नई दिल्ली के भारत मंडपम में पहले ‘राष्ट्रीय रचनाकार पुरस्कार’ में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ
इस कार्यक्रम में उपस्थित मंत्रिपरिषद के मेरे साथी अश्विनी वैष्णव जी, जूरी मेंबर्स भाई प्रसून जोशी जी, रुपाली गांगुली जी, देश के कोने-कोने से यहां उपस्थित सभी कंटेंट क्रिएटर्स, देश के कोने-कोने में इस आयोजन को देख रहे मेरे सभी युवा साथी और सभी अन्य महानुभाव। आप सबका स्वागत है, आप सबका अभिनंदन है। और आप वो लोग हैं, जिन्होंने अपनी जगह बनाई है, और इसलिए आज उस जगह पर आप हैं- भारत मंडपम। और बाहर सिंबल भी creativity से जुड़ा है आते ही, और यही जगह है, जहां जी-20 से सभी मुखिया यहां इकट्ठे हुए थे, और आगे की दुनिया कैसे create करनी है इसकी चर्चा कर रहे थे। और आज आप लोग हैं जो भारत का भविष्य कैसे create करना, उसकी चर्चा करने के लिए आए हैं।
जब समय बदलता है, time change होता है, जब नए युग की शुरुआत होती है, तो उसके साथ कदम से कदम मिलाना, ये देश का दायित्व होता है। आज भारत मंडपम में देश अपने उसी दायित्व को पूरा कर रहा है। पहले नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड, यानी पहला है ये आयोजन नए दौर को समय से पहले पहचान देने का आयोजन है। और कुछ लोग मुझे कभी-कभी पूछते हैं कि आपकी इस सफलता का रहस्य क्या है? ऐसा मुझे पूछते हैं। मैं हरेक को जवाब नहीं देता हूं। कोई रेस्टोरेंट वाला अपनी किचन दिखाता है क्या? लेकिन आपको मैं बता देता हूं। ईश्वर कृपा है, मैं समय से पहले समय को भाप सकता हूं। और इसलिए ये पहला ऐसा अवार्ड है, जो शायद आने वाले दिनों में बहुत प्रमुख स्थान लेने वाला है। ये इस नए युग को ‘एनरजाइज’ कर रहे आप सब युवाओं को सम्मान देना, creativity को सम्मान देना और समाज की रोजमर्रा की जिंदगी के प्रति जो संवेदनशीलता है, उसको सम्मान देने करने का अवसर है। भविष्य में ये अवार्ड, कंटेन्ट क्रिएटर्स के लिए बहुत बड़ा मोटिवेशन बनेगा, उनके काम को एक बहुत बड़ी पहचान मिलने वाली है। आज जिन्हें नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड मिले हैं, मैं उन विजेताओं को तो बधाई देता ही देता हूं, पर जिन्होंने इसमें बढ-चढ़कर के हिस्सा लिया, क्योंकि बहुत कम समय मिला था, हम ज्यादा इस चीज को popular भी नहीं कर पाए थे। और मैं नहीं चाहता था कि मैं इसमें और समय गवाऊं। लेकिन जल्दी जल्दी में भी इतने कम समय में भी डेढ़ पौने दो लाख creative mind जिसके साथ जुड़ जाएं ये मेरे देश की भी एक पहचान बना देता है।
आज एक और पवित्र संयोग है। ये पहला नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड महाशिवरात्रि के शुभ दिन पर आयोजित हो रहा है। और मेरे काशी में तो शिव जी के बिना कुछ नहीं चलता है। महादेव, भगवान शिव भाषा, कला और creativity के जनक माने गए हैं। हमारे शिव नटराज हैं। शिव के डमरू से माहेश्वर सूत्र प्रकट हुये हैं। शिव का तांडव लय और सृजन की नींव रखता है। और इसलिए, यहां जो creators हैं उनके लिए नए subject मिल जाएंगे। महाशिवरात्रि के दिन ये आयोजन अपने आप में बहुत बड़ा सुखद संयोग है। और मैं आपको भी और देशवासियों को भी महाशिवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
