राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को संचालित करने के लिए सरकार की शिक्षा जगत और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ बैठक
केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने आज, 22 फरवरी, 2024 को नई दिल्ली में सरकार की हरित हाइड्रोजन अनुसंधान एवं विकास योजना के संबंध में एक बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार श्री अजय सूद; नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के सचिव श्री भूपिंदर सिंह भल्ला; संयुक्त सचिव, एमएनआरई श्री अजय यादव; और एसईसीआई, एनसीएल, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बॉम्बे, आईआईएससी, एनआईएसई, बीपीसीएल, आईआईटी रूड़की, आईओसीएल, आईआईटी इंदौर, आईआईटी पटना, आईआईटी खड़गपुर, टीईआरआई, आईआईटी कानपुर, खनिज और सामग्री प्रौद्योगिकी संस्थान, डीआरडीओ, आईआईटी रोपड़, सीएसआईआर, एचएआई, बीएचईएल, बीएआरसी, बीपीसीएल से सरकार, शिक्षा जगत और उद्योग जगत के प्रतिनिधियों तथा निजी उद्योग के प्रतिनिधियों ने व्यक्तिगत रूप से और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया।
आर.के. सिंह ने कहा कि मिशन के अंतर्गत अनुसंधान के प्रयास- अनुसंधान के प्राथमिक क्षेत्रों की पहचान करने, अनुसंधान संस्थानों को आवश्यक सहायता देने, आवश्यक प्रौद्योगिकियों का निर्माण करने और उन्हें सफल बनाने पर केंद्रित होने चाहिए।
प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान किए जाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए श्री आर.के. सिंह ने कहा कि पहचान किए गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के संबंध में सहयोग और उन पर काम करने के लिए विशेषज्ञता के विभिन्न क्षेत्रों के संस्थानों को एक साथ आने की जरूरत है।
विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि हरित हाइड्रोजन की लागत में कमी लाने के लिए इलेक्ट्रोलाइज़र की दक्षता में वृद्धि एक प्रमुख पहलू है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। श्री सिंह ने कहा, हमें हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और परिवहन के लिए कम खर्चीले विकल्प भी तलाशने चाहिए।
श्री सिंह ने उद्योग जगत और अनुसंधान समुदाय को सूचित किया कि कुछ कंपनियां पहले से ही आंतरिक दहन इंजन (आईसीई) संशोधनों पर काम कर रही हैं ताकि उन्हें हाइड्रोजन डेरिवेटिव पर चलाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि लागत कम करने और स्केलेबिलिटी में सुधार लाने की दृष्टि से हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में समुद्री जल इलेक्ट्रोलिसिस भी अनुसंधान का एक आशाजनक क्षेत्र है।
सिंह ने कहा कि हरित हाइड्रोजन मूल्य श्रृंखला के विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान करने के लिए संघों का गठन किया जा सकता है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने मिशन के अंतर्गत चार शीर्षों अर्थात् उत्पादन; भंडारण एवं परिवहन; अनुप्रयोग; और सुरक्षा, क्रॉस-कटिंग विश्लेषण और एकीकरण के तहत 40 से अधिक प्रॉब्लम स्टेटमेंट्स के बारे में प्रस्तुति दी, जिन्हें विचार करने के लिए चिन्हित किया गया है। इन प्रॉब्लम स्टेटमेंट्स को उपस्थित हितधारकों के साथ साझा किया गया, इसके बाद इस बात पर चर्चा हुई कि अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के पहले दौर के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्र क्या हो सकते हैं।
यह सूचित किया गया कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत नुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में 0-5 साल के दायरे या होराइजन की मिशन मोड परियोजनाएं, 0-8 साल के दायरे की ग्रैंड चैलेंज परियोजनाएं और 0-15 साल के दायरे की ब्लू स्काई परियोजनाएं शामिल हैं। मिशन के अंतर्गत उत्कृष्टता केंद्रों की भी पहचान की जाएगी और उन्हें समर्थन दिया जाएगा। हालांकि, शुरुआती चरण में मिशन मोड परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
इनका भी अवलोकन कीजिए :
• भारत में हरित हाइड्रोजन इकोसिस्टम के लिए अनुसंधान एवं विकास रोडमैप
• देश में हरित हाइड्रोजन अपनाने की स्थिति
• राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के अंतर्गत 4.12 लाख टन प्रति वर्ष हरित हाइड्रोजन उत्पादन और 1,500 मेगावाट प्रति वर्ष इलेक्ट्रोलाइज़र विनिर्माण के लिए निविदाएं प्रदान की गईं: केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री.