आयुष मंत्रालय ने एआईआईए गोवा में “लोगों और ग्रह के लिए आयुर्वेद” विषय के साथ 10वां राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया

आयुष मंत्रालय ने आज अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), गोवा में 10वां राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस समारोह मनाया। इस कार्यक्रम में गोवा के राज्यपाल श्री अशोक गजपति राजू, गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत, केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव और केंद्रीय विद्युत एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। यह समारोह आयुर्वेद को स्वास्थ्य और कल्याण की एक समग्र प्रणाली के रूप में बढ़ावा देने के मंत्रालय के निरंतर प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, जो स्थायित्व और प्राकृतिक जीवन पर आधारित है।
इस अवसर पर बोलते हुए, गोवा के राज्यपाल, श्री अशोक गजपति राजू ने आयुर्वेद के वैश्विक विकास का उल्लेख किया और कहा कि एक दशक से भी कम समय में, आयुर्वेद दिवस एक राष्ट्रीय अनुष्ठान से एक वैश्विक स्वास्थ्य आंदोलन में विकसित हो गया है। उन्होंने बताया कि अब 150 से ज़्यादा देश इस दिवस को मनाते हैं और आयुर्वेद को न केवल एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के रूप में, बल्कि एक व्यापक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के रूप में मान्यता देते हैं। श्री राजू ने इस वर्ष के विषय, “लोगों और ग्रह के लिए आयुर्वेद” की प्रशंसा करते हुए इसे संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के लिए समय अनुसार प्रासंगिक बताया। उन्होंने आयुर्वेदिक ज्ञान की प्रामाणिकता को बनाए रखने के महत्व पर बल दिया और नमस्ते पोर्टल तथा आयुष एचएमआईएस जैसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का लाभ उठाया, जो पहुँच और साक्ष्य-आधारित अभ्यास को बढ़ा रहे हैं।
राज्यपाल ने आयुर्वेद-आधारित स्वास्थ्य पर्यटन के वैश्विक केंद्र के रूप में उभरने की गोवा की क्षमता के बारे में भी बात की। उन्होंने एआईआईए गोवा में एकीकृत कैंसर विज्ञान इकाई (इंटीग्रेटिव ऑन्कोलॉजी यूनिट) की स्थापना की सराहना की, जो टाटा मेमोरियल सेंटर के साथ एक सहयोगात्मक पहल है। इसका उद्देश्य समग्र कैंसर देखभाल के लिए आयुर्वेद को आधुनिक कैंसर विज्ञान के साथ एकीकृत करना है। श्री राजू ने गोवा की जैव विविधता के साथ पारंपरिक चिकित्सा के सम्मिश्रण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण का आह्वान किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि स्थानीय औषधीय पौधों का संरक्षण और संवर्धन रोज़गार को बढ़ावा दे सकता है और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत कर सकता है। उन्होंने आयुर्वेदिक उपचारों के वैज्ञानिक सत्यापन की अपील की और अनुसंधान एवं परंपरा पर आधारित नैतिक संवर्धन पर ज़ोर दिया।
गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने मोटापा, मधुमेह और तनाव जैसी बढ़ती जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से निपटने में आयुर्वेद की समकालीन प्रासंगिकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि दिनचर्या और ऋतुचर्या की समय-परीक्षित अवधारणाएँ निवारक स्वास्थ्य सेवा के लिए स्थायी आदर्श प्रदान करती हैं। डॉ. सावंत ने मोटापे के बढ़ते प्रचलन पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की चिंता का उल्लेख करते हुए कहा कि आयुर्वेद दीर्घकालिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए , संतुलित आहार, हर्बल औषधियाँ और योग जैसे सरल लेकिन शक्तिशाली उपाय प्रदान करता है।
