दिव्य यात्रा: थाईलैंड में आयोजित होने वाले ऐतिहासिक प्रदर्शनी में भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों के पवित्र अवशेष शोभा बढ़ाएंगे
एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण घटना में, भगवान बुद्ध के अवशेष, उनके सम्मानित शिष्यों, अरिहंत सारिपुत्त और अरिहंत मोदगलायन के अवशेष थाईलैंड की दिव्य यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हैं। इस अभूतपूर्व प्रदर्शनी में पहली बार भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के पवित्र अवशेषों को एक साथ प्रदर्शित किया जाएगा।
आज नई दिल्ली में संस्कृति मंत्रालय के सचिव, गोविंद मोहन ने कहा कि बिहार के माननीय राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेन्द्र कुमार के नेतृत्व में 22 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भारत से पवित्र अवशेषों को लेकर 26 दिवसीय प्रदर्शनी में शामिल होने के लिए थाईलैंड जाएंगे। इस प्रतिनिधिमंडल में कुशीनगर, औरंगाबाद, लद्दाख के पूज्य भिक्षु, संस्कृति मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारी, राष्ट्रीय संग्रहालय के क्यूरेटर, कलाकार और विद्वान शामिल हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन विदेश मंत्रालय, थाईलैंड में भारतीय दूतावास, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ, राष्ट्रीय संग्रहालय, मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से किया जा रहा है।
गोविंद मोहन ने कहा कि यह आयोजन भारत-थाईलैंड संबंधों में एक और ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा और इसके माध्यम से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक संबंधों को और ज्यादा बढ़ावा मिलेगा। मोहन ने विस्तार से कहा कि इस सम्मानित संग्रह का केंद्रबिंदु पिपरहवा अवशेष है, जो एए के रूप में वर्गीकृत एक श्रद्धेय कलाकृति है, जिसे राष्ट्रीय संग्रहालय में संरक्षित किया गया है। राष्ट्रीय संग्रहालय में सुरक्षित रखे हुए 20 बहुमूल्य सामग्रियों में से चार को इस महत्वपूर्ण अवसर पर थाईलैंड भेजा जाएगा।
इसके अलावा, वर्तमान में सांची में स्थित अरिहंत सारिपुत्र और अरिहंत मोदगलायन के पवित्र अवशेषों को थाईलैंड की यात्रा के लिए दिल्ली लाया गया है, जिससे यह पवित्र अभियान और ज्यादा अलंकृत हो गया है।
भारत से थाईलैंड तक इन पवित्र अवशेषों की यात्रा 22 फरवरी 2024 को शुरू होगी। इन अवशेषों को भारतीय वायुसेना के विमान में राजकीय अतिथि के रूप में भेजा जाएगा और ये 22 फरवरी को दोपहर थाईलैंड पहुंचेंगे। थाइलैंड पहुंचने के बाद, अवशेषों का एक भव्य समारोह में स्वागत किया जाएगा और उन्हें बैंकॉक में राष्ट्रीय संग्रहालय में सुरक्षित रखा जाएगा और बाद में इन्हें 23 फरवरी को बैंकॉक में सनम लुआंग मंडप के एक भव्य मंडपम में स्थापित किया जाएगा। लोग माखा बुचा दिवस से इन अवशेषों पर अपनी श्रद्धा अर्पित कर सकते हैं। भारत में बौद्ध स्थलों की प्रदर्शनियां और शिक्षाविदों द्वारा अवशेषों के बारे में जानकारी भी विभिन्न स्थानों पर अवशेषों की यात्रा के दौरान आयोजित की जाएगी।
प्रदर्शनी यात्रा कार्यक्रम में थाईलैंड के कई स्थानों का दौरा शामिल है, जिससे भक्तों और जिज्ञासु लोगों को समान रूप से इन श्रद्धेय अवशेषों को श्रद्धांजलि अर्पित करने की अनुमति प्राप्त होगी:
सनम लुआंग मंडप, बैंकॉक: 22 फरवरी 2024 से 03 मार्च 2024 (11 दिन)
हो कुम लुआंग, रॉयल राजप्रुइक, चियांग माई: 04 मार्च 2024 से 08 मार्च 2024 (5 दिन)
वाट महा वानाराम, उबोन रत्चाथानी: 09 मार्च 2024 से 13 मार्च 2024 (5 दिन)
वाट महाथाट, ओलुक, क्राबी: 14 मार्च 2024 से 18 मार्च 2024 (5 दिन)
इस पवित्र यात्रा की समाप्ति 19 मार्च 2024 को होगी, जिसके बाद अवशेषों को उनके संबंधित स्थलों में वापस भेज दिया जाएगा और यह थाईलैंड में एक ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक रूप से समृद्ध प्रदर्शनी का समापन होगा।