बंगाल में इन पांच नेताओं के भरोसे भाजपा, इनमे से कई रहे हैं ममता के वफादार
बंगाल चुनाव को अब अधिक दिन नहीं बचे हैं। ऐसे में सभी पार्टियां एड़ी – चोटी का जोड़ इस चुनाव को जीतने के लिए लगा रही है। आज हम बात करेंगे उन नेताओं की जिनके ऊपर बंगाल में भाजपा के जीत की जिम्मेदारी है।
दिलीप घोष
बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष का आरएसएस से बहुत नजदीकी हैं। दिलीप घोष को ही बंगाल में भाजपा के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार माना जा रहा है। फिलहाल वे मेदिनापुर से भाजपा के सांसद हैं। अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी वे 2015 से निभा रहे हैं, ऐसे में बंगाल में भाजपा जिस तरह से आगे बढ़ी है, इसमें उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता।
मुकुल रॉय
मुकुल रॉय टीएमसी के बड़े नेता माने जाते थे, या यूँ कहे तो वे ममता के बाद दूसरे नंबर के नेता थे। 2017 में वो ममता का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। उसके बाद से लगातार टीएमसी के नेता भाजपा में शामिल होते चले गए, इसमें मुकुल रॉय का सबसे बड़ा हाथ माना जाता है।
सुवेंदु अधिकारी
सुवेंदु अधिकारी आ ममता के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी हैं। ममता को उनसे न केवल राज्य में चुनौती मिल रही है, बल्कि नंदीग्राम विधानसभा सीट पर भी ये दोनों एक दूसरे के आमने सामने होंगे। इन्होने अपने एक बयान में कहा है कि इनका पहला लक्ष्य बंगाल में भाजपा को लाना है।
मिथुन चक्रवर्ती
कभी बॉलीवुड फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले मिथुन चक्रवर्ती एक बार फिर से चर्चा में हैं। कभी नक्सली आंदोलन में शामिल रहे मिथुन आज भाजपा का दामन थाम चुके हैं, बंगाल में वे बहुत लोकप्रिय हैं और ये भाजपा के लिए बेहतर साबित हो सकता हैं
स्वप्नदास गुप्ता:
स्वप्नदास बीजेपी के राज्यसभा सांसद हैं और पार्टी के बड़े रणनीतिकार हैं. दासगुप्ता मूलरूप से पत्रकार रहे हैं. उन्हें 2015 में पद्म भूषण सम्मान मिल चुका है. 2016 में बीजेपी ने उन्हें राष्ट्रपति द्वारा संसद के ऊपरी सदन से नामित करवाया था. बंगाली अस्मिता और बंगालियों में हिन्दुत्व जागरण के आर्किटेक्ट माने जाते हैं. पिछले साल दासगुप्ता को शांति निकेतन विश्वविद्यालय में छात्रों ने छह घंटे तक बंधक बनाकर रखा था. वहां वह ”सीएए 2019 समझ और व्याख्या” विषय पर आयोजित एक व्याख्यान श्रृंखला में बोलने गए थे. दासगुप्ता बीजेपी में दूसरे दलों के नेताओं को लाने के शिल्पकार भी रहे हैं.