तो क्या असम में भी तीसरे नंबर की पार्टी बन जाएगी कांग्रेस?
असम में विधानसभा चुनावों से पहले सत्ता में मौजूद भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को मुकाबले में मानने से इंकार कर दिया है। भाजपा ने कहा है कि उन्हें कांग्रेस से कोई ख़तरा नहीं है, बल्कि बदरुदीन अजमल के ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट से टक्कर मिलेगी। बीजेपी के हिमंत बिस्वा शर्मा ने भी कहा है कि राज्य में क्षेत्रीय पार्टियां ज्यादा टक्कर नहीं दे सकेंगी लेकिन अजमल हमेशा एक फैक्टर रहेंगे। एआईयूडीएफ के नेता बदरुदीन को साल 2006 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने पहचानने से इनकार कर दिया था लेकिन आज एआईयूडीएफ के साथ ही गठबंधन (महाजोट) कर कांग्रेस चुनाव लड़ने जा रही है।
आइए बताते हैं आपको कि एआईयूडीएफ असम चुनावों में इतनी महत्वपूर्ण स्थिति में कैसे है:
65 साल के अज़मल ने ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट की स्थापना साल 2005 में की थी। उनका सेंट और परफ्यूम का भी कारोबार है जो 50 से भी अधिक देशों में फैला हुआ है। ऐसा माना जाता है कि अज़मल का असम में रहने वाले मुसलमानों में अच्छी पकड़ है।
एआईयूडीएफ का असम के बंगाली मूल के मुस्लिमों पर प्रभाव है और इस चुनाव में NRC को लेकर आशंकाओं की वजह से अजमल की भूमिका पहले से भी ज्यादा अहम मानी जा रही है।
साल 2016 में असम के विधानसभा चुनावों में एआईयूडीएफ को 14 सीटें मिली थीं (कांग्रेस को 19 सीटें मिली थीं)। हालांकि, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में एआईयूडीएफ की सीटें 3 से घटकर एक रह गई थी।
सिर्फ मुस्लिमों की पार्टी है एआईयूडीएफ?
बीजेपी ने एआईयूडीएफ पर ‘मियां, मुस्लिम’ कहकर हमला बोला है। हालांकि, एआईयूडीएफ के प्रवक्ता हैदर बोरा ने कहा कि हमें एक ‘मुस्लिम पार्टी’ कहना गलत है क्योंकि हमने हर चुनाव में कम से कम 30 प्रतिशत गैर-मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए हैं। साल 2006 में पार्टी पहली बार चुनाव लड़ी थी और 10 सीटों पर जीत हासिल की। इनमें से दो सीटों पर हिंदू उम्मीदवार जीते थे।