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वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विकसित भारत यात्रा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के संबोधन

विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने और देशवासियों को जोड़ने का ये अभियान लगातार विस्तार ले रहा है, दूर-दूर के गांवों तक पहुंच रहा है, गरीब से गरीब को जोड़ रहा है। युवा हो, महिला हो, गांव के senior citizens हों; सब आज मोदी की गाड़ी का इंतजार करते हैं और मोदी की गाड़ी के कार्यक्रम का इंतजाम भी करते हैं। और इसलिए इस महा‍अभियान को सफल बनाने के लिए मैं आप सभी देशवासियों का, विशेष करक मेरी माताओं-बहनों का आभार व्‍यक्‍त करता हूं। नौजवानों की ऊर्जा इसके साथ लगी है, नौजवानों की शक्ति इसमें लगी हुई है। सारे नौजवान भी इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अभिनंदन के अधिकारी हैं। कुछ स्‍थानों पर किसानों को खेतों में कुछ काम का समय होता है तो भी जब गाड़ी उनके यहां पहुंचती है तो वो अपना खेती का काम भी चार–छ: घंटे छोड़ करक इस कार्यक्रम में जुड़ जाते हैं। तो एक प्रकार से गांव-गांव में एक बहुत बड़ा विकास का महोत्‍सव चल रहा है।

विकसित भारत संकल्प यात्रा को शुरू हुए अभी 50 दिन भी नहीं हुए हैं लेकिन ये यात्रा अब तक लाखों गांवों तक पहुंच चुकी है। ये अपने आप में एक record है। विकसित भारत संकल्प यात्रा का ध्येय उस व्यक्ति तक पहुंचने का है, जो किसी कारणवश भारत सरकार की योजनाओं से वंचित रहा है। कभी-कभी तो लोगों को लगता है भई गांव में दो लोगों को मिल गया तो हो सकता है कि उनकी कोई पहचान होगी, उनको कोई रिश्‍वत देनी पड़ी होगी या उनका कोई रिश्‍तेदार होगा। तो मैं ये गाड़ी ले कर गांव-गांव इसलिए निकला हूं कि मैं बताना चाहता हूं यहां कोई रिश्‍वतखोरी नहीं चलती है; कोई भाई-भतीजावाद नहीं चलता है; कोई रिश्‍ते-नाते नहीं चलते हैं। ये काम ऐसा है जो ईमानदारी से किया जाता है, समर्पण भाव से किया जाता है। और इसलिए मैं आपके गांव इसलिए पहुंचा हूं कि अभी भी जो लोग रह गए हैं मैं उनको खोज रहा हूं। जैसे-जैसे पता चलेगा, आने वाले दिनों में उन तक भी मैं पहुंचाऊंगा इसकी गारंटी ले करक मैं आया हूं। जिसको अभी घर नहीं मिला है उसको घर मिलेगा। जिसको गैस नहीं मिला है, उसको गैस मिलेगा। जिसको आयुष्‍मान कार्ड नहीं मिला है, उसको आयुष्‍मान कार्ड मिलेगा। योजनाएं जो आपकी भलाई के लिए हम चला रहे हैं वो आप तक पहुंचनी चाहिए। इसीलिए पूरे देश में इतनी बड़ी मेहनत का काम हो रहा है।

बीते दिनों जब-जब मुझे इस यात्रा से जुड़ने का अवसर मिला है, तो मैंने एक बात अवश्‍य नोट की है। जिस प्रकार देश के गरीब, हमारे किसान भाई-बहन, हमारे युवा, हमारी महिलाएं, आत्मविश्वास से अपनी बातें सामने रखते हैं, उनको जब मैं सुनता हूं ना, मैं खुद विश्‍वास से भर जाता हूं। उनको सुनता हूं तो मुझे लगता है, वाह! मेरे देश में कैसी ताकत है, कहां-कहां ताकत है। ये लोग हैं जो मेरा देश बनाने वाले हैं। ये अद्भुत अनुभव है। देशभर में हर लाभार्थी के पास बीते 10 वर्षों में उनके जीवन में आए बदलाव की एक साहस से भरी हुई और संतोष से भरी हुई और साथ-साथ सपनों से भरी हुई गाथा है। और खुशी ये कि वो अपनी इस यात्रा को देश के साथ साझा करने के लिए बहुत उत्सुक भी हैं। यही मैंने अब से कुछ देर पहले जो बातचीत करने का मुझे मौका मिला, मैं अनुभव कर रहा था कि आपको इतना सारा कहना है, आपके पास इतने अच्‍छे अनुभव हैं, आप बहुत कुछ कहना चाहते हैं।

