नौसेना कमांडरों का वर्ष 2024 में पहला सम्मेलन: रक्षा मंत्री ने ‘ट्विन-कैरियर ऑपरेशन’ का अवलोकन किया, जो देश के समुद्री हितों की सुरक्षा की दिशा में भारतीय नौसेना के बढ़ते सामर्थ्य का प्रमाण है
नौसेना कमांडरों का वर्ष 2024 में पहला सम्मेलन 05 मार्च, 2024 को शुरू हुआ। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के समय भारतीय नौसेना की ‘ट्विन-कैरियर ऑपरेशंस’ संचालित करने की क्षमता का अवलोकन करने के लिए समुद्र में उतरे। इस दौरान, दोनों विमानवाहक पोतों ने देश के समुद्री हितों की रक्षा के लिए भारतीय नौसेना की बढ़ती क्षमताओं को प्रदर्शित किया। यह सैन्य प्रदर्शन समुद्री श्रेष्ठता बनाए रखने में समुद्र आधारित वायु शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए एक शक्तिशाली प्रमाण के रूप में उभर कर सामने आता है।
रक्षा मंत्री ने इस सत्र के दौरान नौसेना कमांडरों को संबोधित भी किया। उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी बहुआयामी क्षमताओं को विस्तार देने और लगातार नेतृत्व की भूमिका में उभरने के लिए भारतीय नौसेना की सराहना की। श्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना के अनुसार इस क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास (सागर पहल) के अनुरूप, हिंद-प्रशांत समुद्र में शांति व समृद्धि स्थापित करने तथा इसे बनाए रखने का काम करने के लिए नौसेना के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय नौसेना द्वारा समुद्री डकैती विरोधी अभियानों को संचालित करने की सराहना की। रक्षा मंत्री ने कहा कि न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में भारतीय नौसेना की सराहना की जा रही है।
श्री राजनाथ सिंह ने वैश्विक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में भारतीय नौसेना द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के अलावा, समुद्री सुरक्षा और भारत की संप्रभुता बनाए रखने में इसके महत्वपूर्ण योगदान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यदि हिंद महासागर क्षेत्र और व्यापक हिंद-प्रशांत समुद्र में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है, तो यह हमारी नौसेना की बहादुरी व तत्परता के कारण ही है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय नौसेना अब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विश्वसनीयता का पर्याय बन चुकी है और इतना ही नहीं नौसेना वैश्विक मानचित्र पर भारत के बढ़ते कद का प्रतिबिंब भी है।
रक्षा मंत्री ने लगातार बदलते जा रहे भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच तीनों सेनाओं की संयुक्तता और तालमेल के महत्व को उजागर किया। उन्होंने आधुनिक समय के युद्ध और विभिन्न समुद्री अभियानों में ड्रोन के बढ़ते इस्तेमाल के बारे में भी चर्चा की। श्री सिंह ने कमांडरों को सरकार के हरसंभव सहयोग का आश्वासन देते हुए सभी प्रकार की चुनौतियों से निपटने के लिए उनसे तैयार रहने का आग्रह किया।
इस बार नौसेना कमांडरों का सम्मेलन हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित किया जा रहा है। यह नौसेना कमांडरों के लिए समुद्री सुरक्षा से संबंधित रणनीतिक, परिचालन और प्रशासनिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। उभरती भू-राजनीतिक गतिशीलता, क्षेत्रीय चुनौतियों और क्षेत्र में मौजूदा अस्थिर समुद्री सुरक्षा स्थिति की पृष्ठभूमि में आयोजित हुआ यह सम्मेलन भारतीय नौसेना की भविष्य रूपरेखा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
सम्मेलन के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के प्रमुखों तथा नौसेना कमांडरों के साथ सामान्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा का माहौल बनाए रखने में तीनों सेनाओं की सहभागिता पर चर्चा करेंगे। वे राष्ट्र की रक्षा में तीनों सेनाओं के तालमेल और तत्परता बढ़ाने के मार्ग भी तलाशेंगे।