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पीयूष गोयल ने वस्त्र क्षेत्र के लाभार्थियों से वोकल फॉर लोकल पर जोर देने और स्थानीय उत्पाद को वैश्विक स्तर पर ले जाने का आग्रह किया

केंद्रीय वस्त्र, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज यहां वस्त्र क्षेत्र के लाभार्थियों के साथ बातचीत के दौरान उपस्थित लोगों से वोकल फॉर लोकल पर जोर देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “स्थानीय के लिए मुखर बनें और स्थानीय को वैश्विक स्तर पर ले जाएं। हमारे उत्पादों को विश्व मंच पर प्रदर्शित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह स्पष्ट आह्वान है।”

गोयल ने यह भी कहा कि देश में वस्त्र उत्पादन बढ़ने से आय बढ़ेगी, रोजगार के अवसर खुलेंगे और देश को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। पीयूष गोयल ने कारीगरों से अपने व्यवसाय को गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) पर पंजीकृत करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने GeM को हस्तशिल्प और हथकरघा से जुड़े सभी कारीगरों और बुनकरों का पंजीकरण बिना किसी पंजीकरण शुल्क के करने का निर्देश दिया गया है।

गोयल ने कहा कि ई-मार्केटप्लेस पर पंजीकरण करने से कारीगरों की दृश्यता बढ़ेगी और उनकी आय बढ़ाने वाले व्यवसायों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार GeM-पंजीकृत व्यवसायों को देश में प्रमुख ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर शामिल करने की सुविधा प्रदान करने का प्रयास करेगी और हस्तशिल्प और हथकरघा को प्राथमिकता देते हुए विदेशी वेबसाइटों पर अपने व्यवसायों को पंजीकृत करने पर जोर देगी। उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प और हथकरघा व्यवसायों, विशेष रूप से छोटे उद्यमों को अधिकारियों का समर्थन, उन्हें GeM वेबसाइट पर अपने शिल्प के माध्यम से एक पहचान बनाने में मदद करेगा।

‘मेड इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने पर विशेष जोर देते हुए, गोयल ने अधिकारियों से हस्तशिल्प लाभार्थियों के लिए ‘हैंडमेड इन इंडिया’ लेबल से लाभ उठाने और अपने उत्पादों पर अधिक आय अर्जित करने के तरीके तैयार करने का आग्रह किया। गोयल ने कहा कि ‘हैंडमेड इन इंडिया’ लेबल के तहत मशीन-निर्मित उत्पाद बेचने वाले व्यवसायों को दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए कड़ी कार्रवाई करेगी।

गोयल ने कहा कि यदि बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम है तो सरकार जूट और कपास का उत्पादन करने वाले किसानों की फसल खरीदने को तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार जूट और कपास के उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है और विदेशी निर्यात के लिए खेतों के विजन को पूरा करने के क्रम में गुणवत्तापूर्ण उपज के लिए गुणवत्ता वाले बीज, उर्वरक उपलब्ध कराने को तैयार है।

उन्होंने वस्त्र क्षेत्र से तकनीकी नवाचार की दिशा में सामूहिक रूप से काम करने का आग्रह किया, जिससे कारीगरों और बुनकरों का जीवन आसान हो जाएगा और उनकी आय में वृद्धि होगी। उन्होंने राष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए लाभार्थियों को धन्यवाद दिया और वस्त्र के क्षेत्र में महिलाओं के योगदान की सराहना की।

हस्तशिल्प और हथकरघा को विश्व मंच पर फिर से परिभाषित करने और प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, गोयल ने कहा कि उद्योग को कारीगरों और बुनकरों की ब्रांड वैल्यू और आय बढ़ाने के लिए कपड़ा उत्पादों की गुणवत्ता और पैकेजिंग में सुधार की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम-सूर्योदय योजना (मुफ्त सौर ऊर्जा संचालित रूफटॉप योजना), समर्थ योजनाओं और वस्त्र संबंधी योजनाओं से लाभ जैसी योजनाओं के एकीकरण से कारीगरों को अपने व्यवसायों को लाभ पहुंचाने और उनकी आय में बदलाव लाने में मदद मिलेगी।

उन्होंने भारत में सबसे बड़े रोजगार सृजन क्षेत्र के रूप में वस्त्र क्षेत्र के महत्व और वस्त्र मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उन्हें प्रदान किए गए लाभों पर भी प्रकाश डाला। गोयल ने पारंपरिक विरासत संस्कृति, तकनीकी प्रगति, अनुसंधान केंद्रों के माध्यम से नवाचार और महिलाओं के सशक्तिकरण को मिलाकर प्रधानमंत्री के “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के विजन पर जोर दिया। स्पष्ट तौर पर यह वस्त्र मंत्रालय की पहली लाभार्थी बैठक है, जो इतने बड़े पैमाने पर आयोजित की गई थी।

बातचीत के दौरान वस्त्र और रेल राज्य मंत्री दर्शना विक्रम जरदोश और वस्त्र मंत्रालय के अधिकारी मौजूद थे। देश भर के 398 केंद्रों से हथकरघा, हस्तशिल्प, जूट, रेशम और समर्थ सहित विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 10,000 लाभार्थियों ने बातचीत में भाग लिया। 12 अलग-अलग स्थानों से कुल 24 लाभार्थियों ने वस्त्र मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अपनी आजीविका को मजबूत करने के लिए प्राप्त होने वाले लाभों पर अपने अनुभव साझा करते हुए मंत्रियों के साथ व्यक्तिगत रूप से बातचीत की।