आज International Women’s Day भी है। लेकिन मैं देख रहा हूं पहली बार पुरूष ताली बजा रहे हैं, वर्ना उनको लगता है हमारा तो कोई day आता नहीं है। आज जो अवार्ड मिले हैं, उनमें भी बहुत सारी बेटियां मैदान मार गई हैं। मैं उनको भी बधाई देता हूं और भी मैं देख रहा हूं कि एक ही वर्ल्ड में हमारे देश की बेटियां, मैं बहुत बड़ी मात्रा में सबको देख रहा हूं। मुझे बहुत गर्व हो रहा है आप लोगों को देखकर के। मैं देश की सभी महिलाओं को, बहनों को, बेटियों को International Women’s Day की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और आज ही मैं अभी, आप तो सब यहां बैठे हैं, मैं गैस सिलेंडर के 100 रुपए कम करके आया हूं।
किसी भी देश की Journey में, किसी एक Policy Decision या एक अभियान का कैसे मल्टी-प्लायर इफेक्ट होता है, ये आप सबको देखकर के पता चलता है। 10 साल में हुए डेटा रिवॉल्यूशन से लेकर सस्ते मोबाइल फोन्स, डिजिटल इंडिया अभियान ने एक प्रकार से content creators की एक नई दुनिया क्रिएट कर दी है। और पहली बार ऐसा हुआ होगा, जब किसी सेक्टर की युवा शक्ति ने सरकार को प्रेरित किया हो, सरकार को मजबूर किया हो कि कब तक बैठे रहोगे, इसको भी सोचो। और इसलिए भी आप बधाई के पात्र हो। आज के इस अवार्ड फंक्शन का क्रेडिट अगर किसी को जाता है, तो भारत के मेरे युवा मन को, हर डिजिटल कंटेंट क्रिएटर को जाता है।
भारत का हर कन्टेंट क्रिएटर एक और बात को represent करता है। हमारे युवाओं को अगर सही दिशा मिले तो वो क्या कुछ नहीं कर सकते हैं। आपने Content Creation का कोई कोर्स नहीं किया है। है ही नहीं तो क्या करोगे? पढ़ाई के टाइम करियर सेलेक्ट करते हुए ये सोचा भी नहीं होगा कि हम कंटेंट क्रिएटर जैसा कुछ बनेंगे। लेकिन आपने भविष्य को पहचाना, Future को देखा और ज्यादातर लोगों ने वन मैन आर्मी की तरह काम शुरू कर किया। अब ये श्रद्धा को देखिए खुद अपना मोबाइल लेकर के बैठ जाती है। अपने प्रोजेक्ट में आप ही राइटर, आप ही डायरेक्टर, आप ही प्रोड्यूसर, आप ही एडिटर यानि आपको ही सब कुछ करना होता है। यानि एक प्रकार से इतना टैलेंट एक जगह पर जमा हो जाए और फिर वो जो प्रकट हो तो उसका सामर्थ्य कितना हो सकता है, अंदाजा लगा सकते हैं। आपने ideas गढ़े, इनोवेशन्स किए, और उन्हें स्क्रीन पर जीवंत बनाया। आपने दुनिया को न केवल अपनी क्षमता से परिचित करवाया, बल्कि लोगों को दुनिया भी दिखाई। आपने जो हिम्मत दिखाई, उसी के कारण आज आप सब यहां पहुंचे हैं। और देश बड़ी आशा के साथ आपको देख रहा है। आपका कंटेंट आज पूरे भारत में जबरदस्त इम्पेक्ट क्रिएट कर रहा है। आप एक तरह से इंटरनेट के MVP…ठीक है ना? थोड़ा दिमाग खपाओ, creativity बताओ अपना। जब मैं आपको MVP कहता हूं, मतलब Most Valuation Person बन गए हैं।
आप सभी जानते हैं कि जब content और creativity आपस में collaboration करते हैं तो इससे engagement बढ़ती है। जब content digital से collab करता है तो transformation आता है। जब content purpose से collab करता है तो इससे impact दिखता है। और आज जब आप लोग यहां आए हैं, तो मुझे भी बहुत सारे विषयों पर आप लोगों से collab request करनी है।
