आईआईएम बैंगलोर के अध्ययन में जल जीवन मिशन की रोजगार सृजन क्षमता का आकलन किया गया
आरंभिक चरण में जल जीवन मिशन रोजगार सृजन क्षमता 2.8 करोड़ व्यक्ति प्रति वर्ष आंकी गई है और यह संचालन एवं रखरखाव के लिए सालाना 11.8 लाख व्यक्ति प्रति वर्ष है
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग बहुत जल्द एक बहु कौशल पाठ्यक्रम लेकर आएगा और दीर्घकालिक स्थिरता के लिए परिसंपत्तियों बनाए रखने के उद्देश्य से समुदाय को प्रशिक्षित किया जाएगा: पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में सचिव सुश्री विनी महाजन
मिशन के तहत होने वाले कार्य सुदूरवर्ती और दूर-दराज के गांवों में कमजोर समूहों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं: श्री सातोशी सासाकी, अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक संगठन
जल जीवन मिशन ग्रामीण-शहरी विभाजन को कम करने में सहायता कर रहा है: प्रोफेसर गोपाल नाइक, आईआईएम-बैंगलोर
‘जल जीवन मिशन की रोजगार सृजन क्षमता के आकलन’ पर अध्ययन भारतीय प्रबंधन संस्थान, बैंगलोर (आईआईएम-बी) के अंतर्गत कार्यरत सार्वजनिक नीति केंद्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) दिल्ली के तकनीकी सहयोग से किया गया है। इसे नई दिल्ली के चाणक्यपुरी में सिविल सर्विसेज ऑफिसर्स इंस्टिट्यूट द्वारा जारी किया गया। इस अध्ययन का लक्ष्य आरंभिक चरण में उत्पन्न कुल प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार का अनुमान लगाना तथा संचालन व रखरखाव चरण में उत्पन्न हुए प्रत्यक्ष रोजगार अवसरों का अनुमान लगाना था। अध्ययन में जल जीवन मिशन की विस्तृत रोजगार सृजन क्षमता का आकलन किया गया और इसकी मात्रा निर्धारित की गई है, जिसका उद्देश्य भारत के सभी ग्रामीण घरों में व्यक्तिगत तौर पर घरेलू नल से जल के कनेक्शन के माध्यम से सुरक्षित तथा पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है। आरंभिक चरण में जल जीवन मिशन रोजगार सृजन क्षमता 2.8 करोड़ व्यक्ति प्रति वर्ष आंकी गई है और यह संचालन एवं रखरखाव के लिए सालाना 11.8 लाख व्यक्ति प्रति वर्ष है। आईआईएम-बैंगलोर की रिपोर्ट के बारे में अधिक जानने के लिए यहां पर क्लिक करें
पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सचिव सुश्री विनी महाजन ने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि “ग्रामीण घरों में नल से जल के कनेक्शन का प्रावधान करने से परिवारों की आय में सुधार हो रहा है। इस पहल से पुरुषों और महिलाओं के लिए समान रूप से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।“ सुश्री महाजन ने इस अध्ययन के निष्कर्षों पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि “आईआईएम-बैंगलोर द्वारा किया गया अध्ययन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ‘हर घर जल’ कार्यक्रम के प्रभाव को समझने में मदद करता है, विशेष रूप से महिलाओं पर। सचिव सुश्री विनी महाजन ने कहा कि जल आपूर्ति के बुनियादी ढांचे के संचालन एवं रखरखाव के लिए मौजूदा कार्यबल का कौशल महत्वपूर्ण है।“ उन्होंने बताया कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग बहुत जल्द एक बहु कौशल पाठ्यक्रम लेकर आएगा और दीर्घकालिक स्थिरता के लिए परिसंपत्तियों बनाए रखने के उद्देश्य से समुदाय को प्रशिक्षित किया जाएगा।
