शिक्षा को व्यवसाय बनाना हमारे सामाजिक उद्देश्य के प्रतिकूल: उपराष्ट्रपति ने चेताया

भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज शिक्षा को राष्ट्र की सेवा के रूप में लेने की आवश्यकता पर जोर दिया और सभी से आग्रह किया कि ‘आप राष्ट्र से जो भी लें उसे वापस लौटा दें।’ उन्होंने कहा, ‘वाणिज्य और व्यवसाय बनाने के उद्देश्य से शिक्षा का उपयोग करना सामाजिक कारणों और हमारी सभ्यता की उत्कृष्टता, सद्गुणों के विपरीत है।’

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को किसी भी समाज को बेहतर बनाने वाला सबसे प्रभावशाली परिवर्तनकारी तंत्र बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने ‘अपनी बुद्धि और विदेशी मुद्रा को देश से बाहर बर्बाद करने’ के प्रति आगाह किया।