एक जमाने में हम छोटी से छोटी दुकान पर लिखा देखते थे कि यहां बहुत tasty food मिलता है। ऐसा देखते थे ना? कोई भी कहे वहां क्यों खाना, तो बोलते थे tasty food है। लेकिन आज हम देखते हैं कि दुकान वाले लिखते हैं यहां हेल्दी फूड मिलता है। अब टेस्टी नहीं लिखता है। हेल्दी फूड मिलता है, क्यों बदलाव आया? तो एक बदलाव समाज में भी आ रहा है। इसलिए content ऐसा होना चाहिए, जो लोगों में कर्तव्य भाव जगाए। देश के प्रति आपके जो कर्तव्य हैं, उनके प्रति लोगों को प्रेरित करे। और आपके content का यही डायरेक्ट मेसेज हो ये जरूरी नहीं है, आप कंटेंट क्रिएट करते हुए इसका ध्यान रखेंगे तो indirectly भी उसमें ये जरूर झलकेगा। आपको ध्यान होगा, लाल किले से मैंने बेटियों के अपमान का विषय उठाया था। एक बार मैंने ये भी कहा था कि आप बेटी शाम को घर आती है तो पूछते हैं। क्यों देर से आई, कहां गई थी, क्यों जल्दी घर नहीं आई। मैंने लालकिले से पूछा था कि मुझे कोई तो मां-बाप बताओ जो अपने बेटे से पूछते हो कि तुम देर से क्यों आ रहे हो? कहां गए थे, बेटी को सब पूछते हैं, बेटे को कोई नहीं पूछता है। मैं कंटेंट क्रिएटर से कहता हूं इस बात को आगे कैसे बढ़ाएं, एक माहौल कैसे बनाएं, समान जिम्मेदारी होनी चाहिए। बेटी देर से आए तो भूकंप हो जाए और बेटा देर से आए तो बेटा खाना तो खाया था ना, क्यों भई। कहने का मेरा मतलब है कि साथियों कि हमें समाज के साथ जुड़ना है। और इस भावना को घर-घर पहुंचाने में आप जैसे साथी बहुत अच्छे ढंग से इसको कर सकते हैं। देखिए आज महिला दिवस पर आप इस संकल्प को फिर दोहरा सकते हैं।
हमारे देश की नारीशक्ति का सामर्थ्य कितना ज्यादा है, वो भी आपके कंटेंट का एक प्रमुख हिस्सा हो सकता है। मैं जरूर दावे से कहता हूं जी, आपमें से कोई थोड़ा क्रिएटिव माइंड के साथ सुबह से रात तक मां क्या करती है। उसी को थोड़ा रिकॉर्ड करके, उसको एडिट करके रखें, देखने वाले उस परिवार के बच्चे चौंक जाएंगे, अच्छा मां इतना काम करती है। एक साथ करती है। यानि आपके पास एक ताकत है, आप इसको ऐसे प्रस्तुत कर सकते हैं। उसी प्रकार से जैसे गांव की जो जिंदगी है, आपने देखा होगा इकोनॉमिक एक्टिविटी में गांव की महिलाएं बहुत बड़ी मात्रा में जुड़ी हुई होती हैं। ये western लोगों की जो सोच है न, कि भारत में वर्किंग वूमेन नहीं है। अरे भई वर्किंग वूमेन छोड़, भारत में महिलाएं हैं तभी तो संसार चल पा रहा है जी। गांव में आप देखेंगे इतनी इकोनॉमिक एक्टिविटी हमारी माताएं-बहनें करती हैं। अगर tribal belt में जाएंगे, पहाड़ों में जाएंगे तो आपको maximum economic activity हमारी माताएं बहनें करती हैं जी। और इसलिए हमारी creativity के द्वारा हम ये जो गलत perception बने हैं ना, बड़ी आसानी से बदल सकते हैं, हकीकतों के आधार पर बदल सकते हैं। और मैं मानता हूं हमें इसको करना चाहिए। अगर एक दिन की जीवन की सिर्फ साइकिल को हम दिखाएं तो पता चलेगा कि हमारे यहां पशु पालक हो, किसान महिला हो, मजदूरी करने वाली महिला हो, कैसे काम करती है, कितनी मेहनत करती है।
