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वित्त वर्ष 2023-24 में डीजीजीआई ने कुल 1.36 लाख करोड़ रुपये की जीएसटी की चोरी का पता लगाया, जिसमें 14,108 करोड़ रुपये का स्वैच्छिक भुगतान शामिल है

देश भर में जीएसटी कर चोरी के मामले देखने वाली प्रमुख खुफिया और जांच एजेंसी होने के नाते, माल एवं सेवा कर आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने नवंबर, 2020 से सरकारी राजस्व की चोरी को रोकने के लिए फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने की कवायद के खिलाफ एक विशेष अभियान शुरू किया था और आईटीसी चोरी की सक्रिय जांच जारी रखी थी। अप्रैल, 2020 से सितंबर, 2023 तक, 57,000 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी से जुड़े 6,000 से अधिक फर्जी आईटीसी मामलों का पता चला है और इस क्रम में कुल 500 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

जून 2023 से ही, डीजीजीआई ने देश भर में सक्रिय सरगनाओं और गड़बड़ी करने वाले सिंडिकेट की पहचान करने और उन्हें पकड़ने पर विशेष जोर दिया है। आधुनिक तकनीकी उपकरणों की सहायता से डेटा विश्लेषण का उपयोग करके मामलों को सुलझाया गया जिससे कर चोरों की गिरफ्तारी की गई है। ये कर चोरी का सिंडिकेट अक्सर भोले-भाले लोगों का उपयोग करते हैं और उन्हें नौकरी/ कमीशन/ बैंक ऋण आदि का प्रलोभन देकर उनके केवाईसी दस्तावेज़ निकालते थे, जिनका उपयोग उनकी जानकारी और सहमति के बिना फर्जी/ शेल फर्म/ कंपनियां बनाने के लिए किया जाता था। कुछ मामलों में, केवाईसी का उपयोग संबंधित व्यक्ति की जानकारी में उन्हें मामूली पैसा देकर किया जाता था। चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 14,000 करोड़ रुपये के कुल 1,040 फर्जी आईटीसी मामलों का पता चला है और अब तक धोखाधड़ी करने वाले कुल 91 लोगों को पकड़ा गया है।

जीएसटी चोरी के खतरे से निपटने के उद्देश्य से, डीजीजीआई विशेष रूप से कर चोरी के नए क्षेत्रों में इससे जुड़ी जानकारी एकत्र करने के लिए देश भर में अपने खुफिया नेटवर्क का उपयोग करने के अलावा, डेटा विश्लेषण के लिए उन्नत उपकरणों के माध्यम से खुफिया जानकारी हासिल करता है। वित्त वर्ष 2023-24 में कुल मिलाकर 1.36 लाख करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी (नकली आईटीसी सहित) का पता चला है और इसके लिए 14,108 करोड़ रुपये का स्वैच्छिक भुगतान किया गया है।