उपराष्ट्रपति ने कंपनी सचिवों को ‘कारपोरेट प्रशासन का संरक्षक’ बताया
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कंपनी सचिवों को प्रबंधन उद्देश्यों से अलग होने और वैधानिक अनुपालन पर अपना ध्यान केंद्रित करने की जररूत पर जोर दिया। उन्होंने अपने मार्ग से थोड़ा भी हटने के संभावित परिणामों को लेकर चेतावनी दी। उपराष्ट्रपति ने कहा, “अगर आप थोड़ा सा झुकते हैं, तो झुकने का सिलसिला कभी बंद नहीं होगा।” इसके अलावा उन्होंने राष्ट्र के विकास के लिए पेशेवरता के उच्चतम मानकों और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
As professionals, you will have to detach yourselves from the management objectives.
If you slightly bend, trust me, the bending will never stop !
You have to exhibit meticulously, scrupulously, the highest standard of professionalism that adheres only to the rule of law. pic.twitter.com/XDsf8gFnB4
— Vice President of India (@VPIndia) November 2, 2023
उपराष्ट्रपति ने “भारत@जी-20: शासन और प्रौद्योगिकी के माध्यम से टिकाऊ भविष्य को सशक्त बनाना” की विषयवस्तु पर आयोजित 51वें राष्ट्रीय कंपनी सचिव सम्मेलन के दौरान ये बातें कहीं। उन्होंने रेखांकित किया कि इस सम्मेलन में सार्थक विचार-विमर्श 2047 के भारत का भविष्य तय करेगा। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि “इस सोच को साकार करने में कंपनी सचिवों को अपनी बहुआयामी और जरूरी भूमिका” निभानी होगी।
उपराष्ट्रपति ने वाराणसी को “भारत का आध्यात्मिक हृदय” बताया। उन्होंने कहा कि यह शहर पूरे विश्व के लिए नीति, नैतिकता और आध्यात्मिकता में ज्ञान का एक कालातीत स्रोत रहा है। इसके अलावा उन्होंने एक कुशल न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि हर व्यक्ति जनवरी, 2024 में इसके उद्घाटन की प्रतीक्षा कर रहा है। उपराष्ट्रपति ने इसका उल्लेख किया कि अनुच्छेद- 370 समाप्त करना कश्मीर के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो वाराणसी शहर से प्रधानमंत्री के चुनाव के बाद हुआ।
उपराष्ट्रपति ने जीएसटी प्रणाली की शुरुआत को ‘आधुनिकता के साथ साक्षात्कार’ के रूप में सराहना की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने ‘नियति के साथ साक्षात्कार’ से एक लंबी यात्रा पूरी की है और सकारात्मक सरकारी नीतियों के कारण पारदर्शिता, जवाबदेही व कुशल शासन नए मानक बन गए हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि “न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन” ने हमारे विकास पथ को प्रोत्साहित किया है, जो अब कई गुना बढ़ गया है। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा, “हमारे प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता, उत्साह और मिशन के कारण हमारा अमृत काल, हमारा गौरव काल बन गया है।”
“केवल रिकॉर्ड- रक्षक” से “कारपोरेट प्रशासन के संरक्षक” तक कंपनी सचिवों की भूमिका के विकास को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब वे “कारपोरेट भारत में पारदर्शिता, नैतिकता और जवाबदेही के सिद्धांतों को बनाए रखते हुए, संगठनों के भीतर शासन व अनुपालन के प्रमुख स्तंभों” में रूपांतरित हो गए हैं।
उपराष्ट्रपति ने एक दशक पहले भारत की “फ्रैजाइल-फाइव” अर्थव्यवस्था से लेकर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने तक की यात्रा पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि भारत साल 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के पथ पर है। उन्होंने कहा कि भारत उत्थान पर है और यह उत्थान अजेय है।
उन्होंने कहा कि प्रभावी शासन को मान्यता देना, जवाबदेह संपत्ति सृजन व न्यायसंगत संपत्ति वितरण की नींव तैयार करता है। उपराष्ट्रपति ने आगे हर घर में शौचालय, नि:शुल्क गैस कनेक्शन, स्वच्छ जल, गरीबों के लिए आवास और महिला सशक्तिकरण जैसी प्रमुख पहलों को रेखांकित किया, जिन्होंने राष्ट्र के विकास को बढ़ावा देने में प्रभावशाली परिणाम प्रदान किए हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अमृतकाल एक ऐसी अवधि है, जब भारत “विश्व के लिए एजेंडा तय करने वाला” बन गया है। उन्होंने देश की प्रगति में आर्थिक राष्ट्रवाद की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कच्चे माल का मूल्य बढ़ाना, आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे कराधान लाभ और रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं।
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय हित में कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) निधि के उपयोग और चैनलाइजेशन का उल्लेख किया। उन्होंने एक ऐसे विकास तंत्र की जरूरत को रेखांकित किया, जो सीएसआर को “पूरी तरह से जवाबदेह, दिशात्मक और संरक्षण व पक्षपात से पूरी तरह से निष्प्रभावी” बनाए।
व्यापार और व्यवसायों के विकास में बाधा के रूप में ‘विरोधात्मक संबंध’ का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति ने मौजूदा ‘वैकल्पिक विवाद निवारण’ तंत्र के विकल्प के रूप में समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए ‘सौहार्दपूर्ण विवाद समाधान’ के विकास का आह्वाहन किया।
उपराष्ट्रपति ने बुद्धिमान और जागरूक व्यक्तियों द्वारा ‘लोगों की अज्ञानता का पूंजीकरण’ को ‘समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा’ बताया। उन्होंने सभी से चुप न रहने और सोशल मीडिया की शक्ति का उपयोग करके ऐसे तत्वों को उचित जवाब देने का अनुरोध किया।
उपराष्ट्रपति ने आईसीएसआई सम्मेलन के बाद पवित्र काशी विश्वनाथ मंदिर का दौरा किया और पूरे देश की खुशहाली और कल्याण के लिए प्रार्थना की।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उपराष्ट्रपति के सचिव सुनील कुमार गुप्ता, भारत सरकार के कारपोरेट कार्य मंत्रालय के सचिव डॉ। मनोज गोविल, आईसीएसआई के अध्यक्ष मनीष गुप्ता, आईसीएसआई के सचिव आशीष मोहन और आईसीएसआई 51वें राष्ट्रीय सम्मेलन के कार्यक्रम निदेशक धनंजय शुक्ला सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।