति के महत्व और ज्ञान को उन्नत करने, नवाचार को बढ़ावा देने और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया पर इसके प्रभाव पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि कैसे सुदृढ़ अनुसंधान पद्धतियां विभिन्न विषयों के विकास एवं उसकी प्रगति में योगदान करती हैं। प्रोफेसर रैना ने अनुसंधान पद्धति से संबंधित व्यक्तिगत किस्सों और अनुभवों को साझा करके प्रतिभागियों को प्रोत्साहित एवं प्रेरित भी किया। उन्होंने अनुसंधान की परिवर्तनकारी शक्ति और करियर को आकार देने, नीतियों को प्रभावित करने एवं समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की इसकी क्षमता के बारे में चर्चा की। इसके अलावा, प्रोफेसर रैना ने प्रभावी अनुसंधान डिजाइन, डेटा संग्रह, विश्लेषण और व्याख्या के बारे में अपनी अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान करने के क्रम में आलोचनात्मक सोच, सूक्ष्म बातों पर ध्यान और निरंतर सीखते रहने के महत्व पर जोर दिया।

सुश्री ओलुवाटोयिन ओयेकेनु ने अनुसंधान प्रक्रिया में नैतिकता एवं ईमानदारी की समग्र भूमिका, अंतःविषयी सहयोग एवं सभी शैक्षणिक प्रयासों में इसके महत्व पर जोर दिया। उन्होंने आगे कहा कि इस पाठ्यक्रम का ऑनलाइन प्रारूप विभिन्न कार्यक्रमों और जरूरतों को पूरा करने के मामले में पर्याप्त लचीलापन प्रदान करता है। आभासी माध्यम से आयोजित किए जाने के बावजूद, इस कार्यक्रम का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि बातचीत, जुड़ाव और सीखने के अनुभव उतने ही वास्तविक एवं समृद्ध हों जितने कि पारंपरिक व्यवस्था में होते। इसके अलावा, यह पाठ्यक्रम अंतःविषयी सहयोग हेतु एक ऐसा मंच प्रदान करता है, जो विविध शैक्षणिक पृष्ठभूमि से आने वाले प्रतिभागियों के बीच उपयोगी चर्चा और विचारों के आदान-प्रदान की सुविधा देता है।

अनुसंधान, सिद्धांत और डिजाइन से संबंधित तीन महीने के सर्टिफिकेट कोर्स का उद्घाटन इस पाठ्यक्रम की निदेशक डॉ. लता सुरेश के स्वागत भाषण के साथ हुआ। अपने स्वागत भाषण के दौरान, उन्होंने कहा कि आईआईसीए ने हमेशा शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता एवं ज्ञान की खोज को प्राथमिकता दी है और अनुसंधान-संचालित वातावरण को बढ़ावा देने के प्रति इसकी प्रतिबद्धता अनुसंधान पद्धति से संबंधित इस पाठ्यक्रम की स्थापना से स्पष्ट है। उन्होंने आगे कहा कि नवाचार, आलोचनात्मक सोच और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने की संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु संकाय सदस्यों एवं छात्रों को सुदृढ़ अनुसंधान पद्धतियों से लैस करना जरूरी है।