मुख्यमंत्री ने गोवा की समृद्ध जैव विविधता, विशेष रूप से पश्चिमी घाट और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रकाश डाला, जहाँ पौराणिक आयुर्वेदिक ग्रंथों में वर्णित कई औषधीय पौधे पाए जाते हैं। उन्होंने वैश्विक आयुर्वेदिक अर्थव्यवस्था में गोवा की स्थिति को मज़बूत करने के लिए इन पौधों पर शोध, संरक्षण और व्यावसायिक खेती बढ़ाने का आह्वान किया। डॉ. सावंत ने एक एकीकृत कैंसर विज्ञान केंद्र की स्थापना के लिए गोवा सरकार, टाटा मेमोरियल सेंटर और एआईआईए गोवा के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर की घोषणा की। उन्होंने आगे कहा कि यह सहयोग रोगियों के परिणामों में सुधार और समग्र उपचार को आगे बढ़ाने के लिए पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों की दिशा में एक प्रगतिशील कदम है।
केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रतापराव जाधव ने अपने भाषण में समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के रूप में आयुर्वेद की बढ़ती वैश्विक मान्यता पर प्रकाश डाला। उन्होंने आयुर्वेद दिवस के लिए 23 सितंबर को स्थायी तिथि के रूप में निर्धारित करने के निर्णय को ऐतिहासिक बताया, जो शरद विषुव के साथ मेल खाता है, जो प्रकृति में संतुलन का प्रतीक है और आयुर्वेदिक दर्शन के मूल में है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष का विषय आयुर्वेद को न केवल एक स्वास्थ्य विज्ञान के रूप में, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य और स्थिरता के एक ढाँचे के रूप में स्थापित करने की मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
श्री जाधव ने पिछले साल आयुर्वेद दिवस पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किए गए “देश का स्वास्थ्य परीक्षण अभियान” को मिली ज़बरदस्त प्रतिक्रिया पर प्रकाश डाला। 1.29 करोड़ से ज़्यादा नागरिकों ने आयुर्वेदिक मापदंडों का उपयोग करके स्वास्थ्य आकलन में हिस्सा लिया, जिसमें छात्रों, शिक्षकों और डॉक्टरों सहित 1.8 लाख से ज़्यादा स्वयंसेवकों का सहयोग रहा। इस अभियान ने पाँच गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए और डेटा-आधारित आयुर्वेदिक अनुसंधान के एक नए युग की शुरुआत की। श्री जाधव ने कहा कि इस तरह की पहल पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को आधुनिक स्वास्थ्य सेवा के साथ एकीकृत करने के लिए आधार तैयार कर रही हैं ताकि पूर्वानुमानित, निवारक और व्यक्तिगत चिकित्सा समाधान विकसित किए जा सकें।
केंद्रीय विद्युत एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री, श्री श्रीपद येसो नाइक ने अपने संबोधन में गैर-संचारी रोगों, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और पर्यावरणीय क्षरण जैसी बढ़ती वैश्विक चुनौतियों के संदर्भ में आयुर्वेद की बढ़ती प्रासंगिकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक जीवन, पादप-आधारित उपचारों और निवारक देखभाल पर ज़ोर देने वाला आयुर्वेद, व्यक्तिगत स्वास्थ्य और पारिस्थितिक स्थिरता, दोनों के लिए आदर्श है। उन्होंने आगे कहा कि आयुर्वेद के सिद्धांत वैश्विक चिंताओं के अनुरूप हैं और निवारक एवं सतत स्वास्थ्य सेवा के लिए एक समय-परीक्षित ढाँचा प्रदान करते हैं।
श्री नाइक ने एकीकृत चिकित्सा और जन-जन तक पहुँच को बढ़ावा देने में गोवा और एआईआईए गोवा जैसे संस्थानों के योगदान की सराहना की। उन्होंने आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान के बीच समन्वय के एक मॉडल के रूप में टाटा मेमोरियल सेंटर के सहयोग से एकीकृत कैंसर विज्ञान इकाई की स्थापना का स्वागत किया। मंत्री महोदय ने आयुष प्रणालियों को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की सराहना की और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आयुर्वेद को प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकृत करने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने शोधकर्ताओं, युवाओं और चिकित्सकों से साक्ष्य-आधारित, नैतिक दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया और सभी नागरिकों को स्वच्छता ही सेवा और स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान जैसी सरकार द्वारा संचालित पहलों का समर्थन करने के लिए आमंत्रित किया।
