केन्द्रीय वित्त और कार्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज नयी दिल्ली में ‘‘भारत में वैश्विक रसायन और पेट्रोरसायन विनिर्माण केन्द्रों’ पर आयोजित सम्मेलन के तीसरे संस्करण (जीसीजपीएमएच 2023) का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा भी उपस्थित थे। इनके अलावा ओडिशा सरकार के उद्योग, एमएसएमई और उर्जा मंत्री श्री प्रताप केशरी देब, रसायन और पेट्रोरसायन विभाग में सचिव श्री अरूण बरोका, फिक्की की पेट्रोरसायन समिति के अध्यक्ष श्री प्रभ दास तथा रसायन और पेट्रोरसायन उद्योग में उभरते अवसरों में रूचि रखने वाले अन्य गणमान्य लोग भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
रसायन और उर्वरक मंत्रालय का रसायन और पेट्रोरसायन विभाग, फिक्की के साथ मिलकर इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।
श्रीमती निर्मला सीतारमण ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय रसायन और पेट्रोरसायन क्षेत्र में व्यापक संभावनायें हैं और यह अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों पर भी प्रभाव डालता है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र के महत्व को इस तथ्य से आंका जा सकता है कि यह कृषि, अवसंरचना, कपड़ा, फार्मा, पैकेजिंग आदि क्षेत्रों से जुड़े 80 हजार से अधिक रासायनिक उत्पादों पर काम करता है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत 2047 तक उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने और 2070 तक कार्बन शून्य लक्ष्य हासिल करने के लिये पूरी तैयारी में है। उन्होंने हरित वृद्धि और कार्बन तीव्रता में कमी लाने पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया। वर्ष 2022-23 में प्रमुख रसायनों और पेट्रोरसायनों का कुल निर्यात 9 अरब डालर रहा लेकिन आयात बढ़कर 13.33 अरब डालर पर पहुंच गया। इनमें कई आयात वस्तुयें ऐसी भी शामिल हैं जिनका भारत में उत्पादन किया जा सकता है और सरकार इस दिशा में हर संभव प्रयास कर रही है।
वित्त मंत्री ने अपने संबोधन में कुछ विशिष्ट रसायनों के बाजार की तरफ भी ध्यान आकर्षित किया. जो कि प्रतिवर्ष 12 प्रतिशत की औसत की उच्च दर से बढ़ रहा है। इसलिये विशिष्ट रसायनों को अधिक सक्रिय समर्थन दिये जाने की आश्यकता है। देश में मजबूत प्रोसेस इंजीनियरिंग क्षमतायें, कम लागत विनिर्माण क्षमता और पर्याप्त कार्यबल के चलते यह बाजार तेजी से उभरा है।
श्री भगवंत खुबा ने कहा कि सरकार देश में रसायन पार्क स्थापित करने के लिये राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही है और प्लास्टिक पार्क स्थापित करने की प्रक्रिया पहले से जारी है। उन्होंने कहा कि सरकार कौशल विकास को बढ़ावा देने के साथ ही उद्योग और शिक्षाविदों को एक साथ लाने के लिये उत्कृष्टता केन्द्र भी बना रही है। रसायन और पेट्रोरसायन क्षेत्र का बाजार लगभग 190 अरब डालर है और निवेश की व्यापक संभावनाओं के साथ इसके 2025 तक 300 अरब डालर और 2040 तक 1,000 अरब डालर तक पहुंचने का अनुमान है।
श्री प्रताप केशरी देब ने अपने संबोधन में कहा कि ओडिशा घरेलू स्तर पर रसायन क्षेत्र में आठ प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहा है और इस गति को अगले 10 साल तक बनाये रखने के लिये राज्य में 40 प्रतिशत क्षमता वृद्धि की आवश्यकता होगी। ओडिशा की औद्योगिक नीति संकल्प 2022 उद्योगों के बहुत अनुकूल है जिसमें विनिर्माण इकाइयों के लिये कर अवकाश, विद्युत शुल्क छूट आदि के प्रावधान हैं।
रसायन और पेट्रोरसायन विभाग में सचिव श्री अरूण बरोका ने कहा कि नीतियों में सुधार के साथ ही बढ़ती मांग से रसायन और पेट्रोरसायन क्षेत्र में भारत उच्च वृद्धि हासिल करने की ओर अग्रसर है। भारत यदि मौजूदा दर से वृद्धि हासिल करता रहा तो 2047 तक रसायन क्षेत्र के बढ़कर 1 हजार अरब डालर तक पहुंचने की आशा है। चार पेट्रोलियम, रसायन और पेट्रोरसायन निवेश क्षेत्र (पीसीपीआईआर) इस क्षेत्र की वृद्धि में मदद कर रहे हैं। इसके साथ ही प्रस्तावित रसायन पार्क से उद्योग को और तेज गति से आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।