स्वच्छ भारत की सफलता से आप सभी परिचित हैं और आपने उसमें सहयोग भी किया है। लेकिन ये तो निरंतर चलने वाला जन आंदोलन है। कहीं पर भी कोई सफाई की अच्छी चीज आती है, अब जैसे मैंने अभी एक रील देखा कोई टाइगर पानी पीने जा रहा है और उसमें प्लास्टिक का बॉटल देखता है, तो टाइगर मुंह से प्लास्टिक का बॉटल उठाता है और कहीं पर जगह पर छोड़ने के लिए चला जा रहा है। अब इसका मतलब मोदी किस किसको बात पहुंचाता है, समझ गए ना? अब उसके माध्यम से आप भी पहुंचा सकते हैं। और इसलिए आप इस विषय पर भी लगातार कुछ ना कुछ जरूर करते रहिये। एक अहम विषय भी मैं आपसे शेयर करना चाहता हूं दोस्तों। ये छोटी-छोटी चीजें जो मेरे मन को छूती हैं, मेरा मन करता है कि क्रिएटिव माइंड के लोग हैं तो शायद मैं मन खोलकर के भी बातें कर सकता हूं। मैं भाषण नहीं कर रहा हूं जी। जैसे मेंटल हेल्थ, ये बहुत ही छूने वाला विषय है जी एक। और वैसे तो डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर काफी कंटेंट हंसी-मजाक से जुड़ा होता है, लेकिन कई अन्य गंभीर विषय भी होते हैं। मैं देखता हूं, मेंटल हेल्थ को लेकर (बहुत बधाई हो आपको, बहुत बधाई हो, बहुत बधाई हो, बहुत बधाई हो) मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हम नहीं बनाते हैं। मैंने बोला ही नहीं है जी, मैं ऐसी गलती नहीं कर सकता हूं। मुझे मेरे देश के टेलेंट पर भरोसा है, मुझे मेरे देश के लोगों की संवेदनशीलता मुझसे जरा भी कम नहीं है। लेकिन जो लोग इस प्रकार से सोचते हैं वो ज्यादा क्रिएटिव हैं ऐसा मैं कह सकता हूं। क्योंकि मेंटल हेल्थ को लेकर काफी क्रिएटर्स बहुत अच्छा काम कर भी रहे हैं। लेकिन अभी हमें इस पर और ज्यादा काम करने की जरूरत है। और हो सके तो local language. गांव के अंदर एक परिवार में अगर ऐसा बच्चा है, उनके लिए क्या हो सकता है? बड़े शहर में five star में दुनिया में तो होगा। क्योंकि उनकी जिंदगी में ये बहुत जरूरी है जी। उसी प्रकार से एक बहुत बड़ा महत्वपूर्ण विषय है बच्चों में स्ट्रेस का। हमें पता नहीं होता है। पहले तो हमारी ज्वाइंट फैमिली होती थी। और बच्चे कभी दादी संभाल लेती थी, कभी दादा संभाल लेता थे, कभी नाना, कभी चाचा, चाची, भाभी, भाई। अब माइक्रो फेमिली है दोनों लोग चले गए हैं, आया के पास बैठा है, पता नहीं उसके स्ट्रेस की क्या स्थिति है, कुछ पता नहीं है। अब जैसे एग्जाम का समय होता है। स्टूडेंट्स में रिजल्ट को लेकर चिंता बहुत बढ़ जाती है। सांस फूलने लग जाती है, रिजल्ट आने वाला है, फोन पर दोस्तों से कहता है जैसे रिजल्ट अभी आ गया हो। लेकिन धीरे-धीरे-धीरे पारा गरम हो जाता है। मैंने कोई 12-15 साल पहले एक छोटी सी फिल्म देखी थी। उस जमाने में तो वीडियो उतना popular नहीं था। लेकिन मेरी ये रूचि है जानना समझना सीखना और उसमें यह बताया गया था कि कुछ भी गलत निर्णय लेने से पहले बेहतर जीवन जीना ज्यादा आसान है और कितना जीवन सुंदर बनता है। ओर उस बच्चे को एग्जाम देना होता था। उसको लगता है ये सब मैं नहीं कर पाऊंगा तो आत्महत्या करने के लिए सोचता