राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान किए

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज (5 सितंबर, 2023) शिक्षक दिवस के अवसर पर विज्ञान भवन, नई दिल्ली में हुए एक समारोह में देश भर के शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान; राज्य मंत्री, शिक्षा मंत्रालय अन्नपूर्णा देवी; राज्य मंत्री, शिक्षा मंत्रालय डॉ. सुभाष सरकार; राज्य मंत्री, शिक्षा मंत्रालय डॉ. राजकुमार रंजन सिंह; इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर; सचिव, उच्च शिक्षा के. संजय मूर्ति; सचिव, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग संजय कुमार; सचिव, एमएसडीई अतुल कुमार तिवारी भी उपस्थित रहे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि हर किसी के जीवन में प्राथमिक शिक्षा का सबसे ज्यादा महत्व है। उन्होंने कहा कि कई शिक्षाविद् बच्चों के संतुलित विकास के लिए 3-एच फॉर्मूले की बात करते हैं जिसमें पहला एच हार्ट यानी हृदय, दूसरा एच हेड यानी सिर और तीसरा एच हैंड यानी हाथ है। उन्होंने बताया कि हृदय का संबंध संवेदनशीलता, मानवीय मूल्यों, चरित्र की मजबूती और नैतिकता से है। उन्होंने कहा कि सिर या मस्तिष्क का संबंध मानसिक विकास, तर्क शक्ति और पढ़ने से है और हाथ का संबंध शारीरिक कौशल और शारीरिक श्रम के प्रति सम्मान से है। उन्होंने कहा कि ऐसे समग्र दृष्टिकोण पर बल देने से ही बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव होगा।

राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षण पेशे में महिलाओं की भागीदारी को देखते हुए शिक्षक पुरस्कार प्राप्त करने वाली महिला शिक्षकों की संख्या अधिक होनी चाहिए। उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए छात्राओं और शिक्षकों को प्रोत्साहित किए जाने के महत्‍व पर भी जोर दिया।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करते हैं। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को हर बच्चे का मौलिक अधिकार माना जाता है और इन लक्ष्यों को हासिल करने में शिक्षकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र-निर्माता के रूप में शिक्षकों के महत्व का उल्लेख राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी स्पष्ट रूप से किया गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता का भी यह कर्तव्य है कि वे प्रत्येक बच्चे की विशेष क्षमताओं को पहचानें और संवेदनशीलता के साथ उन क्षमताओं को विकसित करने में बच्चे की मदद करें। उन्होंने कहा कि हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे पर विशेष ध्यान दिया जाए और प्यार से व्यवहार किया जाए। माता-पिता बड़े विश्वास के साथ अपने बच्चों को शिक्षकों को सौंपते हैं। उन्होंने कहा कि कक्षा में बच्चों के बीच प्यार बांटने का अवसर मिलना प्रत्येक शिक्षक के लिए बहुत सौभाग्य की बात है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हर कोई अपने शिक्षकों को याद करता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को शिक्षकों से जो प्रशंसा, प्रोत्साहन या सजा मिलती है वह उनकी यादों में रहती है। उन्होंने कहा कि अगर बच्चों में सुधार लाने के इरादे से उन्हें सजा दी जाती है तो उन्हें इसका एहसास बाद में होता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को ज्ञान देने से ज्यादा जरूरी है उन्हें प्यार और स्नेह देना।

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का उद्देश्य देश में शिक्षकों के अद्वितीय योगदान का उत्सव मनाना और उन शिक्षकों को सम्मानित करना है जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और समर्पण के माध्यम से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है। प्रत्येक पुरस्कार में प्रमाण पत्र, 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार और एक रजत पदक दिया जाता है। पुरस्कार विजेताओं को माननीय प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करने का भी अवसर मिलता है।

स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय एक कठोर, पारदर्शी चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने के लिए हर साल शिक्षक दिवस पर एक राष्ट्रीय स्तर का समारोह आयोजित करता रहा है। इस वर्ष से, राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का दायरा बढ़ाकर उच्च शिक्षा विभाग और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के शिक्षकों को इसमें शामिल कर लिया गया है। इस वर्ष 50 स्कूल शिक्षकों, उच्च शिक्षा से जुड़े 13 शिक्षकों और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय से 12 शिक्षकों को सम्मानित किया गया।

नई तरह से शिक्षण, अनुसंधान, सामुदायिक पहुंच और काम की नवीनता को पहचानने के उद्देश्य से अधिकतम भागीदारी (जनभागीदारी) सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन मोड में नामांकन मांगे गए थे। शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों के चयन के लिए प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल करते हुए तीन अलग-अलग स्वतंत्र राष्ट्रीय जूरी का गठन किया था।