कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2020-21 में 1.55 लाख कंपनियों का निगमीकरण किया, यह पिछले वर्ष से 27 प्रतिशत अधिक है
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 1.55 लाख कंपनियों का निगमीकरण किया। वित्त वर्ष 2019-20 में 1.22 लाख कंपनियों का निगमीकरण हुआ था। इस तरह वित्त वर्ष 2020-21 में निगमीकरण में 27 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी) की 42,186 कंपनियां निगमित हुईं। यह पिछले वर्ष के 36,176 निगमीकरण से 17 प्रतिशत अधिक है। यह वृद्धि देश में कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए महत्वपूर्ण है।
व्यवसाय सुगम्यता के लिए भारत सरकार के अभियान के हिस्से के रूप में कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने अनेक कदम उठाए हैं जिससे भारत में व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए प्रक्रियाओं में सरलता आई है तथा समय और लागत में कमी आई है। केन्द्रीय पंजीकरण केन्द्र (सीआरसी) ने लॉकडाउन के दौरान भी अपना कामकाज जारी रखा ताकि हितधारकों को कंपनियों तथा एलएलपी के निगमीकरण में मदद मिल सके।
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने फरवरी 2020 में SPICe+ फॉर्म प्रारंभ किया। इसके अंतर्गत केन्द्रीय सरकार के तीन मंत्रालयों/विभागों (कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय, श्रम मंत्रालय तथा वित्त मंत्रालय में राजस्व विभाग) और तीन राज्यों (महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा पश्चिम बंगाल) की दस अलग-अलग सेवाओं को एकीकृत किया गया। ये हैं –
नाम आरक्षण-
कंपनी निगमीकरण
निदेशक पहचान संख्या
ईपीएफओ पंजीकरण संख्या
ईएसआईसी पंजीकरण संख्या
पैन
टैन
महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा पश्चिम बंगाल राज्य के लिए पेशा कर पंजीकरण संख्या
बैंक खाता संख्या
जीएसटीएन संख्या (वैकल्पिक)
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय निरंतर रूप से नियामक वातावरण में परिवर्तन का प्रयास कर रहा है और व्यवसाय की सुगम्यता की दिशा में हाल में अनेक कदम उठाए हैं।
इन कदमों में :
छोटी कंपनियों की परिभाषा में संशोधन, जिससे लगभग दो लाख कंपनियों पर अनुपालन बोझ कम हुआ है।
15 लाख रुपये की प्राधिकृत पूंजी तक कंपनी निगमीकरण के लिए शून्य एमसीए फीस।
एक व्यक्ति की कंपनियों के निगमीकरण को प्रोत्साहन।
कंपनी अधिनियम के अंतर्गत तकनीकी तथा प्रक्रिया संबंधी उल्लंघनों को गैर-कानूनी मानना।