कर्नाटक में भाजपा को ले डूबेगी भीतरी राजनीति
दक्षिण में भाजपा के एकमात्र किला कर्नाटक में भाजपा की अंदरूनी जंग खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। अभी दो दिन पहले ग्रामीण विकास मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने अपने ही मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ राज्यपाल को पत्र लिखा है। यह न सिर्फ जंग का खुला एलान है, बल्कि चिट्ठी लिखने के तौर तरीके ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या भविष्य में सरकार के अंदर कोई बड़ा उफान आ सकता है?
नेतृत्व की तरफ से मना करने के बावजूद मंत्री ने राज्यपाल को लिखा पत्र-
बताया जाता है कि उन्हें नेतृत्व की तरफ से पत्र लिखने से मना किया गया था। फिर भी उन्होंने राज्यपाल को न सिर्फ चिट्ठी लिखी, बल्कि उसे सार्वजनिक भी कर दिया। ईश्वरप्पा के इस कदम से भाजपा निराश है।कर्नाटक में लंबे वक्त से येदियुरप्पा और दूसरे खेमे के बीच खींचतान चलती रही है। इसमें येदियुरप्पा ने न सिर्फ खुद को सबसे लोकप्रिय और मजबूत साबित किया है, बल्कि फिलहाल भाजपा के लिए एकमात्र विकल्प भी बने हुए हैं। यही कारण है कि समय-समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की ओर से उनके कामकाज की प्रशंसा कर यह संदेश भी दिया गया कि प्रदेश में येदियुरप्पा ही भाजपा के नेता हैं।
ईश्वरप्पा की महत्वाकांक्षा से भाजपा निराश
भाजपा सूत्रों के अनुसार ऐसा कर ईश्वरप्पा ने बड़ी गलती की है। उन्हें केंद्रीय नेतृत्व का इंतजार करना चाहिए था। सूत्र बताते हैं कि ईश्वरप्पा को ऐसी गतिविधि से बचने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने यह बात नहीं मानी। यानी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा में वह पार्टी हित को भूल रहे हैं।
कर्नाटक में येदियुरप्पा के मुकाबले न कोई नेता है और न ही कोई संकट: भाजपा
भाजपा सूत्रों के अनुसार, अंदरूनी खींचतान कहीं भी हो सकती है। कुछ दिन पहले उत्तराखंड में भी आंतरिक कलह थी, लेकिन पूरी चर्चा अंदरूनी तौर पर हुई। जहां तक कर्नाटक का सवाल है, वहां फिलहाल न तो येदियुरप्पा के मुकाबले कोई नेता है और न ही कोई संकट।
उपचुनाव में भाजपा का प्रदर्शन खराब हुआ तो ठीकरा ईश्वरप्पा के सिर फूटेगा
प्रदेश में अभी बेलगाम लोकसभा के साथ-साथ दो विधानसभा के भी उपचुनाव होने हैं। ऐसे में ईश्वरप्पा का चिट्ठी लिखना पार्टी विरोधी गतिविधि के दायरे में भी गिना जा सकता है। पिछले कुछ उपचुनावों में भाजपा ने उन सीटों पर भी जीत हासिल की थी, जहां वह कमजोर थी। ऐसे में इस बार भाजपा का प्रदर्शन खराब हुआ तो इसका ठीकरा ईश्वरप्पा के ही सिर फूटेगा। पर बड़ा सवाल यह है कि अब जबकि कर्नाटक में विधानसभा चुनाव को दो साल बाकी है तो क्या फिर से भाजपा की अंदरूनी जंग तेज होने वाली है।