आज देश के कोटि-कोटि लाभार्थी, सरकार की योजनाओं को आगे बढ़ाने का माध्यम बन रहे हैं। वे इस बात तक सीमित नहीं रहते कि चलो पक्का घर मिल गया, बिजली-पानी-गैस-इलाज-पढ़ाई, अब तो सब मिल गया अब तो कुछ करना ही नहीं है। वे इस मदद को पाने के बाद रुकते नहीं हैं, ये मेरे लिए खुशी की बात है। वो इसमें से एक नई ताकत प्राप्‍त करते हैं, एक नई ऊर्जा प्राप्‍त करते हें, और अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए, अधिक परिश्रम करने के लिए आगे आ रहे हैं, ये सबसे बड़ी खुशी की बात है। मोदी की गारंटी के पीछे जो सच्‍चे अर्थ में हमारा सबसे बड़ा लक्ष्‍य था ना, वो यही था। और वो उसे पूरा होते हुए जब मैं अपनी आंखों से देखता हूं ना तो इतना आनंद होता है, इतना संतोष होता है, जीवनभर की सारी थकान उतर जाती है। और यही भावना विकसित भारत की ऊर्जा भी बन रही है।

मोदी की गारंटी वाली गाड़ी जहां भी जा रही है, वहां लोगों का विश्वास बढ़ा रही है, लोगों की उम्मीदें पूरी कर रही है। यात्रा शुरू होने के बाद उज्‍ज्वला गैस कनेक्शन के लिए साढ़े 4 लाख नए लाभार्थियों ने आवेदन किया है। मैंने पूछा था- ये कैसे आ गए तो बोले परिवार बड़ा हो गया, बेटा अलग रहने लगा, तो नया घर बन गया, नया परिवार है तो अब उसको चूल्‍हा चाहिए। चलो- मैंने कहा ये तो अच्‍छी निशानी है कि सब लोग आगे बढ़ रहे हैं।

यात्रा के दौरान मौके पर ही 1 करोड़ आयुष्मान कार्ड दिए जा चुके हैं। पहली बार देशव्यापी health checkup हो रहा है। लगभग सवा करोड़ लोगों का health checkup हो चुका है। 70 लाख लोगों की टीबी से जुड़ी जांच पूरी हो चुकी है। 15 लाख लोगों की सिकल सेल अनीमिया के लिए जांच हुई है। और आज कल तो आयुष्मान भारत कार्ड के साथ-साथ आभा (ABHA) कार्ड भी तेज़ी से बनाए जा रहे हैं। लोगों को आधार कार्ड के बारे में पता है आभा कार्ड के बारे में थोड़ा अभी कम पता है।

ये आभा कार्ड यानि आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट के अनेक फायदे हैं। इस से मेडिकल रिपोर्टस, दवाओं की पर्चियां, ब्लड ग्रुप की जानकारी, डॉक्टर कौन है, उसकी जानकारी, ये सब एक साथ रिकॉर्ड में रहेगा। इससे अगर सालों बाद भी आपको कभी डॉक्‍टर के पास जाना पड़ेगा और वो पुराना पूछे भई पहले क्‍या हुआ था, कौन सी दवाई ली थी, तो सारा इसमें मिल जाएगा। मेडिकल हिस्ट्री खोजने में जरा भी दिक्कत नहीं होगी। यानि कब बीमार हुए थे, किस डॉक्टर को दिखाया था, क्या टेस्ट हुए थे, कौन सी दवाएं खाईं थी, ये सब कुछ डॉक्टर आसानी से जान पाएंगे। ये आरोग्य को लेकर पूरे देश में नई जागरूकता का संचार करेगा।

आज मोदी की गारंटी वाली गाड़ी से अनेक साथियों को लाभ मिल रहा है। इनमें से अनेक साथी ऐसे होंगे जिन्हें शायद ही कभी ये पता चल पाता कि वो भी सरकारी योजना के हकदार हैं। उनको तो पुरानी आदतों के कारण यही सोचते होंगे भई हमारा कोई रिश्‍तेदार नहीं, कोई पहचान वाला नहीं, तो हमारा तो क्‍या होगा। अरे, मोदी ही तो आपके परिवार का है, किसी और की पहचान की जरूरत नहीं है। आप भी मेरे परिवार के हैं। 10 साल पहले की स्थिति होती, तो शायद ऐसे साथी सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते हिम्मत हार जाते।

मैं ग्राम पंचायत और दूसरे स्थानीय निकायों के जनप्रतिनिधियों, कर्मचारियों से कहूंगा कि आप सभी पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। आपको अपने गांव, वार्ड, नगर, मोहल्ले में पूरी ईमानदारी से हर ज़रूरतमंद की पहचान करनी है। मोदी की गारंटी वाली गाड़ी तक अधिक से अधिक साथी पहुंचें और मौके पर ही, योजनाओं से जुड़ें, उनका जुड़ना हो जाए, उसका लाभ उनका सुनिश्चित हो जाए, इसकी कोशिश करनी है।

