उपराष्ट्रपति ने सार्वजनिक जीवन में मूल्यों को बनाए रखने का आह्वाहन किया
उप राष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने आज सार्वजनिक जीवन में मूल्यों को बनाए रखने का आह्वाहन किया। इसके अलावा उन्होंने विधानसभाओं और संसद में लगातार व्यवधानों एवं बहस के मानकों में आई गिरावट को लेकर चिंता व्यक्त की।
नायडू ने हैदराबाद में पूर्व सासंद एवं शिक्षाविद् नूकला नरोत्तम रेड्डी शताब्दी समारोह को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों की विधानसभाओं में हाल की घटनाएं निराशाजनक थीं। उप राष्ट्रपति ने आगे कहा, “व्यवधान का मतलब बहस को बेपटरी करना, लोकतंत्र और राष्ट्र को बेपटरी करना है।” उन्होंने सावधान किया कि अगर ये प्रवृति जारी रही तो लोगों का मोहभंग हो जाएगा।
नायडू ने याद दिलाया कि संसद और विधानसभाओं में आचरण 3 डी- डिस्कस, डिबेट एवं डिसाइड के अनुसरण के तौर पर होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि किसी भी बिंदु पर सदन को व्यवधान का मंच नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि सदन को बाधित करने से केवल जनहित को नुकसान पहुंचाता है।
वहीं जब नरोत्तम रेड्डी ने संसद में हिस्सा लिया था, उस वक्त की बहसों की गुणवत्ता को अनुकरण योग्य मानते हुए नायडू ने सुझाव दिया कि विधानसभाओं में प्रतिनिधियों के कार्यों को लोगों की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करना चाहिए। व्यवधान को खत्म करने के लिए उन्होंने विधानसभाओं में समय का अधिक रचनात्मक और सार्थक उपयोग करने का आह्वाहन किया।
उप राष्ट्रपति ने संबंधित सदनों में सांसदों और विधायकों की घटती उपस्थिति पर भी चिंता व्यक्त की। नायडू ने उन सबको सदन में नियमित आने और चर्चा में सार्थक योगदान देने की जरूरत पर बल दिया। उपराष्ट्रति ने कहा कि उनकी यह चाहत है कि वे महान सांसदों और संविधान सभा की बहसों का अध्ययन करें। उप राष्ट्रपति ने आगे कहा कि सदस्यों द्वारा की गई आलोचना रचनात्मक होनी चाहिए और उन्हें दूसरों के खिलाफ व्यक्तिगत हमलों का सहारा नहीं लेना चाहिए। नायडू ने लोगों से उन प्रतिनिधियों का चुनाव करने की अपील की, जिनके पास 4सी- कैलिबर, कंडक्ट, कैपिसिटी और कैरेक्टर है।
सार्वजनिक जीवन में नैतिक मूल्यों, देशभक्ति और सत्यनिष्ठा को विकसित करने में शिक्षा की भूमिका पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि “शिक्षा को अच्छी तरह तैयार संपूर्ण व्यक्तित्व” तैयार करना चाहिए। भारत के जनसांख्यिकी लाभांश की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा कि किसी अन्य राष्ट्र को इस तरह का लाभ प्राप्त नहीं है। साथ ही राष्ट्रपति ने इसका पूरी तरह से फायदा उठाने की जरूरत पर बल दिया। इस संदर्भ में, उन्होंने 21वीं सदी के जरूरतों के अनुरूप युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने का आह्वाहन किया। साथ ही नायडू ने छात्रों को नवीनतम तकनीकी विकास के साथ खुद को उन्नत करने की सलाह दी।
इसके अलावा उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप संस्थानों को स्वयं का पुनर्गठन करना चाहिए और शिक्षा के लिए एक समग्र बहु-विषयक दृष्टिकोण लाना चाहिए। उप राष्ट्रपति ने आगे कहा कि इस नीति में पाठ्यक्रम के बोझ को कम करने का भी लक्ष्य रखा गया है और अंतरराष्ट्रीय मानकों का मिलान करते हुए युवा छात्रों में एक व्यापक विकास लाने का प्रयास किया गया है।
उप राष्ट्रपति ने शिक्षा के क्षेत्र में भारत के उस गौरवशाली अतीत को भी याद किया, जब दूसरे देशों के छात्र नालंदा और तक्षशिला जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ने आते थे। नायडू ने अतीत के इस गौरव को फिर से प्राप्त करने की जरूरत पर बल दिया।
मातृभाषा के महत्व के बारे में बोलते हुए उप राष्ट्रपति ने अपनी मातृभाषा के माध्यम से अपने लोगों के साथ जुड़ने की जरूरत को रेखांकित किया। उन्होंने आगे कहा, “जिन्होंने हमें चुना है, उन लोगों को पता होना चाहिए कि हम किस बारे में बात कर रहे हैं। इसे देखते हुए ही सदस्यों को अपनी मातृभाषा में ज्यादा से ज्यादा बोलने की कोशिश करनी चाहिए।” उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि मातृ भाषा को प्राथमिकता देते हुए राज्य सभा ने 22 भाषाओं में बोलने का अवसर दिया है और इस उद्देश्य के लिए पर्याप्त सुविधाएं प्रदान की गई हैं।
अपने संबोधन में उप राष्ट्रपति ने उस्मानिया विश्वविद्यालय में प्रशासक के रूप में शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए स्वर्गीय नरोत्तम रेड्डी की प्रशंसा की। बतौर प्रशासक रेड्डी ने शिक्षकों के लिए बेहतर वेतनमान और विश्वविद्यालयों के बुनियादी ढांचे एवं मानकों के उन्नयन के लिए बहस कर मदद की थी। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के समारोह युवा पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण में नरोत्तम रेड्डी जैसे महान लोगों द्वारा किए गए योगदान की याद दिलाने और प्रेरित करने के लिए होते हैं।
इस समारोह में तेलंगाना के गृह मंत्री मोहम्मद महमूद अली, शताब्दी समारोह की आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर ई शिवा रेड्डी और आयोजन समिति के संयोजक नूकला राजेंद्र रेड्डी सहित अन्य लोग उपस्थित थे।