है। शायद उसके जो क्रिएटर्स होंगे उनको याद आ जाएगा। मुझे पूरा याद नहीं, क्योंकि मैंने 15-16 साल पहले इसको 20 साल हो गए होंगे। तो उसको मन करता है कि मैं रस्सी से टांग कर के जान दे दूं। तो रस्सी खरीदने जाता है। तो वो उससे पूछता है कितने फीट चाहिए लंबा। तो वो सोचता है फीट क्या होता है? तो जाकर पढ़ाई करता है फीट ऐसे होता है। फिर वो कहता है उसको हूक चाहिए। लोहे का चाहिए, कैसा चाहिए? उसकी पढ़ाई करके। फिर उसके ध्यान में आता है यार मरने से ज्यादा तो पढ़ना सरल है। बहुत ही अच्छी फिल्म बनाई है उसने। Hardly 7-8 मिनट की होगी। लेकिन जब मैंने उसको देखा और वो ये जो आत्महत्या करने का मूड बन जाता है बच्चों का। छोटी सी चीज है, लेकिन उसकी जिंदगी को एक नई राह दिखा देती है। अब आप भी जानते हैं कि मैं परीक्षा पर चर्चा का कार्यक्रम करता हूं। आपको लगता होगा, कई लोग मजाक उड़ाएंगे कि यार Prime Minister होकर बच्चों के साथ परीक्षा पर चर्चा करता रहता है, फालतू समय का। मैं जानता हूं दोस्तों, मैं कोई सरकारी circular नीचे से निकालकर के बच्चों की जिंदगी नहीं बना सकता हूं। मुझे उनके साथ जुड़ना पड़ेगा, उनको जानना पड़ेगा, जी-जान से जुटना पड़ेगा और उस समय यानि बारिश के बाद अगर मैं खेत में काम करूं तो काम का है। परीक्षा के दिनों में उसकी बड़ी ताकत होती है और इसलिए मैं हर साल regularly ये कार्यक्रम करता हूं। क्योंकि मेरे मन में यही होता है कि इन बच्चों के साथ मैं कुछ बातें करूं, खुलकर के बातें करूं, हो सकता है किसी को एकाध चीज काम आ जाए। उनके मन को छू जाए, उनका हाथ पकड़े, उनकी हैन्ड होल्डिंग करे, उनके मां बाप को लगे, टीचर को लगे।
ये सारे काम मैं तो रील बनाने के लिए समय नहीं निकाल सकता तो मैं ऐसे काम कर लेता हूं। लेकिन आप तो वो भी कर सकते हैं जी। क्या हम ऐसा Content और ज्यादा बना सकते हैं, जो Youth में Drugs के Negative Effects को लेकर Awareness लाए? हम बिल्कुल दावे से creative way में समझा सकते हैं कि- Drugs is not cool for youth? वर्ना क्या है, हॉस्टल में बैठे हैं cool.
इसमें बहुत बड़ा और आप लोग हैं, क्योंकि आप लोग उनके साथ जुड़ सकते हैं उनकी भाषा में बात कर सकते हैं।
अगले कुछ दिनों में लोकसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। आप ये मत सोचिए कि आज का ये इवेंट इसके लिए है। और मैं आपको गारंटी देता हूं कि हो सके तो next shivratri पर भी या तो डेट कोई और हो सकती है। यहां ऐसा कार्यक्रम मैं ही करूंगा। लेकिन मैं लोकसभा चुनाव का विषय उस अर्थ पर नहीं लेकर आया हूं, क्योंकि मुझे भरोसा है, मुझसे ज्यादा मेरे लिए आप मरते हैं। और आप मेरे लिए इसलिए मरते हैं, क्योंकि मैं आपके लिए जीता हूं, और जो अपने लिए नहीं जीता है उसके लिए मरने वाले बहुत होते हैं जी। वो मोदी की गारंटी नहीं है, 140 करोड़ देशवासियों की गारंटी है। ये बात सही है, ये मेरा परिवार है।