जैसे बीते 4 वर्षों में 11 करोड़ से अधिक नए ग्रामीण परिवारों तक नल से जल पहुंचा है। पानी का नल आ गया है, अब बस हो गया, इतने तक हमें सीमित नहीं रहना है। अब पानी के बेहतर प्रबंधन, पानी की गुणवत्ता, ऐसे विषयों पर भी हमें बल देना है। इसकी जिम्मेदारी भी मैं इसमें सफलता देख रहा हूं गांव वासियों के समर्थन से और मैंने देखा है जब गांव वासी ऐसे कामों पर अपने कंधे पर ले लेते हैं ना, तो फिर सरकार को कुछ देखना ही नहीं पड़ता है। वो काम अच्‍छे तरीके से चलता है। और इसीलिए गांवों में पानी समितियों का तेज़ी से गठन हो, इसके बारे में भी आप सबको जागृत होकर काम करना चाहिए, मेरी मदद करनी चाहिए।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए, गांव में महिलाओं को स्वरोजगार देने के लिए भारत सरकार बहुत बड़ा अभियान चला रही है। बीते वर्षों में देश में लगभग 10 करोड़ बहनें-बेटियां-दीदीयां सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी हैं। इन बहनों-बेटियों को बैंकों के द्वारा साढ़े सात लाख करोड़ रुपए….ये आंकड़ा अखबार में कभी आपने पढ़ा नहीं होगा…इस देश में सेल्‍फ हेल्‍प ग्रुप की दीदीयों को बैंकों के माध्‍यम से साढ़े सात लाख करोड़ रुपए उनके हाथ में आना, इसकी मदद हो जाना, यानी कितना बड़ा क्रांति भरा काम हो रहा है। इस अभियान से सेल्फ हेल्प ग्रुप की करोड़ों महिलाएं आगे आ रही हैं और जैसा मैंने कहा ना, मेरा लक्ष्‍य है दो करोड़ नई महिलाओं को मुझे लखपति बनाना है। और ये मुहिम मेरी सेल्‍फ हेल्‍प ग्रुप की बहनों के साथ मिलकर मैं करना चाहता हूं। इस मुहिम को और विस्तार देने के लिए आप जितने आगे आएंगे, जितनी मेहनत करेंगे, 2 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य हम आसानी से पार कर लेंगे। विकसित भारत संकल्प यात्रा से इस मुहिम को औऱ ज्यादा तेजी मिल रही है।

सरकार का जोर, कृषि में तकनीक को बढ़ावा देने और सेल्फ हेल्प ग्रुप के माध्यम से बहनों-बेटियों-दीदियों को और सशक्त करने के लिए एक बहुत बडा नया अभियान चलाया है। और ये मोदी की गाड़ी के साथ वो भी एक बडा आकर्षण का केंद्र है। और वो क्‍या है- नमो ड्रोन दीदी। कुछ लोग इसको नमो दीदी भी कहते हैं। ये नमो ड्रोन दीदी योजना शुरु की गई है। इसके तहत स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी दीदियों को पहले राउंड में 15 हजार ड्रोन उपलब्ध कराये जाएंगे। महिलाओं के हाथ में ड्रोन होगा ना, अब ट्रेक्‍टर को कोई पूछने वाला नहीं है। नमो ड्रोन दीदियों का प्रशिक्षण भी शुरू किया गया है। इस अभियान के कारण स्वयं सहायता समूहों की आय बढ़ेगी, गाँव की बहनों में एक नया आत्मविश्वास आएगा और ये हमारे किसानों की भी मदद करेगा। खेती को आधुनिक बनाएगा, खेती को वैज्ञानिक बनाएगा और जो wastage होता है वो जाएगा ही जाएगा, बचत भी होगी।

छोटे किसानों को संगठित करने के लिए भी आजकल पूरे देश में बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। हमारे अधिकतर किसानों के पास बहुत कम ज़मीन है। 80-85 पर्सेंट किसान हमारे ऐसे हैं जिनके पास एक एकड़-दो एकड़ ही भूमि हे। ऐसे में जब अधिक से अधिक किसान एक समूह में जुटेंगे, तो उनकी ताकत भी बढ़ेगी। इसलिए, किसान उत्पादक संघ बनाए जा रहे हैं। गांवों में PACS और दूसरे सहकारी उपक्रमों को सशक्त किया जा रहा है।