सुश्री महाजन ने कहा कि वे विशेष रूप से महिलाओं के श्रम के समय में आई कमी को देखकर प्रसन्न हैं, जो दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए पानी इकट्ठा करने में हर दिन 5 ½ करोड़ घंटे खर्च करती रही हैं। उन्होंने कहा कि आज हर दूसरे ग्रामीण परिवार को नल से पानी का कनेक्शन मिल रहा है और जमीनी स्तर पर किये गए निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप 15 अगस्त 2019 को मिशन की शुरुआत के समय 3.23 करोड़ की तुलना में अब 12.7 करोड़ से अधिक नल जल कनेक्शन हो गए हैं। सचिव ने यह भी कहा कि मिशन का प्रभाव और सुरक्षित पेयजल का मामला सिर्फ रोजगार तक ही सीमित नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि नल के पानी के सार्वभौमिक कवरेज से 4,00,000 लोगों की जान बचाई जाएगी।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, नई दिल्ली के प्रभारी अधिकारी श्री सातोशी सासाकी ने गांवों में 65 प्रतिशत नल जल कनेक्शन प्रदान करने में हासिल की गई प्रगति पर जल जीवन मिशन को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे का निर्माण सीधे रोजगार पर असर डालता है और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में सहायता करता है। श्री सातोशी सासाकी ने कहा कि निर्माण उद्योग में रोजगार उपलब्ध कराने की बड़ी संभावना है और प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करने वाला प्रमुख उद्योग निर्माण कार्य है, जिसमें कुशल एवं अकुशल दोनों प्रकार की कार्यबल की खपत होती है। उन्होंने कहा कि मिशन के तहत होने वाले कार्य सुदूरवर्ती और दूर-दराज के गांवों में कमजोर समूहों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। श्री सातोशी सासाकी ने बताया कि अध्ययन से प्राप्त विश्लेषण का उपयोग मसौदा नीतियों, साक्ष्य-आधारित योजनाओं और विकासशील रणनीतियों में शामिल किया जाएगा।
आईआईएम बैंगलोर के प्रोफेसर गोपाल नाइक ने 10 राज्यों से प्राप्त हुए आंकड़ों का विश्लेषण करने के लिए इस्तेमाल की गई प्रक्रिया के बारे में बताया। उन्होंने जानकारी दी कि टीम द्वारा 6 महीने तक चले शोध में कुल 917 योजनाओं का विश्लेषण किया गया। प्रोफेसर गोपाल नाइक ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन से प्राप्त हुए बहुमूल्य सुझावों के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि अध्ययन में मुख्य रूप से तीन पहलुओं को शामिल किया गया है – प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष और हर घर जल कार्यक्रम द्वारा सृजित रोजगार। प्रोफेसर नाइक ने सलाह देते हुए कहा कि जल जीवन मिशन पुरुषों, महिलाओं, कुशल, अकुशल, एकमुश्त और दीर्घकालिक रोजगार के लिए आय सृजन के अवसरों के माध्यम से ग्रामीण-शहरी विभाजन को पाटने में सहायता कर रहा है।
राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के अपर सचिव एवं मिशन निदेशक श्री विकास शील ने महत्वपूर्ण अध्ययन करने के लिए आईआईएम-बैंगलोर और इसका सहयोग करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन को धन्यवाद दिया। उन्होंने इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने हेतु समय निकालने के लिए गणमान्य व्यक्तियों, विकास भागीदारों तथा मीडिया को धन्यवाद दिया।
जल जीवन मिशन भारत के लोगों के जीवन को आसान बनाने के माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप ही देशवासियों को असंख्य तरीकों से लाभान्वित कर रहा है। यह न केवल घरेलू स्तर पर नल से जल के प्रावधान के साथ ग्रामीण भारत में जीवन जीने के तरीके को बदल रहा है, बल्कि लोगों, विशेषकर महिलाओं के लिए बेहतर स्वास्थ्य एवं अधिक आर्थिक अवसरों के रूप में लाभ भी पहुंचा रहा है। जल जीवन मिशन के तहत रोजगार सृजन से आर्थिक विकास को और गति मिल रही है।