मैं जो लोकसभा चुनाव की बात कर रहा था और ये क्रिएटिव वर्ल्ड के लोग बहुत बड़ा काम कर सकते हैं। क्या हम ऐसा कुछ कर सकते हैं कि हमारे Youth और खासकर के हमारे first time voter उनको हम जागरुक करने के लिए क्या कर सकते हैं? और उसको पता हो कि वोट देना यानि किसी को जिताने हराने का काम नहीं है जी। वोट देने का मतलब है तुम इतने बड़े देश की निर्णय प्रक्रिया के हिस्सेदार बने हो। तुम देश का भविष्य बनाने वाले एक महत्वपूर्ण पार्टनर हो, ये उस तक पहुंचना जरूरी है। उसको कभी ये मत कहिए कि किसको वोट दो। लेकिन आप उसको जरूर कहिए, वोट तो देना ही चाहिए। वो तय करेगा किसको देना, किसको नहीं देना वो तय करेगा, लेकिन वोट देना चाहिए ये उसको जरूर कहना चाहिए और मैं मानता हूं हमारे देश में दुनिया के देश जहां जैसे-जैसे समृद्धि बढ़ती गई, वोटिंग pattern घटती गई। दुनिया में देश समृद्ध हुए, लेकिन अलग-अलग व्यवस्थाओं में समृद्धि तक ले गए और बाद में लोकतंत्र की दिशा में गए। भारत शत-प्रतिशत लोकतंत्र के ही अधिष्ठान को लेकर के समृद्ध राष्ट्र बनने के सपने को लेकर के चला है और दुनिया के लिए मॉडल बनने वाला है। ये दुनिया के लिए बहुत बड़ा मॉडल बनने वाला है। लेकिन उसमें मुझे मेरे देश के नौजवानों की भागीदारी चाहिए। 18,19,20,21 साल के जैसे।
हम अपने आसपास देखते हैं कि जो दिव्यांग जन होते हैं, Specially Abled होते हैं, उसमें बहुत प्रतिभा होती है, टेलेंट होता है। आप उनके लिए भी एक बड़ा माध्यम बन सकते हैं, उन्हें सपोर्ट कर सकते हैं। हमारे दिव्यांग जनों में जो इनहेरेंट ताकत होती है, उसे बाहर लाने की आवश्यकता है, उसे भी सोशल मीडिया की शक्ति से जोड़ने की जरूरत है।
एक और विषय है, भारत का Influence, भारत के बाहर औऱ ज्यादा बढ़ाने का। आज दुनिया में आप में से जो भी परिचित होंगे विश्व के साथ, आज भारत के तिरंगे की बहुत आन-बान-शान है, भारत के पासपोर्ट की आन-बान-शान है। है कि नहीं है? है ना? आपने देखा होगा यूक्रेन से बच्चे जब निकल रहे थे तिरंगा झंडा दिखा दिया, काम चल जाता था। ये सामर्थ्य ऐसे ही नहीं आया दोस्तों, सामर्थ्य ऐसे ही नहीं आया है। इसके पीछे एक मिशन मोड में तपस्या की गई है। दुनिया में आज वातावरण बदला है, लेकिन उसको और अधिक आज की दुनिया में कुछ perception ऐसा ही है हमारे लिए, हम उसको बदल सकते हैं क्या? और मैं मानता हूं, मुझे याद है कि मैं एक बार किसी एक देश में गया था तो एक interpreter मेरे साथ था। और वो computer engineer था। और वो उस सरकार में काम करता था। तो मेरी मदद की उसने। तीन चार दिन मेरे साथ था वो तो परिचय हो गया। तो आखिर में उसने कहा साहब आपको बुरा न लगे तो एक सवाल पूछना चाहता हूं। मैंने कहा क्या? नहीं साहब आपको बुरा नहीं लगेगा ना। मैंने कहा नहीं-नहीं दोस्त, तीन-चार दिन से आप देख रहे हो बुरा लगने का सवाल नहीं आप जरूर पूछिए। नहीं नहीं रहने दो साहब नहीं पूछता हूं। मैंने कहा पूछो यार, उसने कहा साहब क्या अभी भी आपके देश में सांप, सपेरे, जादू, टोना यही होता है क्या? ये मुझसे पूछा गया सवाल था। मैंने कहा देख दोस्त हमारे लोग तो उस जमाने में तो बड़े ताकतवर थे तो सांप-वांप उनके लिए बड़ा बाएं हाथ का खेल था। अब मैंने कहा हमारी ताकत बहुत कम हो गई है। और धीरे-धीरे-धीरे-धीरे करके वो माउस पर आ गए हैं। लेकिन मैंने कहा कि वो माउस से पूरी दुनिया को हिलाते हैं।