हमारा प्रयास है कि सहकारिता, भारत के ग्रामीण जीवन का एक सशक्त पहलू बनकर सामने आए। अभी तक दूध और गन्ने के क्षेत्र में सहकारिता का लाभ हमने देखा है। अब इसे खेती के दूसरे क्षेत्रों और मछली उत्पादन जैसे sectors में भी विस्तार दिया जा रहा है। आने वाले समय में 2 लाख गांवों में नए PACS बनाने के लक्ष्य के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। जहां डेयरी से जुड़े cooperatives नहीं हैं, वहां इनका विस्तार किया जाएगा। ताकि हमारे पशुपालकों को दूध के बेहतर दाम मिल सकें।

हमारे गांवों में एक और समस्या भंडारण की सुविधाओँ के अभाव की रही है। इसके कारण छोटे किसानों को आनन-फानन में ही अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है। इसके कारण, कई बार उन्हें उपज का उचित दाम नहीं मिल पाता। इस मजबूरी से छोटे किसानों को मुक्ति दिलाने के लिए देशभर में भंडारण की एक बहुत बड़ी capacity तैयार की जा रही है। लाखों भंडारण बनाने हैं लाखों। इसकी जिम्मेदारी भी PACS जैसे किसानों के सहकारी संस्थानों को दी जा रही है।

Food processing sector में 2 लाख से ज्यादा सूक्ष्म उद्योगों को मजबूत करने का भी प्रयास किया जा रहा है। आप सभी One District, One Product अभियान से भी परिचित होंगे। इसका लक्ष्य ये है कि हर जिले में कम से कम एक मशहूर उत्पाद को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों तक पहुंचाने के लिए हम प्रयास करें। ये हर जिले को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकता है।

इस विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान, एक और बात का ध्यान हमें ज़रूर रखना चाहिए। Vocal for Local का संदेश, ये गांव-गांव, गली-गली गूंजते रहना चाहिए। अभी हमने हमारी कोटा की एक बहन से सुना, फिर देवास में रूबिका जी से सुना, ये भी Vocal for Local की बात करते हैं। भारत के किसानों, भारत के युवाओं का श्रम जिसमें हो, भारत की मिट्टी की महक जिसमें हो, ऐसे सामान को खरीदें, उसका प्रचार-प्रसार करें। घर में खिलौना भी देश में बना हुआ होना चाहिए। बच्‍चों को पहले से ही भारत में बना ही खिलौना होना चाहिए। हमारे खाने के टेबल पर भी सब भारत की बनाई हुई चीजें खाने की आदत डालनी चाहिए। अच्‍छा सा पैकिंग करके दही आ गया तो ऐसे पागल होने की जरूरत नहीं है।

मुझे बताया गया है कि जहां-जहां यात्रा जा रही है, ये विकास यात्रा जहां-जहां पहुंच रही है, वहां स्थानीय उत्पादों के stalls, दुकानें और उससे जुड़ी जानकारी भी दी जा रही है। वहां स्वयं सहायता समूहों के बनाए उत्पादों को भी दिखाया जा रहा है। उनको GeM portal पर कैसे register किया जा सकता है, इसको लेकर भी सरकारी कर्मचारियों के माध्यम से जानकारी दी जा रही है। ऐसे छोटे-छोटे प्रयासों से ही, और हर गांव में, हर परिवार में कुछ न कुछ प्रयास होता रहे, हर कोई जुड़ता रहे, तो विकसित भारत का विराट संकल्प ये देश सिद्ध करके रहेगा।

मोदी की गारंटी वाली गाड़ी यूं ही निरंतर चलती रहेगी और अधिक से अधिक साथियों तक पहुंचेगी। आप भी इस यात्रा को जितना ज्‍यादा सफलता मिले, जितने ज्‍यादा लोगों से जुड़ें, जितने ज्‍यादा लोग जानकारी प्राप्‍त कर सकें, जितने लोग इसके हकदार हैं लेकिन उनको मिला नहीं है उनको मिले। ये भी एक बहुत बड़ा पुण्‍य का काम है। और मेरी इच्‍छा ऐसी है जो हकदार है, उसको उसका हक मिलना चाहिए। और इसलिए इतनी मेहनत हो रही है, आप इसका फायदा उठाइए। आपने जो भरोसा रखा है, जो विश्‍वास जताया है, लगातार समर्थन किया हुआ है, और इसके कारण मेरे मन में भी हमेशा आपके लिए हर बार कुछ न कुछ नया करने का उत्‍साह रहता है, उमंग रहती है। मैं भी कभी भी काम करने में पीछे नहीं हटूंगा उसकी गारंटी देता हूं। आपकी भलाई के लिए जो कुछ भी करना होगा मेरी गारंटी है। इसी विश्वास के साथ आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।