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पैक्स के माध्यम से ई-सेवाएँ

प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्‍स) को मजबूत करने के लिए, ₹2,516 करोड़ के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ कार्य कर रही 63,000 पैक्‍स के कम्प्यूटरीकरण की परियोजना को भारत सरकार मंजूर कर चुकी है, जिसमें सभी कार्य कर रही पैक्‍स को राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के माध्यम से नाबार्ड से जोड़ने के लिए ईआरपी (एंटरप्राइज़ रिसोर्स प्‍लेनिंग) आधारित सामान्य राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर लाना शामिल है।

परियोजना के लिए राष्ट्रीय स्तर का कॉमन सॉफ्टवेयर नाबार्ड द्वारा विकसित किया गया है और अब तक 27 राज्यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों में 15,783 पीएसीएस में ईआरपी ट्रायल रन शुरू हो चुका है।

इस परियोजना के तहत पीएसीएस स्तर पर सामान्य लेखा प्रणाली (सीएएस) और प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) के कार्यान्वयन से पीएसीएस में शासन और पारदर्शिता में सुधार होगा, जिससे ऋणों का तेजी से वितरण होगा, लेनदेन लागत कम होगी, भुगतान में असंतुलन में कमी आएगी, डीसीसीबी और एसटीसीबी के साथ निर्बाध लेखांकन होगा और दक्षता भी बढ़ेगी।

उपरोक्त के अलावा, पैक्‍स को सामान्य सेवा केन्‍द्र (सीएससी) के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए, सहयोग मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नाबार्ड और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जो पैक्‍स को देशभर में ग्रामीण स्तर पर बैंकिंग, बीमा, आधार नामांकन/अद्यतन, स्वास्थ्य सेवाएं, कृषि सेवाएं आदि सहित 300 से अधिक ई-सेवाएं देने में सक्षम बनाएगा। सीएससी के रूप में पैक्स की ऑनबोर्डिंग पहले ही शुरू हो चुकी है और अब तक, देश में कुल 30,647 पैक्स ने सीएससी सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया है।

यह जानकारी सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।