मेरे देश का ये जो सामर्थ्य है ना इस सामर्थ्य को हम आज अगर विदेश में बैठे किसी शख्स को, मैं समझता हूं हमारे सामर्थ्य से आकर्षित करें, उनको यहाँ लाने की दिशा में हमारा काम हो, हम अपने कंटेंट को ऐसा क्रिएट कर सकते हैं। आप पूरी दुनिया में भारत के डिजिटल Ambassadors हैं दोस्तों। और मैं मानता हूं ये बहुत बड़ी ताकत है। आप fiction of second में दुनिया में पहुंच सकते हैं। आप वोकल फॉर लोकल के ब्रांड ambassadors हैं। मैं कल श्रीनगर गया था, तो एक नौजवान से मेरी बातचीत हो रही थी। मैं हैरान हूं, वो सिर्फ शहद का काम करता है। मधुमक्खी पालन का काम करता है और आज ग्लोबली उसने अपनी ब्रांड पहुंचा दी है। Just digital world के माध्यम से।
आइए, हम एक साथ मिलकर एक Create on India Movement, मैं बहुत जिम्मेदारी के साथ आप लोगों से आपेक्षा कर रहा हूं। Create on India Movement की शुरुआत करें। हम भारत से जुड़ी Stories को, भारत की संस्कृति को, भारत के Heritage और Traditions को पूरी दुनिया से शेयर करें। हम भारत की अपनी Stories सबको सुनाएं। Let us Create on India, Create for the World. आप ऐसा कंटेंट क्रिएट करिए जो आपके साथ ही आपके देश, हम सबका देश भारत को भी ज्यादा से ज्यादा Likes दे। और इसके लिए हमें ग्लोबल audience को भी engage करना होगा। दुनिया की यूनिवर्सिटीज के साथ, दुनिया के नौजवानों के साथ जुड़ना होगा। आज पूरी दुनिया में लोग भारत के बारे में जानना चाहते हैं। आपमें से कई लोग विदेशी भाषाओं को जानते हैं, नहीं जानते हैं तो एआई की मदद से काम हो सकता है। कुछ लोग सीख भी सकते हैं। आप ज्यादा से ज्यादा UN languages में, जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश जैसी languages में content बनाएँगे तो आपकी और भारत की भी reach बढ़ेगी। हमारे अड़ोस पड़ोस के देश हैं उनकी भाषाओं में हम कुछ करें हमारी एक अलग पहचान बनेगी। और आपने देखा होगा पिछले दिनों बड़ा महत्वपूर्ण decision हमने लिया है। मैं अभी कुछ दिन पहले बिल गेट्स के साथ गप्पे मार रहा था। तो ऐसे ही एआई वगैरह सारे विषयों पर बहुत चर्चा निकली। कभी उसके विषय में जरूर आपको पता चलेगा। लेकिन हमने अभी कल ही एक decision लिया है। हम एआई मिशन को और मैं मानता हूं, दुनिया देख रही है कि भारत एआई में क्या काम करेगा। क्योंकि भारत लीड करेगा, मानकर के चलिए दोस्तों, क्योंकि मैं आपके भरोसे बोल रहा हूं। उसी प्रकार से आपने देखा होगा-सेमी कंडक्टर। जिस प्रकार से भारत सेमी कंडक्टर की दुनिया में आगे बढ़ रहा है। और मैं बताता हूं कि हम 2जी, 4जी वगैरह में बहुत पीछे रह गए। 5जी में हमने लीड कर लिया। वैसा ही हम बहुत तेजी से सेमी कंडक्टर की दुनिया में हम दुनिया में अपनी जगह बना लेंगे दोस्तों। और देखते ही देखते हम छा जाएंगे। और ये मोदी के कारण नहीं मेरे देश के नौजवानों के कारण, मेरे देश के टैलेंट के कारण। इतना सामर्थ्य है, मोदी तो सिर्फ अवसर देता है। रास्ते से कांटे हटा देता है, ताकि हमारे देश का नौजवान तेज गति से आगे बढ़ चले दोस्तों। और इसलिए मैं चाहता हूं, जैसे हमारे