इस वर्ष आयुर्वेद दिवस के उद्घाटन समारोह में कई नई पहलों का अनावरण किया गया, जिनमें राष्ट्रव्यापी ” देश का स्वास्थ्य परीक्षण” स्वास्थ्य मूल्यांकन अभियान और आयुर्वेदिक पदार्थों के लिए एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, द्रव्य पोर्टल का शुभारंभ शामिल है। इन पहलों का उद्देश्य आयुर्वेदिक ज्ञान तक पहुँच बढ़ाना, सामुदायिक स्वास्थ्य मूल्यांकन में सुधार करना और आयुर्वेदिक क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देना है।
इस कार्यक्रम में एआईआईए गोवा में एकीकृत कैंसर विज्ञान इकाई सहित नई सुविधाओं का उद्घाटन भी शामिल था और साथ ही विभिन्न समझौता ज्ञापनों (एमओयू) के माध्यम से शैक्षणिक, औद्योगिक और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की एक नई श्रृंखला भी शामिल थी। मुख्य आकर्षणों में शैक्षणिक आदान-प्रदान, एकीकृत कैंसर विज्ञान में अनुसंधान, और आयुर्वेद को मुख्यधारा की स्वास्थ्य सेवा में शामिल करने के लिए वैश्विक संस्थानों और स्थानीय संगठनों के साथ साझेदारी के लिए समझौता ज्ञापन शामिल थे।
विषय के अनुरूप, रण-भाजी उत्सव का भी शुभारंभ किया गया, जिसमें आयुर्वेदिक आहार पद्धतियों की नींव रखने वाली विविध और स्वास्थ्यवर्धक वन सब्जियों का उत्सव मनाया गया। इसके अतिरिक्त, आयुर्वेद और संबद्ध विज्ञान में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रोफेसर बमवारी लाल गौड़, वी.डी. नीलकंठन मूस एट., और वी.डी. भावना प्रशर को प्रतिष्ठित राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया।
इस कार्यक्रम के दौरान कई प्रकाशन जारी किए गए, जिनमें एनएमपीबी की 25 वर्ष की यात्रा , खेल चिकित्सा के लिए आयुर्वेद , और आरामदायक नींद के लिए आयुर्वेद अंतर्दृष्टि , साथ ही आयुर्वेदिक अनुसंधान और नवाचारों से संबंधित तकनीकी विज्ञप्तियां भी शामिल थीं।
इस कार्यक्रम में गोवा के विधान सभा सदस्य श्री प्रवीण आर्लेकर, आयुष मंत्रालय के सचिव एवं पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित श्री वैद्य राजेश कोटेचा, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), नई दिल्ली के निदेशक प्रो. (वैद्य) प्रदीप कुमार प्रजापति; एआईआईए गोवा की डीन प्रो. (डॉ.) सुजाता कदम, और पद्मश्री एवं पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित वैद्य देवेंद्र त्रिगुणा की गरिमामयी उपस्थिति रही।
इस अवसर पर आयुर्वेद क्षेत्र के प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति, आयुष मंत्रालय और एआईआईए के वरिष्ठ अधिकारी तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे, जिन्होंने सामूहिक रूप से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आयुर्वेद को आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
दसवें राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का उद्घाटन भारत और विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा में आयुर्वेद की भूमिका को बढ़ाने के निरंतर प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। नई पहलों, अनुसंधान और जनभागीदारी के माध्यम से, आयुष मंत्रालय का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि आयुर्वेद भारत के स्वास्थ्य सेवा भविष्य का एक प्रमुख स्तंभ बना रहे।