पड़ोस के देश हैं, उनकी भाषाएं उनके साथ उनकी सोच समझ के अनुकूल हम जितनी चीजें पहुंचाएंगे। मैं समझता हूं, हमारा नाता और जुड़ेगा। हमें अपना विस्तार करना है, अपना प्रभाव पैदा करना है दोस्तों। और ये क्रिएटिव वर्ल्ड बहुत अच्छी तरह कर सकते हैं। और एआई की ताकत आप जानते ,हैं आजकल देखा होगा मैं अभी जो आपसे बात कर रहा हूं, कुछ ही समय में वो आपको हिन्दुस्तान की 8-10 languages में ये मेरी सारी बातें आपको मिल जाएंगी। क्योंकि मैं एआई का उपयोग करता हूं। आपके साथ अगर यहां आते जाते मेरा फोटो निकल गया तो आप एआई के माध्यम से वो फोटो अपनी कलेक्ट कर सकते हैं। नमो एप पर जाएंगे फोटो बूथ पर चले जाएंगे, आराम से आपको मिल जाएगी मेरी फोटो। आज से 5 साल पहले कहीं मिल गए होंगे, एक कोने में मुझे देख रहे हैं आपकी एक आंख फोटों में आई है तो भी वो आपको खिंचकर के ले आएगा वहां। ये एआई की ताकत है, हमारे देश के नौजवानों की ताकत है। और इसलिए मैं कहता हूं साथियों, कि भारत के पास ये सामर्थ्य है। हम इस सामर्थ्य को आगे लेकर के जाना चाहते हैं। और national, international level पर भारत की एक छवि नई ऊंचाई पर ले जाने का काम हम अपनी इस creativity से कर सकते हैं। एक Food creator किसी को मुंबई की बड़ा पाव की मशहूर दुकान पर पहुंचा सकता है। एक Fashion Designer दुनिया भर को ये बता सकता है कि भारत के कलाकारों की खूबी क्या होती है। एक टेक क्रिएटर पूरी दुनिया को ये बता सकता है कि मेक इन इंडिया से हम क्या बना रहे हैं और भारत में इनोवेशन कैसे बढ़ रहा है। एक गांव में बैठा ट्रैवल ब्लॉगर भी विदेश में बैठे किसी व्यक्ति को अपने वीडियो से हिंदुस्तान की यात्रा के लिए motivate कर सकता है। हमारे भारत में तो इतने अलग-अलग तरह के मेले होते हैं। हर एक पर्व में अपनी एक स्टोरी होती है और दुनिया उसे जानना चाहती है। जो लोग भारत को जानना चाहते हैं, भारत के कोने-कोने को जानना चाहते हैं, उनकी भी आप बहुत मदद कर सकते हैं।
इन सारे प्रयासों में आपकी स्टाइल, आपका प्रेजेंटेशन, आपका प्रोडक्ट, आपके फैक्टस, आखिर मैं मानता हूं, हकीकत और विषय में compromise कभी मत कीजिए। आप देखिए एक यूनिक अंदाज में आप जाएंगे। अब देखिए artefacts तो बहुत होते हैं। Archeology वालों ने बहुत चीजें निकाली होती हैं। लेकिन जो visualogyx जानता है ना, वो जब उसको बनाता, रखता है तो हम उसी युग में पहुंच जाते हैं। 300 साल पुरानी चीज देखते हैं तो लगता है मैं वो समय जी रहा हूं। Creativity की ये ताकत होती है दोस्तों। और मैं चाहता हूं कि मेरे देश के भीतर वो creativity है जो मेरे देश का भाग्य बदलने के लिए एक बहुत बड़ा कैटलिटिक एजेंट बन सकता है। और इसी भावना से मैं आज आप सबको मिला, आप सबको बुलाया, आप बहुत ही कम नोटिस से आए, आपने कुछ करके दिखाया है। जूरी को भी मैं बधाई देता हूं, क्योंकि डेढ़, पौने दो लाख लोगों की एक-एक बारीकी को देखना बड़ा कठिन काम है। लेकिन आने वाले दिनों में ये काम और अधिक अच्छे ढंग से अधिक scientific ढंग से हम कर पाएंगे। मैं फिर एक बार आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।